पाइल्स का घरेलू उपचार: बवासीर (Piles & Hemorrhoids) के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार मल द्वार के अंदर और बाहर जब रक्त आने वाली शिराओं का किसी गुच्छा फूल जाए, तो चारों ओर की श्लेष्मकला एवं मांस के साथ उभार के रूप में त्वचा से बाहर गुजर आता है।
पाइल्स का घरेलू उपचार
यही उभार पाइल्स (piles ) कहलाती है एवं ये रोग बवासीर। ये पाइल्स (piles ) अगर मल द्वार के बाहर हो, तो बाह्य एवं मल द्वार के अंदर हो, तो आंतरिक कहलाता है। अगर पाइल्स (piles ) में से खून निकलता हो, तो इसे खूनी बवासीर कहते हैं।
पाइल्स के लक्षण
मल छोड़ के वक़्त इन मस्सों में काफी दर्द होता है। अगर खूनी बवासीर है, तो मल छोड़ के वक़्त इन मस्सों में से दर्द के साथ खून भी निकलता है।
विशेष : (1) अगर कोई हृदय रोगी और उच्च रक्त चाप वाले रोगी को खूनी बवासीर आती हो, तो उसकी लाक्षणिक चिकित्सा ही करें, खून को एकदम न रोकें, क्योंकि इन रोगियों में बवासीर के यह मस्से सुरक्षा कवच का काम करते हैं।
अगर मस्सों में से खून निकलना बंद कर दिया जाए, तो रोगी को हार्ट-अटैक होने की संभावना बढ़ जाती है। (2) मल छोड़ के वक़्त बाएं पैर पर जोर डालकर बैठें।
पाइल्स का उपचार
कलमी शोरा एवं रसौंत बराबर मात्रा में लेकर मूली के रस में घोट लें। मटर के दाने के बराबर की गोलियां बनाकर सुखा लें। चार-चार गोली सुबह-शाम जल के साथ दें।
रीठे का छिलका कूट कर तवे पर इतना भूनें कि वह जल कर कोयला बन जाए। इसमें समान मात्रा में कत्था मिलाकर पीसकर रख लें। ये दवा 100 मिली ग्राम की मात्रा में एक चम्मच मलाई और मक्खन के साथ सुबह-शाम दें।
दो सूखे हुए अंजीर 12 घंटे तक जल में भिगोकर सुबह-शाम लें।
सूखे नारियल की जटा को जलाकर राख कर लें, पीसकर छान लें एवं आधा-आधा चम्मच 1 गिलास मट्ठे के साथ दिन में तीन बार लें।
फुलाई हुई फिटकिरी एक ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ सुबह-शाम लें।
- जिमीकंद 150 ग्राम, काली मिर्च एवं हलदी 3-3 ग्राम और बड़ी इलायची के बीज 1 ग्राम। सब को कूटकर शीशी में रख लें। आधा-आधा चम्मच की मात्रा में उबाल कर ठंडा किए हुए जल से दिन में तीन बार लें।
- जिमीकंद को भूनकर भुर्ता बना लें और घी और तेल में तलकर एक-एक चम्मच सुबह-शाम एक माह तक प्रयोग करें।
- गाय का दूध इमली के बीज के बीज के चूर्ण साथ मिलाकर लेवें |
- सत्यानाशी और इंद्रायण की जड़ जल में पीसकर मस्सों पर लगाएं।
- खट्टे सेब का रस मस्सों पर लगाएं।
- हर प्रतिदिन सुबह खाली पेट अमरूद खाएं।
- नीम की छाल का एक चम्मच चूर्ण गुड़ से सुबह-शाम लें।
- रोगी को खाली पेट एक पाव आलू बुखारे खिलाएं।
- दिन में तीन-चार बार पके हुए पपीते पर काला नमक और काली मिर्च डालकर खिलाएं।
- सुबह खाली पेट मूली और मूली के छिलकों पर काला नमक और काली मिर्च डाल कर लें।
- मस्सों पर घिया के पत्तों को पीसकर लेप करें।
- अरहर और नीम की पत्तियां मिलाकर पीसें एवं मस्सों पर लगाएं।
- मलत्याग के बाद गुदा को जल से साफ करें एवं स्वमूत्र लगाएं।
आयुर्वेदिक औषधियां
चित्रकमूल चूर्ण, यवानीफल चूर्ण, विजयाचूर्ण, अर्शकुठार रस, नित्योदित रस, चंद्रप्रभावटी।
बाह्य प्रयोग हेतु काशीशादि तेल भी प्रयोग किया जा सकता है।
पेटेंट औषधियां
पाइलेक्ट गोलियां (एमिल), अर्शोनिट गोलियां और मलहम (चरक), पायराइड गोलियां (वैद्यनाथ), पाइलैक्स गोलियां (हिमालय), पाइलैम कैप्सूल (माहेश्वरी), अर्शोना वटी (संजीवन)।
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