रतौंधी का आयुर्वेदिक इलाज: रतौंधी कहते है रात में कम दिखाई देने को ये आँखों का रोग शरीर में विटामिन की कमी से होता है, रतौंधी को हम रात्रि अंधता भी बोल सकते है
रतौंधी का आयुर्वेदिक इलाज
रतौंधी रोग का कारण
विटामिन ए (A) की कमी से होने वाले इस रोग में रोगी को रात में कम दिखाई देता है और एकदम भी दिखाई नहीं देता है।
एक वयस्क इंसान को 2,000 से 4,000 कैलोरी की दैनिक आवश्यकता होती है। ये दूध और अंडे की जर्दी में, गाजर, पालक, टमाटर इत्यादि सब्जियों में पाए जाने वाले बीटा कैरोटीन से आंतों ज़रिये तथा यकृत में प्रस्थान कैरोटीनेस ज़रिये तैयार होता है।
खाना में उपरोक्त चिकनाईयुक्त पदार्थों और सब्जियों के अभाव से ये रोग उत्पन्न होता है। पुराने दस्तों, ग्रहणी और यकृत संबंधी रोगों में भी विटामिन ए की उत्पत्ति तथा संचय का काम बंद हो जाता है, जिससे रात्रि अंधता उत्पन्न हो सकती है।
रतौंधी के लक्षण
रात में कम और एकदम दिखाई न देने के अतिरिक्त त्वचा में रूखापन रहता है। हडि्डयों, आंतों और श्वासनली संबंधी रोग भी हो सकते हैं, क्योंकि विटामिन ए का इनकी कार्यप्रणाली के सुचारू रूप से संचालन हेतु महत्त्वपूर्ण योगदान है।
गुर्दे में पथरी बनने की संभावना भी हो सकती है, क्योंकि इसके अभाव में गुर्दों के अंदर के इपीथीलियम सेल झड़ने शुरू हो जाते हैं।
रतौंधी का आयुर्वेदिक घरेलू इलाज
तीव्र रोग में विटामिन ए की 25,000 से 50,000 यूनिट रोज की आवश्यकता होती है। दूध, गाजर, पत्ता गोभी, टमाटर इत्यादि का प्रयोग पूरे दिन में उनमें पाई जाने वाली विटामिन ए की मात्रा के मुताबिक किया जा सकता है।
विटामिन ए की 2,000 यूनिट तक़रीबन आधा लीटर दूध में और 30 ग्राम मक्खन से और आधा किलो गाजर से और आधा किलो बंद गोभी से और 3-4 अंडों से मिल जाती है।
अत: विटामिन ए की कमी को पूरा करने के लिए टमाटर, पालक, गाजर और बंद गोभी की सब्जी रोगी को दिन में नाश्ते-भोजन इत्यादि में खिलाएं, खाना के साथ इनका सलाद भी लें। दिन में दो-तीन बार इनका रस पिएं। खाना में मक्खन और दूध काफ़ी मात्रा में लें।
- टमाटर का सूप अथवा पालक, बंद गोभी और गाजर का सूप लें।
- रोगी को चौलाई का साग नियमित रूप से खिलाएं।
- हरी सब्जियों में से पालक में सबसे ज्यादा विटामिन ए है। रात्रि अन्धता से बचाव एवं इसके इलाज हेतु पालक की सब्जी और सूप का अधिक-से-अधिक प्रयोग करें।
- दूध, मक्खन, अंडे की जर्दी में विटामिन ए काफ़ी मात्रा में होता है, अत: इनका अधिकाधिक प्रयोग कराएं।
- यदि दस्त, ग्रहणी अथवा कोई यकृत संबंधी रोग के कारण विटामिन ए के संचय एवं कार्यप्रणाली में आई गड़बड़ी इस रोग के लिए जिम्मेवार हो, तो निम्नलिखित चिकित्सा भी साथ में लें-
- पांचों नमक (सेंधा काला, विड, समुद्र और सांभर) बराबर मात्रा में पीस लें एवं साधारण नमक के स्थान पर इसका इस्तमाल करें।
- गन्ने और मूली का रस (पत्ते सहित) 4 : 1 के अनुपात में रोगी को दें।
- 10 ग्राम तुलसी के पत्ते 250 ग्राम जल में उबालें, एक चौथाई रह जाने पर उतार लें एवं ठंडा करके छानकर पिलाएं।
रतौंधी की आयुर्वेदिक औषधियां
नवायस लौह, आमलकी रसायन, कुमार कल्याण रस, मण्डूर भस्म, पुनर्नवा मण्डूर।
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