आमिर खुसरो की पहेलियाँ | Amir khusro ki paheliyan

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आमिर खुसरो की पहेलियाँ | Amir khusro ki paheliyan: अमीर खुसरो (Amir Khusro) एक प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, संगीतकार, और लिखारी थे जिनका जन्म 1253 ई. में हुआ था। उन्होंने उर्दू, परसी, अरबी, हिंदी और ब्रजभाषा में कई काव्य और गीत रचे थे। अमीर खुसरो की पहेलियाँ भी विख्यात हैं जिन्हें वे लोगों के मनोरंजन के लिए बनाते थे।

आमिर खुसरो की पहेलियाँ | Amir khusro ki paheliyan

यहां कुछ अमीर खुसरो की प्रसिद्ध पहेलियाँ हैं:

पंथ पढ़ै सो पंडित, मूर्ख भए सब संसार।
ढाई अक्षर प्रेम के, बाँके बचन उचार।।

भांड दरिया, पीर फिरां दरिया।
दरिया में देह, देह में दरिया।।

पुतली पलटी मैंने पलटी सूं।
पलटी तो भी देखी, मैंने पलटी सूं।।

एक दिन घणी खेती खैर।
खेती बिन खेत, खेत न खैर।।

सतबर वरष की गोली।
खावे गोल, लवे धौली।।

कृपया ध्यान दें कि ये पहेलियाँ उनके लेखन में सुलेखना में व्यक्तिगत विचारों को दर्शाने के लिए रची गई हैं और इनका उद्दीपन देने का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन था। इन पहेलियों को समझने के लिए अधिक सोचने और उनके पीछे छिपे मार्मिक भावों को समझने की आवश्यकता होती है।

आमिर खुसरो की पहेलियाँ | Amir khusro ki paheliyan

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