Drakshasava syrup uses in hindi | ताकत बढ़ाने की दवा: “Drakshasava syrup” एक प्रकार की आयुर्वेदिक दवा है जो अंगूर से बनाई जाती है। अगर आप सुस्ती महसूस करते है और शरीर में आलस भरा है तो द्राक्षासव सिरप का नियमित उपयोग करे इससे बहुत फायदा होगा।
द्राक्षासव एक बहुत अच्छी आयुर्वेदिक दवा है जिसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। एक टॉनिक के रूप में इसका ज्यादातर उपयोग ताकत, बुखार या पुरानी बीमारी के बाद कमजोरी और सामान्य थकान के लिए किया जाता है।
क्या आप जानते है? की द्राक्षा का मतलब होता है ग्लूकोज़ (Glucose) या शर्करा। चूँकि ये दवा अंगूरों से बनायीं जाती है इसलिए इसमें ग्लूकोज़ और सर्करा खूब है। इसलिए भी इस दवा का नाम द्राक्षासव है। और द्राक्षासव को एक कमजोर शराब भी कहते है।
इस दवा को अल्कोहल का एक संयोजन भी कहा जाता है, जिसमें कम से कम 7 अलग-अलग तरह के हर्बल घटक होते हैं। डॉक्टर Drakshasava syrup को पसीना, बेचैनी, थकान जैसी साधारण बीमारियों के इलाज में उपयोग करने की सलाह देते है।
द्राक्षासव सिरप क्या काम करता है?
द्राक्षासव सिरप ताकत को बढ़ाता है और शरीर में ताकत बनाये रखने में मदद करता है। ये दवा भूख न लगना, थकान, बेचैनी के लिए एक बहुत ही अच्छा समाधान है।
Drakshasava syrup के उपयोग से क्या क्या बीमारियां ठीक हो सकती है?
द्राक्षासव के उपयोग से संग्रहणी, बवासीर, क्षय, दमा, खाँसी, काली खाँसी, और गले के रोग, मस्तक रोग, नेत्र रोग, रक्त विकार, कुष्ठ रोग, कृमि रोग, पीलिया, कामला, आमज्वर आदि रोग ठीक हो जाते हैं। यह पौष्टिक और बलवर्धक भी है।

Drakshasava syrup uses in hindi
Drakshasava syrup पाचन समस्याओं जैसे कब्ज, भूख में कमी, गैस, पेट फूलना, सूजन इन सभी पेट की समस्याओ के लिए उपयोग में ली जाती है।
पेट में ज्यादा एसिड बनने और गुलने को रोकता है जिससे अपच, अल्सर जैसी समस्याओ में उपयोगी है।
शरीर की कमजोरी को दूर करना: यह आयुर्वेदिक दवा शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद कर सकती है और ऊर्जा को बढ़ावा देने में सहायक हो सकती है।
पाचन प्रक्रिया को सुधारना: “Drakshasava” का सेवन पाचन प्रक्रिया को सुधारने में मदद कर सकता है और भोजन के पचने में सहायक हो सकता है।
वातरक्त (गठिया) के उपचार: यह आयुर्वेदिक औषधि वातरक्त (गठिया) जैसे जोड़ों के दर्द के उपचार में मदद कर सकती है।
जीर्ण रोगों के उपचार: यह आपके शरीर में पित्त को संतुलित करने में मदद कर सकती है और जीर्ण रोगों के उपचार में सहायक हो सकती है।
हृदय स्वास्थ्य को सुधारना: “Drakshasava” का सेवन हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है और हृदय संबंधित समस्याओं को कम करने में सहायक हो सकता है।
प्रतिरक्षा सिस्टम को मजबूत करना: यह आपके प्रतिरक्षा सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकता है और संक्रमण से बचाव के लिए सहायक हो सकता है।
Drakshasava syrup लेने के फायदे
भूख ना लगना, थकान होना etc में ये Drakshasava syrup दवा का उपयोग बहुत फायदेमंद है।
Drakshasava syrup को नियमित तौर पर लेने से पाचन शक्ति अच्छी होती है। और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है। एवं शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
यह दवा गठिया जैसे जोड़ों के दर्द के उपचार में बहुत फायदेमंद है। दिल के सम्बंधित समस्याओ में भी फायदेमंद है और खून की कमी को भी Drakshasava syrup पूरा कर देती है।

Drakshasava syrup का उपयोग कैसे करे?
24 से 48 ml दिन में दो बार भोजन के बाद या चिकित्सक के निर्देशानुसार Drakshasava syrup का नियमित उपयोग बेहतर है।
या 3 से 6 चम्मच बराबर मात्रा में पानी के साथ दिन में दो बार भोजन के बाद ले।
डॉक्टर की सलाह पर उपयोग करें: Drakshasava syrup का उपयोग केवल आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा सुनिश्चित रूप से सलाह दी जाने पर करें।
निर्दिष्ट मात्रा में लें: आपके डॉक्टर द्वारा निर्दिष्ट मात्रा के अनुसार ही “Drakshasava syrup” को लें। अधिक मात्रा में लेने से संभावित दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
सुबह-शाम में लें: “Drakshasava syrup” का सेवन सुबह और शाम में करें। यह आमतौर पर भोजन के बाद लेने की सिफारिश की जाती है।
आहार के साथ लें: आपके डॉक्टर द्वारा अन्य विशेष दिशानिर्देश न होने पर, Drakshasava syrup को आहार के साथ लें।
शीशी को अच्छे से हिलाएं: Drakshasava syrup की शीशी को अच्छे से हिलाएं ताकि उसमें मिश्रण अच्छे से मिल जाए।
नियमित अंतराल पर लें: आपके डॉक्टर द्वारा निर्दिष्ट रूप से Drakshasava syrup को नियमित अंतराल पर लें।
शीशी को खोलकर लें: शीशी को खोलकर आवश्यक मात्रा में निकालें और उसे नियमित अंतराल पर सेवन करें।
दिन के समय में लें: आमतौर पर, आयुर्वेदिक चिकित्सक दिन के विशिष्ट समय में इसे लेने की सिफारिश करते हैं।
पेट खाली पेट न लें: Drakshasava syrup को पेट खाली पेट नहीं लें, बल्कि खाने के बाद उपयोग करें।
निगलें: Drakshasava syrup आमतौर पर शरबत के रूप में होता है। आप उन्हें पानी के साथ निगल सकते हैं।
परामर्श प्राप्त करें: यदि आपके द्वारा कोई अच्छाने वाला प्रतिक्रिया होता है, तो तुरंत अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें और उनकी मार्गदर्शन पर चलें।
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