दिल्ली का कमल मंदिर (Delhi Ka Kamal Mandir) जिसको हम बहाई उपासना मंदिर भी कहते हैं (लोटस टेम्पल) एक अदभुत वास्तुकला का नमूना है या राजधानी दिल्ली के मुख्य आकर्षणों में से एक है। इसके चारो तरफ हरे भरे मैदानों या सुन्दर फूलो से घिरा ये मंदिर कमल के फूल के आकार का बना हुआ है । जिसकी सुंदरता अनगिनत Visitors को अपनी या आकर्षित करता है।
24 एकड़ में बने इस भव्य मंदिर के रचना में निकट 10 सालों का वक़्त लगा था या तब से अब तक अपनी शैली या वास्तुकला (Architectural Design) के सहारा पर कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके है।
दिल्ली का कमल मंदिर इंडिया के सबसे आधुनिक निर्माणों में से एक है। यूँ कहा जाना कतई भी अनुचित नहीं होगा की ये आधुनिक इंडिया का ताज महल है। हरे-भरे मैदान या खूबसूरत फूले से घिरे इस खूबसूरत सरंचना का रचना कार्य 13 November 1986 में समाप्त हुआ था। सामान्य इंसानो के लिए 1 January 1987 को खोल दिया दिया गया था।
दुनिया भर में Lotus Temple को शान्ति या समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यहां पर आने वाले पर्यटकों को यहां पर आकर सुखद या शांतिपूर्ण वातावरण प्राप्त होता है। इस मंदिर को बहाई उपासना मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। जिनका उद्श्ये सभी धर्म, जाती के जनता को एक जुट करना है।
History Of Lotus Temple In Hindi – कमल मंदिर का रोचक इतिहास
लोटस टेम्पल भरत के सबसे प्रभाव शाली निर्माणों में से एक है। कमल फूल आकार का बना होने के कारण ही इसका नाम कमल मंदिर रखा गया था। इंडिया का राष्ट्रयि फूल कमल होने के नाते या सभी धर्मो में कमल के फूल को पवित्र या धार्मिक क्रियाओं में कमल का फूल बहुत अधिक ख़ास स्थान रखता है। इस कारण से भारतीय संस्क्रृति में कमल फूल की महत्व को देखते हुए ही इस मंदिर को कमल के आकार में बनवाया गया । कमल का फूल शान्ति प्यार या पवित्रता का भी प्रतीक है। उसी तरह कमल मंदिर भी शांति या प्यार को बढ़वा देने के लिए बनाया गया था।
लोटस टेम्पल किसने बनवाया था ? Who Build Lotus Temple In Hindi
लोटस टेम्पल के रचना के लिए 1979 में बहाई संस्था से संपर्क किया गया था। इसका रचना बहाई धर्म के संस्स्थापक बहाई उल्लहा संत ने करवाया था जो एक Canadian थे। इस कारण से इसे बहाई उपासना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
लोटस टेम्पल किस धर्म से से जुड़े है ? Which Religion Related To Lotus Temple In Hindi
दिल्ली का कमल मंदिर बहाई धर्म से से जुड़े है । ये मंदिर बहाई धर्म द्वारा बनवया गया पूरे एशिया में एक मात्र मंदिर है। बहाई आस्था से के बारे में इंसानो का मत है की एक ऐसे उपासना सभा स्थल हो जहां पर हर इंसान को बिना कोई धर्म, जाती, लिंग-भेद के भगवान की उपसाना करने का अधिकार होना चाहिए । जो सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला हो।
बहाई धर्म से के बारे में इंसानो की आस्था या उनके सिद्धांत
वैसे तो विश्व भर में बहाई धर्म से के बारे में 7 बहाई टेम्पल है। जिसमे दिल्ली का कमल मंदिर 6th स्थान पर है या एशिया में एक मात्र है। बहाई आस्था धर्म मुक्त स्वतंत्र संसार में विश्वास करती है। जो खुद मूल में दिव्य है खुद नजरिया में व्यापक अपनी तकनीक में वैज्ञानिक खुद दर्शन में दयालु या खुद स्वभाव में गतिशील है।
दिल्ली के इस कमल मंदिर में अधिकाँश हिन्दू मंदिरो की विपरीत इस मंदिर में कोई भी देवी-देवता की आराधना और किसी धार्मिक क्रिया नहीं होती है या ना ही यहां पर कोई भी भगवान् की किसी मूर्ति स्थापित है।
बहाई धर्म से के बारे में व्यक्तियों या बच्चो को कमल मंदिर मुख्या चार गतिविधियां प्रदान करता है:
Children Classes : इनका उद्श्ये मानवतो के प्रति बच्चो में उदारता साहस, दया, प्रेम, एकता, मानवता की सेवा जैसे भावनाओ को उत्पन करना है।
Junior Yuva Varg : इस वर्ग का मुख्या उद्श्ये 11-14 वर्ष के बच्चो में आध्यात्मिक या बौद्धिक ज्ञान को विकसित करना है।
Devotional Metting (भक्ति बैठके) : इन सत्रों का प्रमुख उद्श्ये सम्माज के भीतर एक प्रेमपूर्ण या सौहार्दपूर्ण वातावरण विकसित करना।
Study Circles (अध्ययन मांडिला) : इस मंडली का उदेश्ये बहाई लेखन प्रार्थना, जिंदगी या मृत्यों का व्यापक अध्यन करना है। जिससे इंसानो में आध्यतमिक चेतना जागृत की जा सके ।
इन गतिविधियों के आलावा कमल मंदिर One Ocean Events, की भी मेजबानी करता है। जो मनवा जाती की एकता या विविधता को एक कला द्वारा प्रदर्शित करता है।
Lotus Temple Architectural Design – डिजाइन या वास्तुकला
इस मंदिर का आर्किटेक्चरल डिज़ाइन बहुत अधिक ही जटिल है। जिसको एक ईरानी Architecture Fariborz Sahba के नितृतवे में 800 इंसानो की टीम जिसमे Engineer, Technician या श्रमिक शामिल है की 10 सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है।
Lotus temple in Hindi
ऊपर से देखने पर इसकी पखुड़िया कमल के फूल की तरह थोड़ी खुली दिखाई देती है। मंदिर की उचाई 40 मिटर है या इसमें कुल 27 पंखुडिया है जो 9 के समूहों में 3 भागो में विभाजित होती है। हर एक पखुड़ि ख़ास सफ़ेद संगमरमर से बानी हुई जो ग्रीस से मंगाई गई थी।
मंदिर में प्रवेश करने के कुल 9 द्वार है जो एक बड़े से केन्द्रिये प्रार्थना हॉल में जाकर खुलते है ।जिसमे तक़रीबन 2500 इंसानो एक साथ बैठ कर प्रार्थना कर सकते है। वास्तु की दृष्टि से 9 अंक सबसे शक्ति शाली या प्रभावशाली अंक माना जाता है या मंदिर में भी 9 पूल या द्वार है।
मंदिर के मध्य भाग में कोई तरह की धार्मिक छवि, चिन्ह वा मूर्ति नहीं है। केंद्रीय भाग में हर वक़्त मौन वातावरण रहता है जहां प्रवेश करते ही हर कोई को मानसिक शान्ति, या सुख समृद्धि की अनुभूति होती है। मंदिर को मौन बनाए रखने के लिए यहां पर कोई को भी ऊंची आवाज़ में बात करने वा शोर मचाने की अनुमति नहीं है या ना ही कोई भी तरह का किसी संगीत यंत्र बजा सकते है। मंदिर में हर 1 घंटे में मन को शान्ति देने के लिए 5 मिनट के लिए एक आध्यात्मिक प्रार्थना आयोजित होती है।
मंदिर परिसर में लाइब्रेरी या सूचना केंद्र भी है। सुचना केंद्र में कमल मंदिर वा बहाई आस्था से जुडी हर जानाकरी वा इसका इतिहास के बारे में जानकारी उपलब्ध है या लाइब्रेरी में पर्यटको के लिए कई पवित्र या धार्मिक पुस्तके रखी रहती है।
मंदिर के चारो तरफ बने 9 छोटे जल के पूल इसको ओर भी मनमोहक बनाते है। ये पानी स्त्रोत दिन के वक़्त आधे फूल वाले कमल का अहसास देते है या रात में मंदिर रोशन होने पर जल में शानदार छवि दिखाई देती है।
Interesting Facts About Lotus Temple In Hindi – दिल्ली के कमल मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारियां
दोस्तों कमल मंदिर को बहाई धर्म द्वारा बनवाया गया था बहाई धर्म के इंसानो का भगवान् म अटूट विशवास या प्यार है।
बहाई धर्म की स्थापना बहाई उल्ल्हा द्वारा की गई थी जिन्होंने धर्म से के बारे में सिद्धांतो को एक पुस्तक “किताब-ए-अकदस” में बताया है। बहाई धर्म से के बारे में जनता कोई भी धर्म, जाती, रंग-भेद को नहीं मानते है उनके नजरो सभी जनता स्वत्रंत है।
धार्मिक दृष्टि से 9 अंक को सबसे बड़ा या प्रभावशाली अंक माना गया है इस कारण से कमल मंदिर में भी 9 दरवाजे 9 पूल 27 कमल की पखुड़िया जिसे 9 के समूहों में 3 भागो में विभाजित किया गया है।
Delhi Ka Kamal Mandir को कमल के आकार का बनाने का प्रमुख उद्देश्य कमल के फूल को सभी धर्मो हिन्दू, जैन, बोध, सिख या इस्लाम में पवित्र माना जाता है।
कमल मंदिर को देखने के लिए हार साल 4 मिलियन जनता आते है।
मंदिर के चारो या बने 9 पूल मंदिर को ठन्डे रखते है परन्तु इसकी खूबसूरती को भी चार चाँद लगाते है।
यूँ तो मंदिर का डिज़ाइन एक बड़े आर्किटेक्चर फ़रीबोर्ज़ साहबा द्वारा किया था। जबकि इस जटिल डिज़ाइन को बनाने का जिम्मा UK की कंपनी “Larsen & Toubro Limited’s ECC Construction Group” को दिया गया था। जिसमे निकट 10 करोड़ डॉलर का खर्चा आया था।
2001 में एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली का कमल मंदिर संसार का सबसे अधिक देखे जाने वाला मंदिर है। संसार भर में जितने भी बहाई उपासना से से के बारे में मंदिर है उन सभी में दिल्ली का कमल मंदिर पर्यटको की श्रेणी में सबसे आगे है।
मंदिर ने अपनी शानदार कमल की आकृती की बदोलत कई अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड्स भी जीते है।
यह राजधानी का पहले ऐसा मंदिर है जहां सोलर पैनल द्वारा बिजली का इस्तमाल होता है मंदिर कुल 500 वाट्स में से 120 वाट सौर ऊर्जा द्वारा बिजली प्राप्त करता है।
कमल मंदिर ऊंचाई | How To Reach Lotus Temple In Hindi
Nearest Metro Station – दिल्ली का कमल मंदिर तक पॅहुचने के लिए तुम यहां कोई भी निजी वाहन और मेट्रो, बस, कैब द्वारा आसानी से आ सकते है। मंदिर कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन या नेहरू प्लेस के निकट स्थितं है। पर दोनों स्टेशनो में से सबसे निकटतम कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन पड़ेगा। कालकाजी से मंदिर तक की दूरी तक़रीबन 900 मीटर है ।
भारत की राजधानी होने के नाते दिल्ली की देश-विदेश वा सभी राज्यों से अच्छी कनेक्टिविटी है। इस नाते भी तुम सड़क, रेल, वायु मार्ग द्वारा Kamal Mandir आसानी से पहुँच सकते है।
कमल मंदिर के खुलने का वक़्त – Opening & Closing Timings of Lotus temple Delhi in Hindi
कमल मंदिर किस दिन बंद रहता है ?
दिल्ली का ये भव्य मंदिर पर्यटको के लिए हफ्तों में 6 दिन खुलता है। मंगलवार से रविवार के बीच श्रद्धालु इस मंदिर की खूबसूरती या यहां के शान्ति पूर्ण सुखद वातावरण की अनुभूति कर सकते है। सोमवार को मंदिर बंद रहता है।
मंदिर के खुलने का वक़्त अप्रैल से सितम्बर (गर्मयों में ) सुबह 9:30 से 7 बजे तक या अक्टूबर से मार्च (सर्दियों में) सुबह 9:30 तो शाम 5:30 तक खुला रहता है।
कमल मंदिर जाने का सही वक़्त – Best Time to Visit Lotus Temple in Hindi
अगर तुम Kamal Mandir जाने का प्लान बना रहें है तो तेज गर्मी में ना जाये तो अच्छा होगा । गर्मियों में सूर्य की तेज रोशनी से मंदिर के बाहर के परिसर बहुत अधिक गर्म हो जाता है या मंदिर में प्रवेश करने के लिए बाहर से नंगे पाँव चलकर आना होता है। जो छोटा कष्ट दायी हो सकता है या कड़ी धुप में तुम मंदिर के बाहर के हरे-भरे या फूलो से सजा मैदान का अनाद भी नहीं ले पाएंगे।
अगर फिर भी अब जाना चाहते है तो शाम के वक़्त जाना अच्छा होगा बजाये दोपहर के क्यूंकि शाम के वक़्त कमल मंदिर बहुत अधिक ही मनमोहक दीखता है या तेज धुप से भी बच जाएंगे।
दोस्तों अभी की इस हलचल भरी संसार या शोर-शराबे से दूर एकांत या शान्ति का अनुभव का मज़ा लेने के लिए एक दिन का समाय निकाल कर कमल मंदिर बहुत जरुरी जाए। यहां की खूबसुरत या मौन वातावरण आपके दिमाग या मन को एक सुखद एनर्जी की अनुभूति प्रदान करेगा ।
Places To Visit Near Lotus Temple In Hindi – कमल मंदिर के आस नजदीक का आकर्षण
कालकाजी मंदिर,दिल्ली (600 m)
इस्कॉन मंदिर दिल्ली (2.6 km)
हुमायूं का मकबरा (6.5 km)
हौज़ खास (8.1 km)
इण्डिया गेट (8.6 km)
सफदरजंग का मकबरा (9.2 km)
क़ुतुब मीनार (9.8 km)
सिकंदर लोदी का मक़बरा (10 km)
पुराना क़िला (10.1 km)
दोस्तों कैसी लगी आपको दिल्ली के कमल मंदिर से जुड़ी जानकारियां। आशा करते आपको ये पोस्ट “Information About History Of Lotus Temple in Hindi” पक्का पसंद आई होगी या शेयर भी जरुर करे।
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