कुष्ठ रोग के लक्षण और उपचार | leprosy in hindi

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कुष्ठ रोग के लक्षण और उपचार: कुष्ठ रोग एक बहुत पुराना सालो से चलता हुआ आ रहा संक्रामक रोग है। कुष्ठ रोग को कोढ़ के रोग के रूप में भी जाना जाता है

कुष्ठ रोग मुख्य रूप से त्वचा और बाहरी ऊपरी ऊपरी परिधीय (peripheral) नसों को प्रभावित करता है। ये रोग प्रगतिशील और स्थायी विकलांगता का कारण बन सकता है।

कुष्ठ रोग में क्या खाना चाहिए? मेहंदी के 20 ग्राम पत्ते रात को जल में भिगो दें। सुबह अच्छी तरह से पत्तों को मसलकर छान लें एवं शहद मिलाकर रोगी को खाली पेट खिलाएं।

कुष्ठ रोग के लक्षण और उपचार

कुष्ठ रोग में रोगी को एक भाग मीठा तेलिया और दो भाग काली मिर्च लें। इन दोनों के बराबर काली हरड़ लें। काली हरड़ के बराबर ही चित्रक की छाल लें। इनको बारीक पीसकर इसमें थोड़ा-सा गाय का घी मिला लें। अब इसमें चार गुना शहद मिलाकर अवलेह बना लें। एक चम्मच दवा खाली पेट गुनगुने जल के साथ रोगी को दें।

कुष्ठ रोग के कारण

कुष्ठ रोग – कोढ़ माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु के संक्रमण से फैलता है। सरीर में प्रविष्ट होने के तीन-चार वर्ष बाद इसका संक्रमण त्वचा में प्रकट होता है। रोग का जीवाणु रोगी के रोगग्रस्त भाग में तथा नाक के स्त्राव में पाया जाता है।

कुष्ठ रोग के लक्षण

प्रारंभ में रोगी के सरीर के विभिन्न अंगों में खुजली होने लगती है। धूप में जाने और थोड़ी-सी मेहनत करने पर त्वचा में जलन होने लगती है। धीरे-धीरे त्वचा सुन्न होने लगती है एवं उसमें लाल-लाल चकत्ते बनने लगते हैं, जिनमें से मवाद निकलने लगती है। बाद में इस जगह पर घाव बन जाते हैं।

कुष्ठ रोग का घरेलू इलाज

  • शरपुंखा का अर्क 6-7 चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार रोगी को दें।
  • मेहंदी के 20 ग्राम पत्ते रात को जल में भिगो दें। सुबह अच्छी तरह से पत्तों को मसलकर छान लें एवं शहद मिलाकर रोगी को खाली पेट खिलाएं।
  • एक चम्मच आंवला चूर्ण को एक चम्मच गाय के घी और 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार दें।
  • काले तिल और बावची के बीजों की मींगी का चूर्ण बराबर मात्रा में कूटकर रख लें। एक-एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम बराबर की मात्रा में शहद के साथ लें।
  • गिलोय का 2 चम्मच रस खाली पेट रोगी को दें। फिर थोड़ी देर बाद 2 चम्मच काले तिल रोगी को चबाने को दें। ऊपर से मिसरी मिला हुआ पाव भर दूध रोगी को पिलाएं।
  • तुलसी की 10-15 ताजी पत्तियां पीसकर आधा पाव दही में मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाएं। दही के विकल्प के रूप में 4 चम्मच शहद का प्रयोग किया जा सकता है।
  • काली मिर्च, आंवला, गोमूत्र में शुद्ध की हुई बावची, हरड़ की छाल और बहेड़े की छाल हर एक एक भाग तथा नीम के फूल, पत्ते, जड़ और बीज हर एक दो भाग लें। सबको पीसकर, छानकर लें। एक-एक चम्मच दवा प्रात: और सायं चार चम्मच मंजिष्ठादि क्वाथ के साथ दें।
  • रोगी को करेला, जिमीकन्द, बथुआ और लहसुन का प्रयोग ज्यादा कराएं। खटाई और मीठे का पूर्णत: परहेज कराएं।
  • नीम और चालमोंगरा का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें और सुबह-शाम घावों पर लगाएं।
  • केले की जड़ को सुखाकर और जलाकर पीस लें। 1 ग्राम ये दवा एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम लें।

कुष्ठ रोग में क्या खाना चाहिए

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