Mysterious Story In Hindi – रहस्मय धार्मिक स्थल टांगीनाथ धाम – जंहा आज भी है भगवान परशुराम जी का फरसा।

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दोस्तों आपने भगवान परशुराम के बारे में तो सुना ही होगा। Mysterious Story In Hindi विष्णु अवतार भगवान परशुराम एक प्रबल योद्धा और तपस्वी थे। वह हमेशा खुद साथ धनुष बाण और शिव द्वारा दिऔर फरसा लेके चलते थे। कहा जाता है की भगवान पशुराम का वह फरसा आज भी पृथ्वी पर मौजूद है। वह फरसा कई फ़ीट निचे तक जमीन में गड़ा हुआ है। जिसे परशुरराम जी ने स्वयं गाड़ा था।

उस फरसे से जुडी एक मान्यता है की जो भी जिसने भी इस फरसे को लेने और काटने का प्रऔरस किऔर है उसका नाश हो गऔर है। इस फरसे से जुड़े कई रहस्यमय और रोचक कहानिऔरँ (Mysterious Story In Hindi) प्रचलित है। जिसे आप लोगो को एक बार बहुत जरुरी पढ़ना चाहिए।

झारखण्ड के रांची शहर से 150 किलोमीटर दूर जंगल के बीच एक पहाड़ी पर बसा टांगीनाथ धाम है। ये के लोगो की अनुसार इसी धाम में परशुराम जी का फरसा भी गड़ा हुआ है और उनके चारणो के निशाना भी येां मौजूद है। हजारो सालो से खुले आसमान में होने के बाद भी इस फरसे में आज तक 1 इंच भी जंग नहीं लगा जो एक बड़े ही आस्चर्य और रहस्य बना हुआ है। ये के रहने वाले भाषा में फरसे को टांगी कहा  जाता है जिसके नाम से ही धाम का नाम टांगीनाथ धाम पड़ा था।

Mysterious Story In Hindi - रहस्मय धार्मिक स्थल टांगीनाथ धाम – जंहा आज भी है भगवान परशुराम जी का फरसा।
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भागवान शिव का निवास क्यों है टांगी नाथ धाम

इस धाम को भगवान शिवजी का धाम माना जाता है और मान्यता ये भी है की इस धाम की रचना स्वयं भगवान विश्वके्मा जी ने कि थी।

इस धाम के अंदर प्रचीन काल के शिवलिंग, कलाकृतीऔर और देवी देवताओं की प्रतिमाएं इधर उधर सैकड़ो की संख्और में बिखरी पड़ी हुई अब भी देखी जा सकती है ।

कैसे आऔर येां भगवान परशुराम जी का फरसा

भगवान परशुराम फरसे के बारे में दो मुख्य पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है

प्रथम पौराणिक कथापौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब श्री राम माता सीता के स्वयम्बर में भगवान शिवजी का धनुष तोड़ देते है तो आसमान में एक भयंके गरजना होती है। जिसे सुन भगवान परशुराम क्रोधित हो माता सीता के स्वयबर में पहुंच अंहकार वशभगवान राम और लक्ष्ण जी की काफी आलोचाना केते है।लेकिन थोड़ी देर बाद जब परशुराम जी को ज्ञात होता है की भगवान राम साक्षात परमपिता पर्मेश्ववर श्री हरी वुष्णु जी है तो वह इसके लिए बड़े दुखी होते है। उन्होंने खुद अंहकार वश होके भगवान राम को इतना बुरा भला कहा।जिसके बाद भगवान परशुराम खुद अंहकार और क्रोध को सदा के लिए समाप्त केने के लिए एक पर्वत पर जा खुद फरसे को जमीन में गाड़ शिवजी की तपस्और में लीन हो जाते है।कहा जाता है की ये वही फर्श है जिसे परशुराम जी ने स्वयं येां गाड़ा था जो अब टांगीनाथ धाम से जाना जाता है। Mysterious Story In Hindi

दूसरी पौराणिक कथाइस कथा अनुसार ये भगवान शिवजी का त्रिशूल है। भाग शिव ने एक बार शानि देव पर क्रोधित हो उन पर इसी त्रिशूल से वार किऔर था । परन्तु शानि देव कोई तरह बच गऔर और ये त्रिशूल ये आके जमीन में धंस गऔर और तब से येी धासा पड़ा है।इस धाम में महाशिवरात्रि व सावन के वक़्त येां हजारो की संख्और में शिव भक्त आते है। महशिवरात्रि के वक़्त येां तीन दिनों तक का मेला लगता है।

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Mysterious Story In Hindi – लौहार जाती के लिए क्यों है अभिशाप टांगि नाथ धाम

इस धाम से जुड़े कई रहमस्य कहानिऔरं भी प्रचिलत है। इस धाम के आस नजदीक कई किलोमीटर दूर तक लौहार जाती के लोग नहीं रहते है।

कहा जाता है की एक बार एक लौहार ने इस धाम से इस फरसा को ले जाने की कोशीश केि थी। जब वह इस फर्श को ले जाने में असमर्थ हो गए तो उसने इस फरसे का ऊपरी भाग काट दिऔर। परन्तु उसे भी वह नहीं ले जा सकेऔर कुछ दिनों बाद उस लौहार के परिवार में एक एक कार सभी लोगो की मृत्यु हो गई।

इस धाम के आस नजदीक रहने वाले और लोहारो की भी मौत होने लगी थी। जिससे भयभीत हो लोहार जाती के लोगो ने टांगीनाथ धाम से पलऔरन केना शुरू के दिऔर और आज तक उस घटना से भयभीत इस धाम से केीब १५ से २० कम परिधि के अंदर कोई लौहार नहीं रहता है।

1989 में पुरातत्व विभाग ने केि थी खुदव Mysterious Story In Hindi

भारतीये पुरतावत विभाग द्वारा 1989 में खुदवाई के दौरान कई मूलयवान चीजओं और आभूषण मिले थे। जिसमे कई शिवलिंग मूर्तिऔरं, हीरे जड़ित मुकुट, सोने चांदी के सिक्के, सोने की बालिऔरं, कड़े, ताम्बे के बर्तन जिमसे चावल और तिल भी रखा था इत्यादि महत्वपूर्ण सामान मिले थे। जो आज भी वहां के डुमरी थाना के स्टोर रूम में रखे हुए है।

इतनी बेशकीमती चीजएं मिलने के बाद भी खुदाई को अचनाक बंद केवा दिऔर था। अचानक बंद केवाने का कारण आज तक दुसरो को नहीं बताऔर गऔर और कई आभूषण और कीमती चीजएं इत्यादि सभी नीचे दबी रहा गई। खुदाई के दौरान सैकड़ो मूर्तियों और शिवलिंग को बाहर निकाला गऔर था। वह आज भी टांगी नात धाम में खुले आसमान के निचे राखी हुई देखी जा सकती है

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