पेट में कीड़े कारण, लक्षण और उपाय: कई बार दूषित खाना या एक्सपीरेड पेय प्रदार्थ लेने से पेट की आंतो में कीड़े हो जाते है इसलिए हमेशा अच्छा स्वच्छ खाना खाये और स्वच्छ चीजे पिए
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पेट में कीड़े होने के कारण
दूषित पानी और खाने का सेवन करने से पेट में कीड़े हो जाते हैं। ककड़ी, खीरा, टमाटर, मूली इत्यादि जो कच्ची ही खाई जाती हैं एवं पेट के लिए बहुत उपयोगी हैं,
अगर गंदे नाले के जल (जिसमें मल-मूत्र का विसर्जन होता है) में उगाई गई हों, तो सरीर के लिए लाभदायक यह सब्जियां भी कीड़ों की वाहक बन जाती हैं, क्योंकि इनमें कीड़ों के अंडे आ जाते हैं। मांस भी अगर भलीभांति पकाया न गया हो, तो पेट में कीड़ों का कारण बनता है।
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पेट में कीड़े होने के लक्षण
पेट में दर्द, कब्ज़ की शिकायत, भूख ज्यादा लगना (बड़े कीड़ों के कारण) और भूख कम लगना (छोटे कीड़ों के कारण)।
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पेट में कीड़े होने के घरेलू उपाय(चिकित्सा)
- खाली पेट सुबह एक गिलास गाजर का रस पीने से दस-पंद्रह दिन में पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- मुनक्का के बीज निकाल कर उसमें कच्चे लहसुन के टुकड़े लपेट कर दिन में तीन बार एक सप्ताह तक लें।
- आधा पाव टमाटर के रस में पांच-सात पुदीने की पिसी हुई पत्तियां, आधा नीबू का रस, चुटकी भर काली मिर्च और काला नमक डालकर सुबह खाली पेट लें।
- अजवायन चार भाग और काला नमक एक भाग का चूर्ण बनाकर डेढ़ से दो ग्राम की मात्रा में रात में गर्म जल के साथ सेवन करें।
- 1 गिलास करेले के रस में शकर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
- सुबह खाली पेट 50 ग्राम गुड़ खाएं। पंद्रह मिनट बाद 2 ग्राम अजवायन का चूर्ण बासी जल के साथ लें।
- नीम की दस पत्तियों के रस में शहद मिलाकर सुबह खाली पेट दें।
- बथुए के 4 चम्मच रस में थोड़ा सेंधानमक डालकर खाली पेट लें।
- 2 चम्मच तुलसी के पत्तों के रस में चुटकी भर काली मिर्च डालकर खाली पेट लें।
- नारियल की जटा को जल में उबालें। ये गुनगुना जल खाली पेट पिएं।
- आम की गुठली सुखाकर पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मेथी के दानों का चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच सुबह-शाम छाछ के साथ लें।
- आधा चम्मच कलौंजी के बीज 2 चम्मच पिसे हुए चावलों के साथ रात को सोते हुए लें।
- रात को सोते वक़्त दो सेब छिलके सहित खाएं।
- कच्चे पपीते में प्रस्थान पापेन नामक एन्जाइम, पपीते के बीजों में प्रस्थान कैरिसिन नामक तत्व और पपीते की पत्तियों में प्रस्थान कारपेन नामक तत्व पेट के कीड़ों को ख़त्म करने में समर्थ होते हैं। अत: इनका इस्तमाल पेट के कीड़े (गोल कृमि) निकालने हेतु किया जा सकता है।
- कच्चे पपीते का 4 चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ एक गिलास गर्म जल के साथ लें। दो-तीन घंटे बाद 20-30 मि.ली. एरंड का तेल गर्म दूध के साथ लें। इसका प्रयोग लगातार तीन दिन तक करें।
- पपीते की पत्तियों का रस और पपीते के बीज चार चम्मच की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर रात को दें।
- अनार की जड़ एवं तने की छाल में प्रस्थान तत्व प्युनिसिन पेट के कीड़ों, खासकर फीताकृमियों के निकालने में काफी प्रभावी पाया गया है। ये तत्व तने की तुलना में जड़ की छाल में ज्यादा मात्रा में होता है। 20-30 ग्राम छाल पाव भर जल में उबालें। आधा रह जाने पर उतार कर ठंडा कर लें और रोगी को पिलाएं। एक-एक घंटे के अंतर से इसकी तीन खुराक दें। अंतिम खुराक के 2-3 घंटे बाद 20-30 मिली. एरंड का तेल एक गिलास गर्म दूध के साथ दें।
आयुर्वेदिक औषधियां
सोमराज्ययादि चूर्ण,पलाशबीज चूर्ण,काम्पिल्लक फल रज चूर्ण, शिग्रु बीज चूर्ण, विडंगादिचूर्ण, कृमिकुठार रस, कृमि मुद्गर रस, विडंगारिष्ट।
पेटेंट औषधियां
कृमिघातिनीवटिका (झंडु), कृमिनोल सीरप और गोलियां (संजीवन),त्रिफलाद्यचूर्ण (धुलपापेश्वर), क्रुम्निल गोलियां (चरक), वोरमेम सीरप और गोलियां (माहेश्वरी) और कृमिघन वटिका (नागार्जुन-केरल) कृमि रोग में प्रभावकारी हैं।
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