पित्ताश्मरी – पित्त की पथरी (Biliary Calculus) कारण, लक्षण, घरेलु उपचार

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पित्ताश्मरी – पित्त की पथरी (Biliary Calculus) कारण, लक्षण, घरेलु उपचार: पित्ताश्मरी और पित्त की पथरी कुछ कठोर, कंकड़ नुमा सामान के टुकड़े होते हैं, जो आमतौर पर कोलेस्ट्रॉल और बिलीरुबिन से बने होते हैं, जो आपके पित्ताशय में बनते हैं।

जब पित्त की पथरी आपकी पित्त नलिकाओं को अवरुद्ध कर देती है, तो वे अचानक दर्द पैदा कर सकते हैं, जिसका अर्थ है कि आपको तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता है।

पित्ताश्मरी – पित्त की पथरी होने का कारण

अधिक खाना करने वाले, पच्चीस वर्ष से ज्यादा उम्र वाले (विशेषत: महिलाओं) और ज्यादा वक़्त तक बैठे रहने वाले व्यक्तियों में पित्ताशय से निकलने वाले पित्त का प्रवाह कम हो जाता है तथा पित्त गाढ़ा हो जाता है।

पित्ताशय में बसा हुआ कोलेस्ट्रोल पित्त में घुलनशील होता है। असंतुलित और गरिष्ठ भोजन, शराब, मांस, अम्लीयता और स्थायी कब्ज़ के चलते पाचनक्रिया मंद हो जाती है, जिससे पित्ताशय बसा हुआ कोलेस्ट्रोल पित्त में नहीं घुल पाता एवं दूषित पदार्थों के संयोग से पथरी का रूप धारण कर लेता है।

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पित्ताश्मरी – पित्त की पथरी होने का लक्षण

पित्ताश्मरी ज़रिये पित्त का प्रवाह रुक जाने से पित्ताशय में उत्पन्न संकोच के कारण लगातार भयंकर दर्द होता है, जो पेट के ऊपर के दाएं भाग में नाभि के नजदीक होता है।

ये दर्द ऊपर कंधे तक जाता प्रतीत होता है। रोगी को पसीना आता है, तापमान आम से कम होता है, नाड़ी तेज होती है। कभी-कभी रोगी को कंपन भी महसूस होता है। उलटी होने पर आराम मिलता है। पथरी के पित्तनली में अटक जाने से सिर में चक्कर एवं बुखार भी हो सकता है।

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पित्ताश्मरी – पित्त की पथरी होने का घरेलू उपचार

  • छोटी इलायची-2, मुनक्का-6, बादाम गिरी (गुरबन्दी)-6, खरबूजे का मगज 4 ग्राम और मिसरी-10 ग्राम को खूब घोटकर 150 ग्राम जल में मिलाकर तथा छानकर रोगी को सुबह-शाम पीने को दें।
  • नीम के पत्तों का रस 2-3 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दें।
  • भुनी हुई हींग, सेंधानमक एवं सोंठ का सम भाग चूर्ण आधा-आधा चम्मच गर्म जल के साथ दिन में दो बार दें।
  • हरे आंवले के रस में बराबर की मात्रा में चार चम्मच मूली का रस मिलाकर दिन में तीन बार दें।
  • कच्चा आम, शहद एवं काली मिर्च के साथ रोगी को नियमित रूप से खाने को दें। कच्चे सामान्य में प्रस्थान अम्लीय तत्व पित्त के स्राव को बढ़ाने में सहायक होते हैं। जब पित्त का स्राव बढ़ेगा, तो पित्ताशय में बसा हुआ पथरी फूलकर और बिखर कर बाहर आ जाएगी।
  • चार चम्मच पके हुए अनार के बीज को पीसकर चने के सूप के साथ दें।
  • चुकंदर, गाजर और खीरे का रस समान मात्रा में मिलाकर रोगी को 200 मि.ली. दिन में 3 बार दें।

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भोजन तथा परहेज

मांस, शराब, मसालेदार और तला हुआ खाना, पनीर, दूध से बनी मिठाइयां, उड़द को दाल, खमीर उठाकर बनाए गए वस्तु जैसे जलेबी, ढोकला, इडली इत्यादि का प्रयोग रोगी को एकदम बंद कर देना चाहिए।

रोगी को हलका, उबला हुआ और बिना तला हुआ खाना लेना चाहिए। मुंग की छिलके वाली दाल, चावल, घिया, तोरी, करेला, आंवला, घृतकुमारी, मुनक्का, मुसम्मी, अनार और जौ का प्रयोग करना लाभदायक रहता है।

आयुर्वेदिक दवा (औषधियां)

काकायनवटी, गोक्षुरक्वाथ,हरिद्रायोग, कुलत्थादिघृत, क्षारवटी, यवक्षारयोग इत्यादि इस रोग में प्रयोग जा सकती हैं।

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