रिश्तों की कीमत | रिश्तों की अहमियत इन हिंदी

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रिश्तों की कीमत | रिश्तों की अहमियत इन हिंदी: रिश्तों की मधुरता खत्म करने में कुछ अपनों का हाथ भी हो सकता है। अगर रिस्तो की कीमत | rishton ki ahmiyat आप जान जाए तो आपकी जिंदगी सफल हो सकती है

रिश्तों की कीमत | रिश्तों की मधुरता खत्म होना यानि जीवन में कुछ न पाना।

रिश्तों की कीमत | रिश्तों की अहमियत इन हिंदी

आजकल जितने भी सोशल प्लेटफॉर्म हैं सभी में सैड स्टोरी सुनाने वाले, मोटिवेशनल स्पीच ,लव रिलेशन एक्सपर्ट्स और मनोवैज्ञानिकों की बाढ़ आ गई है। जानते हैं क्यों?

क्योंकि अत्याधुनिकता ने मनुष्य को अति स्वार्थी बना दिया है जहाँ लोग हर चीजों को पैसों से तौलने लगे हैं वहीं रिश्तों में पैसों को देखकर इज्जत देने और संबंध जोड़ने का चलन बढ़ गया है।तो कहीं लालच और ईर्ष्या के कारण रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है।

वहीं आज घर – घर में महाभारत मचा हुआ है महाभारत के शकुनि तो कहीं रामायण की मंथरा,व सूर्पनखा की भूमिका अदा करने वाले भी अपने आपको सीधा सादा सताया हुआ दिखाते हैं।

ऐसे में जो बेचारा सचमुच का सीधा व्यक्ति है वह इन सबके फरेब ठगा जाता है।

हालांकि फिर भी न्याय और सत्य की जीत होती है वरना इस दुनिया में प्रलय समान हाहाकार होता।

न जाने कितने दुष्टों का संहार तो प्रकृति स्वयं कर देती है ।

यहाँ तक कि वह समूल के समूल नष्ट कर देती है।

अभी कुछ दिनों पहले एक बत्तीस वर्षीय युवती से मिलना हुआ हालांकि मै उसे अच्छी महिला के रूप में कई वर्षों से जानती थी वह अपने जीवन में बहुत संघर्षरत व समाजसेवी , मृदुभाषिणी, महिला है।

उसकी शादीशुदा लाइफ उससे भी ज्यादा संघर्षमय थी। दो वर्ष पहले ही उसका विवाह हुआ था परिवार संपन्न तो था पति भी बहुत खूबसूरत था यह उसकी किस्मत थी कि सभी रिश्तेदार इसी बात से जलने लगे थे कि उसके पति की खूबसुरती हजारों में एक है। उसकी तो बस यह इच्छा थी उसे अच्छी लंबाई और कैरियर वाला पति मिले न कि रंग और खूबसुरती उसकी प्राथमिकता में थी।

जब वह ससुराल बहू बन कर गई तो मन ही मन हर्षित थी कि जो उसने चाहा उससे बढ़कर अच्छे लोग मिले हैं लेकिन अच्छे लोगों का मुखौटा भर था। ससुराल पहुँचते ही नंदों ने रोना -धोना शुरू कर दिया कि उनका प्यार बँट गया। और फिर नई भाभी के बारे में अपने भाई के कान भरना शुरू कर दिया।

चार ननद,,वह सभी एक से बढ़कर एक! उन्होंने छोटी भाभी के लिए ससुराल में रहने के तमाम नियम बना दिये जैसे इनको कितने दिन भाई के साथ सर्विस में रहना है और कितने दिन सास- ससुर के साथ रहना है

मायके न के बराबर रहना है और अपने माता पिता को भूलना होगा अपना कैरियर भूलकर घर संभालना होगा सस्ते कॉस्मेटिक, लगाने होंगे व सस्ते कपड़ों से काम चलाना होगा ताकि पैसा बच सके।

घूमने के नाम पर आस पास के मंदिरों तक सीमित रहना होगा।

अचानक इतना सब सुनकर उसको बहुत घुटन हुई क्योंकि मायके में उसे यही माँ से सुनने को मिलता था पति के साथ ही कहीं जाना, उसके साथ घूमना, कभी दूर का टूर नहीं करने दिया गया। कई बार तो उसने अवार्ड तक कैंसिल कर दिया। विवाह करके उसको सुकूँ हुआ था अब सब सही होगा वह पति की अनुमति से या उनके साथ कहीं आ जा सकेगी।

विवाह पूर्व् खुलकर बातचीत भी हुई थी तब सभी राजी थे। लेकिन ससुराल जाते ही वहाँ का माहौल बदल गया था जिसमें घुटन के सिवाय कुछ न था

विवाह के तुरंत दस दिन बाद वह पति के साथ शहर गई वहाँ उसने पत्नी रूप में गृहस्थी को अपने तरीके से संभालना शुरू ही किया था कि एक दिन पति ने आते ही ताने मारने शुरू कर दिये वह समझ नहीं पा रही थी आखिर क्या गलती हुई।

फिर रोज – रोज ताने मिलने लगे जो गलतियाँ न भी हों पति अपने परिवार से उनकी भी शिकायतें करने लगे।

वह समझ नहीं पा रही थी अचानक ऐसा क्या हुआ लेकिन उसको अब पति के चरित्र पर संदेह होने लगा था धीरे – धीरे उसके हाथ बहुत से सबूत लगे जिससे उसे पति की अय्याशी और शराबी होने का पता चला।

उधर उनकी दो नंदों ने टूबी एच के फ्लेट होते हुए भी अपनी संताने मामा के साथ रहने को भेज दीं उनमें एक भांजा छब्बीस वर्ष का था उसने तो मामी को लाईन मारना शुरू कर दिया।

यह बात वह अच्छे से जानती थी कि इसका वह जब भी विरोध करेगी कोई इस बात पर भरोसा नहीं करेगा।

धीरे – धीरे भांजे की बत्तमीजियां जब असहनीय हो गईं तो उसने ससुराल में सास ससुर से कहा कि छोटे फ्लेट में उसे समस्या होती है जिसपर ससुर जी ने कहा वह रिश्तेदारी नहीं तोड़ सकते तुम्हें रहना हो रहो।

वह मायके चली आयी पति ने बात करना बंद कर दिया और ब्लॉक कर दिया।

उसने बात करने की कोशिश की लेकिन पति ने कुछ भी सुनने से इंकार कर दिया।

ऐसे में उसका बहुत दिल टूट गया सभी सपने, सपने बनकर चूर हो गए वह वेदना से भर उठी, मरने का कई बार मन में ख्याल आता तो वह खुद को समझाती कई लव एक्सपर्ट के टॉक्सिक रिलेशन वाले मोटीवेशनल वीडियो देखे, मेडिटेशन किया, बीमार पड़ी फिर खुद को संभाला।

लेकिन उसके जीवन से रिश्तों की मधुरता खत्म हो चुकी थी अब उसकी नजर में रिस्तो की कोई कीमत नहीं थी सास ससुर की सेवा करने का भाव, पति को प्रेम देने का भाव नफ़रत में बदल चुका था।

नंदों के प्रति तो इतनी कड़ुआहट ने जन्म ले लिया था जो निकलना बहुत मुश्किल प्रतीत होता था।

आजकल ऐसे टोक्सिक रिश्तों की बाढ़ आ चुकी है जहाँ लालचवश सगे लोग भी पति पत्नी के संबंधों में मधुरता नहीं पनपने देते जिससे कुछ कामुक स्वभाव के लोग पवित्र संबंधों से हटकर बाहर संबंध बना लेते हैं जिससे उन्हें हानि ही मिलती है। खैर सोशल मीडिया इन खबरों से पटा पड़ा है तमाम लोगों ने तो दुखडा सुनने तक का व्यवसाय बना रखा है।

मुझे बस इतना कहना है रिश्तों की कीमत को गहराई से समझना चाहिए गैरों की बातों से पहले मन की सुननी चाहिए पार्टनर को दुःख नहीं देना चाहिए क्योंकि एक वही हमेशा साथ रहता है अन्य कोई अंतिम समय तक साथ नहीं देता। रिश्तों की कीमत की मधुरता एक बार खत्म हो गई तो फिर उस गाँठ को नहीं हटाया जा सकता।

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