संग्रहणी (Sprue) का रामबाण इलाज: संग्रहणी (Sprue) एक रोग है जिसमें आंतें खाने से पोषक तत्वों को निकालने में असमर्थ होती हैं। संग्रहणी भूख में कमी, दस्त, वजन घटाने, मांसपेशियों में ऐंठन, पीली त्वचा और हड्डियों में दर्द का कारण बन सकती है।
अपेंडिक्स के कारण, लक्षण, घरेलू इलाज
संग्रहणी रोग के कारण
अतिसार और अजीर्ण की चिकित्सा न करने पर संग्रहणी रोग उत्पन्न होता है, जिसमें रोगी की अग्नि बहुत ज्यादा मंद हो जाती है। वक़्त पर एवं हलका किया हुआ खाना भी रोगी को पच नहीं पाता है।
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संग्रहणी रोग के लक्षण
संग्रहणी रोग में रोगी कभी पतला एवं कभी सख्त मल निकलता है। पेट में भारीपन, गैस बनना, पेट में दर्द, भार एवं शक्ति का कम होते जाना, अवसाद, त्वचा में रुखापन इत्यादि लक्षण रोगी में मिलते हैं।
संग्रहणी रोग के घरेलू उपचार (चिकित्सा)
- सोंठ का चूर्ण आधी चम्मच की मात्रा में गर्म जल के साथ सुबह-शाम लें।
- चावलों में चांगेरी के पत्तों का रस डालकर उबालें। इसे तीन चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार लें।
- काली मिर्च, काला नमक एवं चित्रक की जड़ समान भाग लेकर कूटें एवं छान कर रखें। इसे आधा-आधा चम्मच छाछ के साथ दिन में तीन बार दें।
- सोंठ, मिर्च, पिप्पली, दालचीनी, इलायची एवं तेजपात सब ही एक-एक भाग तथा अनारदाना दो भाग लेकर चूर्ण बना लें। इन सबके वजन के बराबर शकर मिला दे। 1 से 3 ग्राम की मात्रा से मट्ठे के साथ सेवन करें।
आम, जामुन एवं आम्बाड़ा की बराबर मात्रा में ली हुई 200 ग्रा. छाल को 16 गुना जल में उबालें। आधा जल शेष रह जाने पर उतार कर छान लें एवं इसमें पाव भर चावल डालकर पकाएं। खिचड़ी नुमा गाढ़ी हो जाने पर आंच पर से उतार लें एवं इसे ग्रहणी के रोगी को सुबह-शाम खाने को दें। सप्ताह भर में ही रोग से मुक्ति हो जाएगी।
सूखे हुए आंवले को रात भर भिगोकर रखें और कच्चा आंवला लें। बराबर मात्रा में काला नमक डालकर बारीक पीसें। आधा-आधा ग्राम की गोली बनाकर छाया में सुखाएं और एक-एक गोली दिन में दो बार खाना के बाद लें।
गाय के दूध से बना छाछ संग्रहणी के रोगी के लिए सर्वोत्तम है। पहले दिन-चार बार में आधे से एक लीटर की मात्रा में छाछ रोगी को दें। इसमें स्वाद के मुताबिक काली मिर्च और काला नमक मिला ले।
छाछ की मात्रा प्रतिदिन बढ़ाते जाएं एवं 20 से 25 लीटर तक ले जाएं। शुरु में जल एवं हलका खाना दें, जिसकी मात्रा घटती जाती है एवं सप्ताह भर बाद सिर्फ छाछ ही दें। बीस दिन के बाद छाछ की मात्रा कम करते जाएं एवं हलका खाना थोड़ी-थोड़ी मात्रा में देना शुरू कर दें।
संग्रहणी रोग की आयुर्वेदिक दवा (औषधियां)
अंकोठमूल चूर्ण, शुंठी चूर्ण, चित्रकमूल चूर्ण, वृहतगंगाधर चूर्ण, दाड़िमाष्टक चूर्ण, कपित्थाष्टक चूर्ण, हिंग्वाष्टक चूर्ण, जातीफलादि चूर्ण, नृपति वल्लभ रस, पीयूषवल्ली रस, महागन्धक योग, पंचामृत पर्पटी, रस पर्पटी, स्वर्ण पर्पटी।
संग्रहणी रोग की पेटेंट दवा (औषधियां)
जीमनैट सीरप और गोलियां (एमिल), गारलिल गोलियां (चरक), डर्मोनेट कैप्सूल (डाबर) इस रोग की चिकित्सा में उपयोगी पाए गए हैं।
FAQ
संग्रहणी कितने प्रकार की होती है?
संग्रहणी दो प्रकार की होती है: उष्णकटिबंधीय और गैर-उष्णकटिबंधीय।
संग्रहणी रोग में क्या खाना चाहिए?
सोंठ का चूर्ण, चावलों में चांगेरी के पत्तों का रस, आम, जामुन एवं आम्बाड़ा, गाय के दूध से बना छाछ,
संग्रहणी रोग क्या है?
संग्रहणी (Sprue) एक रोग है जिसमें आंतें खाने से पोषक तत्वों को निकालने में असमर्थ होती हैं। संग्रहणी भूख में कमी, दस्त, वजन घटाने, मांसपेशियों में ऐंठन, पीली त्वचा और हड्डियों में दर्द का कारण बन सकती है।
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