नक्षत्रों के नाम | मूल नक्षत्र – दोस्तों क्या आप जानते हैं नक्षत्र कितने होते हैं ? अगर नहीं तो आज हम इस आर्टिकल में इसी विषय के बारे में बात करेंगे | Nakshatra Gyan aur Swami | सम्पूर्ण नक्षत्र ज्ञान हिंदी, हेलो दोस्तों आज की पोस्ट में हम बात करने वाले है ” Nakshatra Gyan aur Swami यानि सम्पूर्ण नक्षत्र ज्ञान ” के बारे में ” हिंदी में !
नक्षत्र ज्ञान जानकारी
ज्योतिषियों ने पुरे आकाश और मंडल को 27 भागों में बांटा हैं ! हर एक अलग अलग भाग को एक अलग नक्षत्र के नाम से जाना जाता हैं | जैसे धरती पर हम जमीन को किलोमीटर से नापते हैं यानी एक जगह से दूसरे जगह के बीच की दूरी को किलोमीटर में नापते हैं ठीक उसी प्रकार से आकाश में एक स्थान से दूसरे स्थान के बीच की दूरी को नक्षत्रो के द्वारा नापा जाता हैं |
धरती पर जमीन को हम किलोमीटर और उसमे और छोटे मीटर और सेंटीमीटर से नापते हैं उसी प्रकार से एक नक्षत्र(Nakshatra) को 4 भागों में बांटा गया हैं और 60 अंशो में विभाजित किया गया हैं | नक्षत्रों के अंश को घटी के नाम से भी पहचानते हैं |
27 नक्षत्रों के नाम क्या-क्या है ?
नक्षत्र ज्ञान और स्वामी – Nakshatra Gyan aur Swami | सम्पूर्ण नक्षत्र ज्ञान हिंदी |
- अश्विनी
- भरणी
- कृतिका
- रोहिणी
- मृगशिरा
- आर्द्रा
- पुनर्वसु
- पुष्य
- अश्लेषा
- मघा
- पूर्वाफाल्गुनी
- उत्तराफाल्गुनी
- हस्त
- चित्रा
- स्वाति
- विशाखा
- अनुराधा
- ज्येष्ठा
- मूल
- पूर्वाषाढा
- उत्तराषाढा
- श्रवण
- धनिष्ठा
- शतभिषा
- पूर्वाभाद्रपद
- उत्तराभाद्रपद
- रेवती
उत्तराषाढा नक्षत्र की आखिरी 15 घटी और श्रवण नक्षत्र की प्रथम 4 घटी कुल 16 घटी का एक नक्षत्र माना जाता हैं | अभिजित सहित कुल नक्षत्रो की संख्या 28 हैं 28 नक्षत्रो में अभिजित नक्षत्र 22वा नक्षत्र माना जाता हैं | इसके बाद श्रवण से रेवती तक क्रमश: 23 से 28 तक की संख्या वाले नक्षत्र आते हैं |
यह उपर जो लिस्ट हैं ये तो नक्षत्र का ज्ञान यानि नक्षत्र के विषय में जानकारी और कितने नक्षत्र हैं वो सब आप अब तक जान चुके होंगे | अब नीचे हम नक्षत्र स्वामी के बारे में बात करेंगे |
नक्षत्र(Nakshatra) और नक्षत्र स्वामी
नीचे दिए गए नक्षत्र और नक्षत्र स्वामी के बारे में बताया गया हैं | किस नक्षत्र के कौन से स्वामी देवता हैं यह आप नक्षत्र के ठीक सामने देख सकते हैं | 28 नक्षत्रों के स्वामी 28 देवता माने गए हैं | जिन देवता का जैसा स्वभाव होता हैं ठीक उसी प्रकार का स्वभाव उस नक्षत्र का भी होता हैं और जिस जातक यानि जिस व्यक्ति का जन्म जिस नक्षत्र में होता हैं उस जातक (व्यक्ति) का स्वभाव भी उसी प्रकार ही माना जाता हैं | नक्षत्रों के स्वामी इस प्रकार हैं :-
- अश्विनी – अश्विनीकुमार
- भरणी – काल
- कृतिका – अग्नि
- रोहिणी – ब्रह्मा
- मृगशिरा – चंद्रमा
- आर्द्रा – रूद्र
- पुनर्वसु – अदिति
- पुष्य – बृहस्पति
- अश्लेषा – सर्प
- मघा – पितर
- पूर्वाफाल्गुनी – भग
- उत्तराफाल्गुनी – अर्यमा
- हस्त – सूर्य
- चित्रा – विश्वकर्मा
- स्वाति – पवन
- विशाखा – शुक्राग्नि
- अनुराधा – मित्र
- ज्येष्ठा – इंद्र
- मूल – निऋति
- पूर्वाषाढा – जल
- उत्तराषाढा – विश्वेदेवा
- अभिजित – ब्रह्मा
- श्रवण – विष्णु
- धनिष्ठा – वसु
- शतभिषा – वरुण
- पूर्वाभाद्रपद – अजैकपाद
- उत्तराभाद्रपद – अहिबुर्धम्य
- रेवती – पूषा
उपर 28 नक्षत्र और इनके स्वामी के बारे में जानकारी दी गयी हैं | तो आज आप ने जाना की ब्रह्माण्ड में कितने प्रकार के नक्षत्र होते हैं और किस नक्षत्र के चरण में से पैदा होने वाला व्यक्ति जिसे ज्योतिष में जातक कहा जाता हैं उसका स्वभाव वैसा ही हो जाता हैं जैसा की उस नक्षत्र का होता हैं जिनमे जातक पैदा हुआ हैं !
इन सब चीज़े जातक के उपर अपना पूरा प्रभाव डालती हैं | किस नक्षत्र का स्वामी कौन हैं यह भी आप उपर देख सकते हैं और बड़े ही सरल और अच्छे तरीके से आपको समझाया गया है चीजों के बारे में आप से देख सकते हैं की किस नक्षत्र का स्वामी कौन हैं और उस नक्षत्र का स्वभाव कैसा हैं और उस नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक का व्यवहार कैसा होगा यह उस नक्षत्र के देवता का नाम और उनके व्यवहार को देखकर आप को पता चल ही जायेगा |
तो आज का ये आर्टिकल “Nakshatra Gyan aur Swami यानि सम्पूर्ण नक्षत्र ज्ञान” कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये धन्यवाद
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