ऑस्ट्रेलिया के अनोखे प्राणी: इस आर्टिकल में आपको बहुत ही मजेदार ऑस्ट्रेलिया के अनोखे प्राणियों के बारे में रोचक जानकारी मिलेगी।
ऑस्ट्रेलिया के अनोखे प्राणी
कोअला ऑस्ट्रेलिया में पाया जाने वाला एक जिव है। इनके छोटे बच्चे एक थैली में पनपते और बड़े होते है।
कोअला से खांसी की गोलियों जैसी खुश्बू आती है। क्युकी ये केवल यूकेलिप्टस के पत्ते खाते है।
कोअला पुरे दिन में 22 घंटे सोता है।
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला एक मेंढक साल में 11 महीने जमीन के अंदर सोता है। और बारिश के कुछ दिनों में ही जमीन से ऊपर आकर खाता पिता और अंडे देता है।
जब कंगारु का बच्चा जन्म लेता है तो वो एक मधुमक्खी के बराबर होता है। फिर ये अपनी माँ की थैली में 33 हफ्तों तक रहता है। जहा ये दूध पीकर बड़ा होता है।
कंगारु अच्छे तैराक होते है।
तस्मानियाई डेविल (सैतान) असल में मार्सुपियल होते है। और देखने में बड़े चूहों जैसे लगते है। ये गुर्राते है और धारदार दांत भी होते है।
“पोटोरू” छोटे कंगारु होते है और खरगोश जितने बड़े होते है।
‘डिंगो’ जंगली ऑस्ट्रेलियाई कुत्ते होते है। कुछ लोग डिंगो के पिल्लो को पकड़ कर पालते है। बड़े होकर वे अच्छे पालतू जानवर बनते है।
पूरी दुनिया में केवल सिर्फ 2 ही स्तनपाई जिव अंडे देते है १. प्लेटिपस २. कँटीला “इंटाइटर” और ये दोनों जिव ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते है।
“कसोवरी” 5 फीट ऊँचा एक ऑस्ट्रेलियाई पक्षी है। इसके सिर पर हड्डियों से बनी एक सख्त टोपी और पैरो में नुकीले पंजे होते है। कसोवरी अपनी एक जोरदार डुलती से किसी आदमी को मार भी सकती है।
नर प्लेटिपस के टखनों में नुकीले पंजे होते है और इन पंजो में इतना जहर भरा होता है जो एक कुत्ते को मारने के लिए काफी होगा।
“बैंडिकूट” चूहे जैसा छोटा और नुकीले चेहरे वाला मार्सुपियल होता है। बैंडिकूट की थैली पीछे की तरफ खुलती है। इसलिए जब वो जमीन की खुदाई करता है तब उसमे मिट्टी नहीं भरती है।
ऑस्ट्रेलिया के अनोखे प्राणी