अपेंडिक्स का रामबाण इलाज | अपेंडिक्स के कारण, लक्षण, घरेलू इलाज: आन्त्रपुच्छ (अपेंडिक्स) बहुत ज्यादा आंत का ही भाग है, जिसकी सरीर में किसी उपयोगिता नहीं रहती है। ये रोग अधिकांशत: बच्चों एवं युवकों में होता है।
अपेंडिक्स के कारण
सरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति की कमी तथा आंतों में जीवाणु संक्रमण प्रबल होने पर आन्त्रपुच्छ (अपेंडिक्स) में सूजन हो जाती है।
ये ग्रामीणों की तुलना में शहरी व्यक्तियों में ज्यादा होता है, जिसका कारण संभवत: शहरी व्यक्तियों के खाना में रेशे और विटामिन की कमी होना है, जिससे मलावरोध होकर आंतों में संक्रमण हो जाता है।
अगर सुजन के कारण अपेंडिक्स का मुख सूज जाने से बंद हो जाए, तो इसके अंदर होने वाला श्लेष्म-स्राव अंदर ही रुक जाता है, जिससे अपेंडिक्स की दीवारों में बसा हुआ शिराएं और लसीका वाहिनियाँ फ़ट जाती हैं। ये रोग मांसाहारियों में ज्यादा पाया जाता है।
अपेंडिक्स के लक्षण
अचानक पेट में दर्द होना इस रोग का प्रमुख लक्षण है। ये प्राय: सुबह के वक़्त होता है, जबकि नाभि के नजदीक शूल नुमा चुभन के साथ रोगी की नींद खुलती है।
24 घंटे के अंदर ये पसलियों के नीचे दाईं ओर एक बिंदु पर केंद्रित हो जाता है। इसका दूसरा लक्षण बुखार तथा तीसरा लक्षण कब्ज़ है।
उलटी भी हो सकती है। रोगी प्राय: दाईं टांग को पेट पर सिकोड़ कर सीधा लेटा रहता है।
अपेंडिक्स का रामबाण इलाज
शरीर में अपेंडिक्स की किसी उपयोगिता न होने तथा संक्रमण तीव्र होने पर शल्य क्रिया ज़रिये इसे काट कर निकाल देते हैं। अगर रोग ज्यादा तीव्र न हो, नाड़ी की गति लगातार बढ़ न रही हो, तो रोगी को निम्न ढंग से चिकित्सा शुरू कर सकते हैं :
- जब तक तापमान और नाड़ी आम न हो जाए, रोगी को निराहार रखें।
- दर्द के लिए पेट पर गर्म जल की बोतल रखें और मलावरोध के लिए रोगी को वस्ति (एनिमा) दें।
- लहसुन का रस 27 भाग, एरंड का तेल 9 भाग, सेंधानमक 3 भाग और हींग 1 भाग सबको मिलाकर आंच पर पकाएं। इसे एक-एक चम्मच दिन में दो बार दें।
- एरंड का तेल 4 चम्मच से 6 चम्मच तक सुबह-शाम दूध के साथ दें।
- आंवले का रस, गन्ने का रस एवं हरड़ का क्वाथ (सभी सम भाग) तथा इनका एक चौथाई भाग गाय का धी लेकर घृतपाक करें। इसमें से एक-एक चम्मच दिन में तीन बार दें।
- त्रिफलाचूर्ण और खांड़ एक-एक चम्मच लेकर एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में दो बार चटाएं।
- सुबह खाली पेट पाव भर टमाटर काला नमक डालकर खाएं, तक़रीबन 15-20 दिन तक प्रयोग करें।
- गाजर का रस एपेंडिसाइटिस रोग में काफी प्रभावकारी है। इसका एक-एक गिलास रस दिन में तीन बार पिएं।
- साबुत मूंग को 12 घंटे जल में भिगोकर रखें। 12 घंटे बाद छानकर ये जल रोगी को पीने को दें।
- रोगी को नियमित रूप से दही और छाछ पीने को दें, क्योंकि दही और छाछ में प्रस्थान लैक्टिक एसिड की उपस्थिति में जीवाणु नहीं पनप सकते। दही में काला नमक और काली मिर्च डालकर रोगी को दें।
आयुर्वेदिक औषधियां
पुनर्नवारिष्ट, हिंगुत्रिगुण तैल, हिंग्वांदिघृत, कांकायन गुटिका, गुल्मशार्दूल रस, गुल्महर चूर्ण, हिंगुनवक चूर्ण, व्योषादिघृत।
अपेंडिक्स का रामबाण इलाज
- बालों का झड़ना कैसे बंद करें | balo ka jhadna kaise roke
- जनरल साइंस हिंदी
- फोबिया लिस्ट इन हिंदी - फोबिया क्या है?
- राजस्थान की नदियां questions
- Jokes in hindi for kids | बच्चों के लिए चुटकुले
- Best friend jokes in hindi | दोस्त चुटकुले
- हँसाने मजेदार चुटकुले - हसा हसा फनी जोक्स
- 100 हिन्दी चुटकुले | सबसे मजेदार चुटकुले
- 1000 मजेदार चुटकुले | हँसाने मजेदार चुटकुले
- हंसी के चुटकुले हिंदी में | Hansi majak ke chutkule
- राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ
- 20+ Interesting facts about rajasthan in hindi
- सोचने समझने की शक्ति कैसे बढ़ाएं
- रंग हमारे लिए क्यों जरूरी है - रंगों का मनोविज्ञान
- राजस्थान के रीति - रिवाज | Culture of rajasthan in hindi