कब्ज के लक्षण एवं उपचार
By factsknowledge

कब्ज के लक्षण एवं उपचार

कब्ज के लक्षण एवं उपचार | कब्ज (Constipation) कारण,लक्षण,घरेलू इलाज: दोस्तों कब्ज एक ऐसा रोग है जो साधारणतः सबको होता ही रहता है मल निकलने में कठिनाई होना या कई दिनों तक मल ना निकलना ही कब्ज कहलाती है, कब्ज होने के कई कारण हो सकते है आज हम कारण लक्षण और इलाज के बारे में पढेंगे।

कब्ज के कारण

फल, हरी सब्जियों, सलाद इत्यादि में प्रस्थान रेशा मल छोड़ हेतु आंत की प्रेरक गति के लिए जरुरी है। खाना में लगातार इनका सर्वथा अभाव और बिल्कुल कम मात्रा, कब्ज के कारण है।

इसी तरह अन्न के चोकर में प्रस्थान विटामिन बी भी इस क्रिया में ख़ास भूमिका निभाता है एवं छिलकारहित अनाज जैसे मैदा, बिना चोकर का पतला आटा, मशीन का पालिश किया हुआ चावल अगर लंबे वक़्त तक खाना में लिए जाएं, तो कब्ज़ उत्पन्न करते हैं।

यकृत से निकलने वाला पाचक पित्त भी आंत की इस क्रिया में सहायक होता है एवं यकृत का किसी रोग होने पर भी कब्ज हो सकता है।

आलस्य, शारीरिक श्रम का अभाव, मोटापा, पीलिया, कमजोरी, मधुमेह, क्षयरोग, बुढ़ापा इत्यादि अन्य ऐसे कारण हैं, जिनसे आंतें निर्बल हो जाती हैं। आंतों की निर्बलता के कारण उनकी क्रियाशीलता एवं कार्यशीलता प्रभावित होने से कब्ज़ हो सकता है।

बराबर अजीर्ण के कारण तथा पेट में गैस ज्यादा बनने के कारण भी मल का निष्कासन भली-भांति नहीं हो पाता।
तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन, प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन, आंत में कैंसर और टी.बी. होने से भी कब्ज़ बना रहता है।

किसी स्थान का जल भारी होना भी कब्ज़ का कारण बन सकता है। चिंता, शोक, क्रोध, विक्षुब्धता, उदासी, अवसाद, अप्रसन्नता, तनाव इत्यादि मानसिक कारणों से भी पाचक रसों एवं आंतों की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जो अंतत: कब्ज़ का कारण बनती है। पेट में कीड़े होने के कारण भी कब्ज़ हो सकता है।

कब्ज के लक्षण

मल छोड़ कठिनता से होता है, कई बार शौच जाने के बावजूद पेट साफ नहीं होता। पेट में भारीपन बना रहता है, मल चिकनाईयुक्त रहता है, सरीर में स्वाभाविक स्फूर्ति नहीं रहती, पेट में गैस बनी रहती है और भूख में क्रमश: कमी आती है।

लंबे वक़्त तक कब्ज़ बने रहने की स्थिति में पेट में दर्द, खट्टी डकारें और पेट में जलन शुरू हो जाती है (कब्ज के लक्षण) है।

कब्ज का उपचार

कब्ज का उपचार भी उसके कारण के मुताबिक करनी चाहिए:

  • भोजन एवं खाने की आदतों में सुधार लाना जरुरी है। अगर खाना में फल, हरी सब्जियों, सलाद इत्यादि रेशे युक्त पदार्थों की कमी है, तो इनकी काफ़ी मात्रा लेनी चाहिए।
  • मैदा का प्रयोग खाना में बंद कर चोकरयुक्त आटे की रोटी भोजन शुरू करें, मशीन का साफ किया हुआ चावल और पालिश किए हुए अनाज का प्रयोग बंद कर दें।
  • पानी दूषित और भारी होने की स्थिति में उबाल कर पिएं। गरिष्ठ खाना का छोड़ कर हलका और सुपाच्य खाना लें।
  • मरीज को चिंता, शोक, भय, अवसाद इत्यादि मानसिक भावों का छोड़ कर प्रसन्नचित रहने की आदत डालनी चाहिए।
  • सुबह खाली पेट एक सेब छिलके सहित खाएं।
  • सुबह खाली पेट पपीते की फांक पर काला नमक, काली मिर्च और नीबू डाल कर लें। दोपहर और रात के खाना में भी पपीते का प्रयोग करें।
  • नाश्ते में एक चम्मच गुलकंद को एक गिलास संतेरे के रस के साथ लें।
  • सुबह-शाम नारियल का एक-एक गिलास जल पिएं।
  • पके हुए सामान्य का रस गर्म दूध के साथ लें।
  • गेहूं के चोकर की चाय बनाकर लें। चोकर को 6 गुना जल में उबालकर उसमें शहद और नीबू मिलाकर रात को सोते वक़्त लें।
  • एरंड का तेल चार चम्मच रात को सोते वक़्त गर्म दूध के साथ लें। अथवा 4 चम्मच एरंड का तेल तथा सोंठ का काढ़ा बराबर मात्रा में मिलाकर प्रात: काल लें।
  • पके हुए बेल का गूदा गुड़ के साथ रात को सोते वक़्त लें।
  • सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने जल में एक नीबू और एक चम्मच शहद मिलाकर लें।
  • बेलगिरी का गूदा गुड़ और शक्कर के साथ रात को सोने से पहले लें।
  • दो-तीन सूखे अंजीर रात-भर जल में भिगोकर रखें। अगली सुबह एक चम्मच शहद के साथ लें। अगर मधुमेह के कारण कब्ज़ हो, तो केवल अंजीर के बीज ही एक चम्मच शहद के साथ लें, गूदा नहीं।
  • रात-भर जल में भिगोकर रखे गए दो सूखे आंवले और दो ताजे आंवले का गूदा सुबह एक चम्मच शहद में मिलाकर लें।
  • संतरे, बेल, अनार और नीबू का शरबत 20 से 40 मि.ली., दिन में तीन बार लें।
  • काबुली (पीली) हरड़ रात को जल में भिगो दें। सुबह हरड़ को भिगोए हुए जल में रगड़ें और थोड़ा-सा नमक मिलाकर पिलाएं। एक हरड़ 5-7 दिन काम देगी। महीने भर में पुरानी-से-पुरानी कब्ज़ दूर हो जाएगी।
  • 20 मुनक्के एक गिलास दूध में उबालकर रात को सोने से पहले पिएं, ऊपर से बचा हुआ दूध पी लें।
  • एक भाग सोंठ, पांच भाग त्रिफला एवं पांच भाग सौंफ को बारीक कूटकर धान ले। बाद में इसमें पांच भाग बादाम की गिरी एवं तीन भाग मिसरी मिलाकर कूट लें। रात को सोने से पहले ये 1 चम्मच दवा दूध के साथ लेने से कब्ज़ खत्म हो जाती है।
  • हींग, सेंधानमक एवं शहद बराबर मात्रा में लेकर मिलाएं तथा एक से दो इंच लंबी और डेढ़ इंच मोटी बत्ती बनाएं। इस बत्ती को घी से चिकना कर गुदा मार्ग में डालें।
  • एक-एक चम्मच बादाम रोगन गर्म दूध से सुबह-शाम लें।
  • बथुए की सब्जी का प्रयोग ज्यादा करें, इसमें तेल न डालें, सिर्फ थोड़े-से सेंधा नमक का प्रयोग करें। बथुए का रायता भी कब्ज़ में लाभदायक है। बथुए के उबले हुए जल में नीबू का रस, जीरा, काली मिर्च, सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार पिएं।
  • सौंफ को तवे पर भूनें। अधभुनी अवस्था में इसे उतार लें एवं सुबह-शाम खाना के बाद इसका सेवन चबाकर करें।
  • रात को खाना के साथ एक और दो अमरूद खाएं। नाश्ते में अगर केवल अमरूद लिया जाए, तो कब्ज़ के साथ-साथ अफारा, पेट गैस इत्यादि अनेक रोगों से फायदा होता है। काला नमक, काली मिर्च और नीबू स्वाद के मुताबिक प्रयोग करें।
  • पके हुए 2 केले नियमित रूप से रात को खाएं।
  • रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म जल में एक चम्मच नीबू का रस मिलाकर लें।
  • सुबह खाली पेट तरबूज खाएं और तरबूज का रस पिएं।
  • सुबह खाली पेट एक गिलास संतरे के रस में एक चम्मच गुलकंद मिलाकर लें।
  • छिलके समेत खाली पेट सेब खाएं।
  • खुबानी में सैल्युलोज और पैक्टिन काफ़ी मात्रा में होता है, अंत: कब्ज़ के रोगी को रात को खुबानी खिलाएं।

कब्ज की आयुर्वेदिक दवा

पंचसकार चूर्ण, मधुयष्टि चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, आंवला चूर्ण और काली हरड़ (घी में भुनी हुई) कोई का भी एक चम्मच चूर्ण सोते वक़्त गर्म जल के साथ लें। इच्छाभेदी रस की 1 गोली गर्म जल के साथ ले सकते हैं। अभयारिष्ट अथवा कुमारी आसव 4 से 8 चम्मच की मात्रा में रात को सोते वक़्त गर्म जल मिलाकर लें।

कब्ज की पेटेंट औषधियां (दवा)

एमलैक्स गोलियां और पाउडर (माहेश्वरी), एक चम्मच कब्जहर चूर्ण (बैद्यनाथ) और नेचर केयर (डाबर) अथवा रैगूलैक्स फोर्ट गोलियां (चरक) और हरबोलैक्स गोलियां (हिमालय) को प्रयोग किया जा सकता है।

Check Our 4,000+ Facts in Hindi Collections on PINTEREST

Checkout Facts in Hindi Linktree Collections

Checkout Facts in Hindi Tumblr Collections

फैक्ट्स इन हिंदी @Medium

यह भी पढ़े:

Checkout Hindi Facts Collections at Promoteproject

Category: