अम्लपित्त का घरेलू उपचार: अम्लपित्त (Peptic Ulcer) रोग के कारण, लक्षण एवं घरेलू उपचार अम्लपित्त एक पेट में छाला और फुंसी की तरह खुले घाव होते हैं जो पेट के अंदर के हिस्से एवं छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में पायी जाती है। इस आर्टिकल में हम अम्लपित्त रोग के कारन, लक्षण एवं इलाज के बारे में पढ़ेंगे।
अम्लपित्त रोग के कारण
अचार, मिर्च, मसाले, सिरके, मदिरा, तले हुए और चटपटे भोजन, चाय इत्यादि पदार्थों का ज्यादा मात्रा में और लबें वक़्त तक सेवन किया जाए, तो अम्लपित्त एवं परिणामशूल नामक रोग हो जाते है।
विक्षोभशील व्यक्तियों में ये रोग ज्यादा पाया जाता है, क्योंकि ऐसे व्यक्तियों में चिंता, तनाव, शोक, भय, गुस्सा इत्यादि मानसिक भावों के कारण वेगस नाड़ी की क्रियाशीलता बढ़ जाती है।
जिससे आमाशय में स्वाभाविक रूप से स्रवित होने वाले हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (जो खाना के पाचन के लिए अश्वावश्यक है) की मात्रा बढ़ जाती है, जो इस रोग के लिए उत्तरदायी है। शुरू में रोग की उपेक्षा करने से अम्ल के कारण आमाशय में घाव बन जाते हैं।
घाव बनने के बाद भी अगर रोग का उपचार न किया जाए, तो शल्य क्रिया के बिना चिकित्सा संभव नहीं हो पाती।
ये रोग पुरुषों में स्त्रियों की तुलना में 10 गुणा ज्यादा होता है।
अम्लपित्त रोग के लक्षण
भोजन करने के तक़रीबन तीन घंटे बाद पेट और छाती में जलन होने लगती है, रोगी को खट्टी डकारें आती हैं एवं पेट में दर्द शुरु हो जाता है। मुंह से खट्टा जल भी आने लगता है। कुछ खा लेने अथवा उलटी कर देने से शांति मिल जाती है, क्योंकि उलटी करने से अम्ल्युक्त खट्टा जल बाहर गुजर जाता है एवं कुछ खा लेने से तेजाब निष्क्रिय हो जाता है।
अम्लपित्त का घरेलू उपचार
- भोजन के बाद एक और दो लौंग मुंह में रखकर चूसने से अम्लपित्त में आराम मिलता है।
- गाजर का रस सुबह-शाम पीने से अम्ल रोग ठीक हो जाता है।
- काबुली (पीली) हरड़ के छिलके के चूर्ण में समान मात्रा में पुराना गुड़ मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें और सुबह-शाम प्रयोग करें।
- खाना खाने के बाद सुबह-शाम तक़रीबन 10 ग्राम गुड़ मुंह में रखकर चूसें।
- एक ताजा आंवला और उसका मुरब्बा और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें।
- सुबह से शाम 10-15 ग्राम सौंफ का काढ़ा बनाकर पिले।
- 3 से 4 चम्मच अदरक के रस में समान मात्रा में अनार का रस मिला कर पिये।
- एक चम्मच मेथी के बीजों का चूर्ण दूध और छाछ के साथ सुबह-शाम दें।
- पुदीने की 10 पत्तियां पीसकर, 1 कटोरी जल में मिलाकर सुबह-शाम दें।
- कच्चे नारियल का रस एक-एक गिलास दिन में तीन बार पिएं।
- बेलगिरी के पके फल का शरबत पिएं।
- केले की जड़ सुखाकर, जलाकर राख कर लें। एक चौथाई चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम लें।
- एक केला एक गिलास दूध के साथ रोज सुबह-शाम लें।
- रोगी को दिन में तीन-चार बार अंगूर खिलाएं। अगर रोगी को कुछ दिन केवल अंगूर खिलाए जाएं और अंगूर का रस पिलाया जाए, तो चमत्कारिक लाभ होता है।
- रोगी को ग्रेपफ्रूट(Grapefruit) का सेवन दिन में कई बार कराएं।
आयुर्वेदिक (औषधियां)
अविपत्तिकर चूर्ण, दशांग क्वाथ, धात्री लौह, कामदुधा रस, लीला विलास रस, सूतशेखर रस, शंख भस्म आदि।
पेटेंट औषधियां
डाइजैम सीरप और ड्राप्स (माहेश्वरी), आमलकी गोलियां (एमिल), अल्सरेक्स गोलियां (चरक), डिवाइन अन्ताम्ल (बी.एम.सी.), सुक्तिन गोलियां (एलारसिन), आम्लान्त गोलियां (महर्षि आयुर्वेद), गैसान्तकवटी, अम्लपित्त मिश्रण (धूतपापेश्वर) अम्लपित्त में अत्यन्त लाभकारी हैं।
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