दुनिया के अनसुलझे रहस्य | Unsolved mysteries of the world in hindi

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दुनिया के अनसुलझे रहस्य | Unsolved mysteries of the world in hindi:- दोस्तों आज हम कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बात करेंगे जो दुनिया के अनसुलझे रहस्य हैं यानी Unsolved mysteries ये करीब पचास से ज्यादा ऐसी रहस्यमयी बाते है जो आपको हैरान कर देगी तो चलिए पढ़ते हैं

रहस्य का अर्थ है “छिपा हुआ” या “कोई कुछ नहीं जानता”। हम दुनिया के कुछ स्थानों पर नज़र डालेंगे जो कई रहस्यों (Unsolved mysteries of the world in hindi) के लिए जिम्मेदार हैं, जैसे कि लोक कथाएँ, या यहाँ तक कि आश्चर्यजनक परिस्थितियाँ, विशेष रूप से हमारे देश भारत में, जहाँ कई रहस्य बहुत शुरुआत से जुड़े हैं

आपको बता दें कि पढ़ने से पहले, अपना मन बना लें कि इससे आपका और मेरा कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन प्रकृति ने खुद ही एक अनोखी पहचान के लिए कई कड़ियों की व्यवस्था की है। प्रकृति हमें बता रही है कि इन रहस्यों के माध्यम से आप मुझे समझ सकते हैं,

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सामने आए कई रहस्य (Unsolved mysteries of the world in hindi) मनोरंजन और सामान्य ज्ञान की दावत साबित होंगे। जिसके जरिए आप अपनी प्यास को आश्चर्य से बुझा सकते हैं। एक और बात यह है कि रहस्यों के वर्णन के पीछे किसी भी सामाजिक समुदाय या किसी अन्य व्यक्तित्व को अपनाकर किसी को चोट पहुंचाने का प्रयास नहीं किया गया है। यदि ये रहस्य केवल मनोरंजन और सामान्य ज्ञान के लिए आपके सामने प्रस्तुत किए गए हैं, तो मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इसे उस दृष्टिकोण से देखें। तो रहस्यों के समुद्र में गोता लगाने के लिए तैयार हो जाओ।

दोस्तों, अभी तक विज्ञान और चिकित्सा ने चाहे कितनी ही तरक्की कर ली है, लेकिन अभी भी हमारी दुनिया बहुत से ऐसे रहस्यों से भरी हुई है जिन्हें अभी तक एक सुलझाना बाकी है। इनमे से कुछ छांट कर रहस्य (Unsolved mysteries of the world in hindi) हम आपके लिए लाए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में :

Table of Contents

अनसुलझा रहस्य 1: Mummy of Baby Alian.

साल 2003 में चिली के अटाकामा रेगिस्तान में 6 इंच लंबा विचित्र कंकाल पाया गया। अनेक लोगों का मानना है कि यह छह इंच लंबा कंकाल किसी अन्य ग्रह से संबंधित है लेकिन स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के जांचकर्ता दावा करते हैं कि यह कंकाल हजारों साल पहले इंसानी dna से छेड़छाड़ कर बनाया गया एक अन्य जीव है। हमारी दुनिया का इतिहास बड़ा ही दिलचस्प भी है और खतरनाक भी. इतिहास के कितने ऐसे राज़ हैं जिनके बारे में न तो हमें पता है और न ही हम उनकी सच्चाई जानते हैं, लेकिन किसी एक सुराग के मिलते ही हम अपने इतिहास की ही पड़ताल करने लगते हैं. दुनिया भर के आर्कियोलॉजिस्ट हमेशा किसी न किसी ऐसे ही इतिहास की खोज में रहते हैं जो उन्हें मानव सभ्यता के बारे में बताए. ममी यानी मानव कंकाल जिन्हें सहेज कर रखा जाता है वो हमेशा ही आर्कियोलॉजिस्ट की जागरुकता का केंद्र रहते हैं.

2003 में चिली के रेगिस्तान में एक ऐसा अजीब ममी मिला था जो अभी तक रहस्य बना हुआ है. ये किसी 6 फुट के इंसान का नहीं बल्कि एक 6 इंच के बच्चे का ममी था. एटाकामा रेगिस्तान में मिले इस ममी का नाम एटा रखा गया था.शुरुआती रिसर्च में इस ममी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली. इसे इसके साइज के कारण एलियन ममी कहा गया. डीएनए की जांच के बाद पता चला कि इस बच्चे में जेनेटिक म्यूटेशन थे. बौनापन और स्कोलियोसिस (रीढ़ की हड्डी का एक तरफ झुकाव) उनमें से एक था.

2018 की रिसर्च कहती है की स्टडी एटा पर की गई सबसे हालिया स्टडी है और इसके पब्लिश होने से पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि ये एटा के रहस्य को सुलझाएगी, लेकिन इसने गुत्थी को और उलझा दिया. एटा पर की गई रिसर्च की एक कड़ी (भट्टाचार्य 2018) हाल ही में सामने आई है. ये रिसर्च कहती है कि एटा दरअसल एक मानव (लड़की) का कंकाल है जो कई जेनेटिक खामियों के चलते ऐसा हो गया था. इस कंकाल में ‘accelerated bone age.’(समय से पहले हड्डियों का बढ़ जाना) जैसी कमी भी पाई गई है. हालांकि, ये स्टडी सामने आते ही विवादों का हिस्सा बन गई. लोग इस रिसर्च पर सवाल उठा रहे हैं. इंटरनेशनल रिसर्चरों के मुताबिक ये जिनोमिक (genomic) असल में सही नहीं माना जा सकता क्योंकि कंकाल असल में एक अविकसित बच्चे का नहीं बल्कि विकसित हो रहे बच्चे का हो सकता है जो 15 हफ्तों के आस-पास का हो सकता है.

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मार्च 2018 की स्टडी जो journal Genome Research में पब्लिश की गई थी वो बताती है कि ये अविकसित बच्चे का है और बाकी रिसर्चर कहते हैं कि ये विकसित हो रहे बच्चे का कंकाल है. स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के लीड रिसर्चर गैरी नोलान ने भी हालिया स्टडी के पब्लिश होते ही इसको लेकर कुछ संशय जताया था.

चिली की सरकार और साइंटिस्ट कहते हैं कि इस कंकाल को गैरकानूनी तरीके से देश के बाहर ले जाया गया था और इसपर स्टडी कभी की ही नहीं जानी चाहिए थी. एक हालिया इनवेस्टिगेशन इस बारे में संशय जताती है कि स्केलेटल और जिनोमिक एनालिसिस पूरी तरह से सही नहीं है. इस ममी को लेकर हमेशा से एक दूसरा पक्ष ये कहता रहा है कि ये इंसानी कंकाल है ही नहीं. इसके छोटे फीचर्स और हड्डियां जो कुछ-कुछ मानव कंकाल जैसे लगते भी हैं और नहीं भी बताते हैं कि ये असल में ये एलियन भी हो सकता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ ओटेगो के बायोआर्कियोलॉजिस्ट असोसिएट प्रोफेसन सिएन हैलक्रो का कहना है कि ऐसा कोई साइंटिफिक प्रोसेस नहीं है जिससे एटा का जिनोमिक एनालिसिस सही तरीके से किया जा सके. क्योंकि ये कंकाल आम लग रहा है और जेनेटिक म्यूटेशन सिर्फ इत्तेफाक भी हो सकते हैं. साथ ही कोई भी जेनेटिक म्यूटेशन ऐसा नहीं है जो कंकाल से मेल खाए वो भी इस कम उम्र में.इंटरनेशन टीम ने इस कंकाल में कई सारी समस्याएं बताईं जैसे इस कंकाल की उम्र का ठीक-ठीक पता नहीं लगाया जा सकता है. कंकाल में सिर्फ 10 पसलियां हैं जब्कि आम इंसानों में 12 होती हैं. ये भी अनियमितता को दर्शाता है. साइंटिस्ट का ये भी कहना है कि इस ममी में कई सारे जेनेटिक म्यूटेशन एक साथ हुए थे.

हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि इतनी कम उम्र में पसलियां ठीक से बनी ही नहीं होंगी और यही कारण है कि इस कंकाल के सिर को लेकर भी ये थ्योरी निकाली जा रही है कि ये प्रीमैच्योर बच्चे का कंकाल हो सकता है. नई इनवेस्टिगेशन के मुताबिक भट्टाचार्य और साथियों (जिनकी रिसर्च मार्च में पब्लिश हुई थी.) की किसी भी तकनीक से ये नहीं पता लगाया जा सकता कि एटा की असली उम्र क्या है. उनकी रिसर्च में कोई भी ऐसी तकनीक नहीं है जो असल में ये पता लगा सकें कि ये कंकाल कितना पुराना है.

रिसर्चरों का मानना है कि ये मिसकैरिज (बच्चा गिरने) का केस है और ये हाल ही का हो सकता है. इसे 40 साल से ज्यादा पुराना कोई नहीं बता सकता. ये किसी मां के उसके बच्चे को खोने की कहानी भी हो सकती है. इस कंकाल के डीएनए में काफी असमानताएं मिली हैं. कंकाल का सिर काफी असमान है और हाथ और पैर पूरी तरह से विकसित नहीं लगते और इसलिए पेलिएंथ्रोपोलॉजिस्ट विलियम जंगर्स का कहना है कि ये मानव कंकाल है जो प्रीमैच्योर पैदा हुआ था और पैदा होते ही या फिर उसके कुछ समय के अंदर ही मारा गया था.

कुल मिलाकर हालिया स्टडी ने भी इस कंकाल के बारे में गुत्थी को सुलझाया नहीं बल्कि और उलझा दिया है. इसे एलियन कहें या इंसान ये अभी तक मिले ममी में से कुछ सबसे विवादित कंकालों में से एक रहा है. एटा असल में किसी एलियन का बच्चा है या फिर किसी मां के दुख की कहानी इसके बारे में रिसर्च अभी लंबी चलेगी.

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अनसुलझा रहस्य 2: The Island of Dead :Poveglia Island Italy.

दुनियाभर में बहोत सारी ऐसी जगह है, जो की बेहद रहस्यमयी और डरावनी है। कुछ जगह तो ऐसी भी है जिसपे भूतों का साया है। Poveglia Island यह भी एक ऐसी जगह में से एक है जो की इटली में है। इस पोवेग्लिया आयलंड के बारे में कहा जाता है, की सरकार ने इस जगह पर जाने की पाबंदी की है।

तो चलिए जानते है की Poveglia Island पर ऐसा क्या हुआ था, जिसकी वजह से इस जगह का नाम सुनते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है।

पोवेग्लिया आयलंड (Poveglia Island Italy):-

Poveglia Island एक ऐसा आयलंड है जिसे “Island of Death” (मौत का आइलैंड) भी कहा जाता है। यह पोवेग्लिया आयलंड इटली के वेनिस(Venis) और लीडो(Lido) शहर के बीच Venetian नाम के खाडी में स्थित है। एक छोटासा canal (नहर) इस आइलैंड को दो अलग अलग भागो में divide करता है। इस आयलंड के पीछे एक गहरा इतिहास छुपा हुआ है। इस जगह को Europe में सबसे ख़तरनाक जगह में से एक माना जाता है। यह एक ऐसा आइलैंड है, जिसका इतिहास ३००० सालों से भूतों से भरा हुआ है। तो जानते है इसके इतिहास के बारे में।

पोवेग्लिया आयलंड का इतिहास (History of Poveglia Island):-

कुछ सालों पहले बुबोनिक प्लेग (Bubonic Plague) की बीमारी आयी थी। इस प्लेग की बीमारी ने यूरोप के कई सारे शहरों को तहेस नहेस कर दिया था। उसमें Italy शहर भी शामिल था। इस प्लेग की वजह से बहोत सारे लोग मर रहे थे। तब Poveglia Island प्लेग पीड़ित लोगों के लिए रहने की जगह बन गया था। Use of Poveglia Island as a Plague Quarantine Station. 16 वी शताब्दी के शूरवात में ही Poveglia Island का उपयोग “Plague Quarantine Station” के रूप में करने लगे थे। जिस भी व्यक्ति को प्लेग के लक्षण दिखाई देते थे, उन लोगों को पोवेग्लिया आइलैंड पर भेज देते थे। जो लोग प्लेग के बीमारी से मर रहे थे उनकी लांशो को भी इस आइलैंड पर लाके दफ़ना देते थे। जिसकी वजह से Poveglia Island में लाशों का ढेर बन गए थे। प्लेग पीड़ित लोगों को ४० दिन के लिए इस आइलैंड पर छोडा करते थे। वो लोग ४० दिन इसी इंतज़ार में गुज़ारते थे की, या तो वो यहा पे ही मर जाएँगे या फिर इस बिमारी से ठीक होकर अपने घर चले जाएँगे। लेकिन ज़्यादातर लोगों को मृत्यु ही हो जाती थी। फिर उनकी लाशों पर यहा पे ही अंतिम संस्कार किया जाता था।

“Plague Quarantine Station” ये योजना काफ़ी हद तक अप्रभावि थी। लेकिन उस वक़्त प्लेग का फैलाव रोखने के लिए सरकार को प्लेग पीड़ितों को शहर के बाहर रखना पड़ा था।

Unsolved mysteries of the world in hindi

Plague Equipment (Poveglia Island):-

Poveglia Island सिर्फ़ १७ ऐकर का ही है, लेकिन यहा पर सदियों से १,६०,००० से भी ज़्यादा प्लेग पीड़ितों को रखा गया था। कहा जाता है की प्लेग के मरीज़ों को इस आइलैंड पर लाके ज़िंदा जला दिया जाता था। इसीलिए ये आइलैंड किसी नर्क की तरह दिखता है।

सन १७७७ में Venice शहर के आरोग्य अधिकारी ने इस आयलंड को अपने प्राथमिक प्लेग का Checkpoint बना दिया था। Venice शहर में जाने वाले किसी भी जहाज़ को जाँच पड़ताल के लिए सबसे पहले इस आइलैंड पर रुकना पड़ता है। अगर किसी भी जहाज़ के प्रवासी को प्लेग के लक्षण दिखते, तो उसे Poveglia Island पर ही छोड़ देते थे।

Poveglia- a Haunted Island:-

१८१४ तक Poveglia Island यहा का सबसे महत्वपूर्ण “Plague Quarantine station” बन गया था। यहा पर जो भी प्लेग मरीज़ जाता वो ९९% लौटके वापस नहीं जाता ऐसा लोग मानने लगे थे। कुछ लोगों का मानना है की, इस आइलैंड पर भूतों को साया है। कुछ लोगों को तो इस आइलैंड पर अजीबो ग़रीब आवाज़ें भी सुनाई देती थी। इसीलिए सब इसे मौत का आइलैंड कहने लगे थे।

Poveglia Island Mental Hospital:-

१९२२ में Poveglia Island पर एक mental hospital बनाया गया था। लेकिन उसके बाद एक अफ़वा फ़ैल गयी थी। उस अफ़वा के मुताबिक़ वहाँ के डॉक्टर अपने एक पेशंट पर इलाज कर रहे थे। और उसके बाद उस पेशंट ने इस आइलैंड के बेल टॉवर से गिरके अपनी जान दे दी। कुछ लोग ये भी कहते है की, वहाँ के मरीज़ों को और डॉक्टर को इस आइलैंड पर कुछ आत्माओं का साया महसूस हो रह था। इसीलिए १९६८ में यह हॉस्पिटल बंद हो गया था।

२०१४ में सरकार ने पोवेग्लिया आयलंड की नीलामी करने कोशिश की थी, लेकिन कोई भी इसे ख़रीदने के लिए तैयार नहीं था। वैसे भी इस जगह को कौन ख़रीदेगा जहाँ पर लांशो का ढेर लगा हुआ है। उसके बाद इस आइलैंड को बंद कर दिया गया। पिछले कई सालों से, यह आइलैंड पर्यटकों के लिए भी बंद रखा गया है। सरकार किसी को भी इस आइलैंड पर जाने की अनुमति नहीं देता। मछुआरे भी इस आइलैंड के पास मछली पकड़ने नहीं जाते, क्यूँकि उनके जाल में इंसानो की हड्डियाँ आ जाती है। Poveglia Island पर जाना मतलब ख़ुद के लिए ख़तरा मोड़ लेने जैसा है। लेकिन आज भी इस आइलैंड का इतिहास सुनकर लोग डर जाते है।

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अनसुलझा रहस्य 3: 1975 The Eirth Quiak Haicneng.

1975 मचानक एक शहर Haicneng म Dog तथा अन्य जानवर बड़ा ही अजीब व्यवहार करने लगे जो बहुत ही ज्यादा विचित्र और समझ से परे था। जानवरों की यह हरकत बहुत ही ज्यादा परेशान कर देने वाली थी। चीनियों ने इसे रहस्यमयी संकेत समझा और उसके बाद पूरा “Haicheng” शहर खाली करा लिया गया। इसके कुछ घंटे बाद ही इस शहर में 7.3 मैगनेटयूड का शक्तिशाली भूकंप आया जिसके कारण लगभग पूरा शहर बर्बाद हो गया। जानवरों की यह विचित्र हर के आज तक एक पहली बनी हुई है।

किसी भी खतरे से बचने का सबसे सरल तरीका यह है कि हमें समय रहते पता चल जाये कि कब, कहाँ, क्या व कितना बड़ा होने वाला है और वैसा होने से पहले हम खतरे की सीमा से दूर चले जायें या फिर कुछ ऐसा करें जिससे या तो वह खतरा टल जाये या फिर उसका हम पर ज्यादा प्रभाव न पड़ पाये।जरा सोचिये! यदि कोई पहले से बता दे कि कल शाम तीन बजे आपके शहर या गाँव के पास रिक्टर पैमाने पर 6.8 परिमाण का भूकम्प आने वाला है। ऐसे में आप क्या करेंगे? भूकम्प आने से पहले निश्चित ही आप और बाकी सभी लोग स्वयं ही सुरक्षित स्थानों पर चले जायेंगे। जो नहीं जायेंगे उनके साथ जबर्दस्ती भी की जा सकती है। नियत समय पर भूकम्प आयेगा और उससे संरचनाओं और घरों का जो नुकसान होना होगा हो जायेगा।

अब अगर आपको पता चल जाये कि आपके ऑफिस में बम लगा है तो आप क्या करेंगे? शायद पुलिस या बम स्क्वाड बुलायेंगे ताकि बम को निष्क्रिय किया जा सके या फटने से पहले बम को कहीं दूर ले जाया जा सके। अगर ऐसा न हो पाये तो आप निश्चित ही ऑफिस को खाली करके सुरक्षित स्थान पर चले जायेंगे। आपदा के साथ भी ठीक यही लागू होता है। समय रहते ज्यादातर लोगों के सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के कारण मानव क्षति काफी कम हो जायेगी। भूकम्प के बाद जैसे लोग गये थे वैसे ही वापस भी आ जायेंगे और समय बीतने के साथ स्थितियाँ भी सामान्य हो ही जायेंगी।

ठीक ऐसा ही कुछ अक्टूबर, 2013 में ओडिशा में आये फालिन चक्रवात की चेतावनी दिये जाने के बाद हुआ भी था। पर यह हमारा दुर्भाग्य ही तो है कि तमाम वैज्ञानिक उपलब्धियों के बाद भी अब तक भूकम्प की सफल भविष्यवाणी सम्भव नहीं हो पायी है।अब ऐसा भी नहीं है कि आज तक कभी किसी भूकम्प की सफल भविष्यवाणी की ही नहीं गयी है। वर्ष 1974 का दिसम्बर का महीना था। ठंड अपने चरम पर थी और ऐसे में चीन के लियोनिंग (Liaoning) प्रान्त के हाइचिंग (Haicheng) क्षेत्र में शीतनिन्द्रा काल में साँपों को बड़ी संख्या में देखा गया। इसी के साथ क्षेत्र में भूकम्प के छोटे-छोटे झटके भी महसूस किये जाने लगे। जनवरी, 1975 होते-होते क्षेत्र से पालतू जानवरों के अस्वाभाविक व्यवहार की सूचनायें मिलने लगी और साथ ही समय बीतने के साथ छोटे भूकम्पों की आवृत्ति भी बढ़ गयी। फिर महसूस किये जा रहे इन छोटे भूकम्पों के प्रारूप में अस्वाभाविक समानता भी थी।

जानवरों का अस्वाभाविक व्यवहार तथा आ रहे छोटे भूकम्पों का प्रारूप; उपलब्ध सूचनाओं का विश्लेषण करने के बाद 4 फरवरी, 1975 को भूकम्प की औपचारिक चेतावनी जारी कर दी गयी। इसके बाद करीब 90,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया और चेतावनी जारी करने के ठीक 5.30 घण्टे बाद हाइचिंग शहर को 7.3 परिमाण के भूकम्प ने खण्डहर में बदल दिया।भूकम्प की इस सफल और सटीक चेतावनी से जहाँ एक ओर भूकम्प में मरने वालों की संख्या 10,000 तक सीमित हो सकी वहीं दूसरी ओर इससे भूकम्प की भविष्यवाणी को लेकर पूरी दुनिया में आशा की लहर दौड़ गयी। लगा कि बस मनुष्य ने भूकम्प पर विजय प्राप्त कर ही ली है।

हालाँकि ज्यादातर वैज्ञानिक जानवरों के द्वारा भूकम्प का पूर्वाभास किये जाने पर विश्वास नहीं करते हैं परन्तु भूकम्प के पहले जानवरों के अस्वाभाविक व्यवहार के ऐतिहासिक अभिलेख उपलब्ध हैं। ईसा पूर्व 375 में ग्रीस के हेलिस शहर में आये भूकम्प से कुछ दिन पूर्व चूहों, साँपों सहित अन्य जानवरों ने शहर छोड़ दिया था।

खुशी का यह दौर हालाँकि बहुत लम्बा नहीं चल पाया। 28 जुलाई, 1976 को बिना किसी पूर्वसूचना या प्रत्यक्ष लक्षणों के आये 7.8 परिमाण के भूकम्प ने चीन के ताँगशान (Tangshan) शहर को जमींदोज कर दिया। इस भूकम्प में अधिकारियों द्वारा 2.43 लाख व्यक्तियों के मरने व 7.99 लाख व्यक्तियों के घायल होने की पुष्टि की गयी, परन्तु माना जाता है कि भूकम्प में मरने वालों की वास्तविक संख्या 6.55 लाख थी।

04 फरवरी, 1975 के हाइचिंग (Haicheng) भूकम्प की सफल भविष्यवाणी से उत्साहित वैज्ञानिकों व अन्य को 27 जुलाई, 1976 को चीन में ही आये ताँगशान (Tangshan) भूकम्प ने सकते में डाल दिया। हाइचिंग भूकम्प के विपरीत एकदम सन्नाटे में जो आया था यह और इसके आने से पहले वैज्ञानिक कोई भी प्रत्यक्ष लक्षण नहीं भाँप पाये थे। इस भूकम्प से पहले न ही जानवरों के व्यवहार में कोई परिवर्तन देखा गया और न ही क्षेत्र में आये छोटे भूकम्पों के प्रारूप में कोई असामान्यता।

भूकम्प पूर्वानुमान पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों को ताँगशान भूकम्प से हताशा तो अवश्य हुयी पर ऐसा भी नहीं है कि इसके बाद इस दिशा में काम बन्द कर दिया गया हो।भूकम्प आने के पहले प्रायः महसूस किये जाने वाले लक्षणों के आधार पर भूकम्प पूर्वानुमान पर आज भी शोध किया जा रहा है और जिन लक्षणों को आधार बना कर यह अध्ययन किये जा रहे हैं उनमें से कुछ निम्नवत हैंः

  1. प्राथमिक तरंगों की गति में बदलाव
  2. पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित चट्टानों की विद्युत चालकता में बदलाव
  3. भू-स्तर परिवर्तन
  4. भूजल स्तर परिवर्तन
  5. रेडान गैस का रिसाव
  6. बड़े भूकम्प से पहले महसूस किये जाने वाले छोटे-छोटे भूकम्पों का प्रारूप
  7. जानवरों का अस्वाभाविक व्यवहार
  8. भूखण्डों की सापेक्षीय गति

यह सत्य है कि हर बड़े भूकम्प से पहले ऊपर दिये गये लक्षणों में से कुछ अवश्य देखने को मिलते हैं पर इन लक्षणों के दिखाई देने के बाद भूकम्प आ ही गया हो ऐसा अब तक पुष्ट नहीं हो पाया है। साथ ही हर भूकम्प के पहले कुछ विशिष्ट लक्षण जरूर दिखायी देते हैं पर यह लक्षण अन्य भूकम्पों से पहले दृष्टिगत नहीं होते हैं। भूकम्प आने से पहले महसूस किये जाने वाले लक्षणों में एकरूपता का न होना ही अब तक भूकम्प की सफल भविष्यवाणी सम्भव न हो पाने का एक बड़ा कारण है।

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अनसुलझा रहस्य 4 : Voynich Manuscript.

15वीं शताब्दी में एक रहस्यमयी लिपि लीखी गई और इसे 240 पेजो की किताब में संकलित भी किया गया। वैज्ञानिक इसे Voynich Manuscript कहते हैं, लेकिन इस भाषा को आज तक नहीं पढ़ा जा सका है। इसे पढ़ने में वैज्ञानिक अभी तक 100 प्रतिशत असफल हैं। कई लोग दावा करते हैं कि इस लिपि को अन्य ग्रह से आए हुए लोगों ने लिखा है, लेकिन कारण जो भी हो आज तक यह लिपि बिल्कुल भी नहीं पढ़ी जा सकी है।

Mystery Book- 600 साल पुरानी किताब. जिसे आज तक कोई पढ़ नहीं सका है. हम बात कर रहे है उस किताब का नाम है “The Voynich Manuscript.” (द वॉयनिच मनुस्क्रिप्ट)

पूरी दुनिया भर में बहोत सी ऐसी Mysterious चीज़े है. जिन्हे आज तक ना कोई समझ सका है, ना उसके बारे में जान सका है. वैसे तो आपने बहोत सी रहस्यमयी चीजों के बारे में पढ़ा होगा. बहोत सारी रहस्यों की किताबे भी पढ़ी होंगी. लेकिन आज हम जिस Book के बारे में बात करने वाले है वो खुद ही एक रहस्य (Mystery) है. तो चलिए जानते है उस Mystery book के बारे में.

यह एक अज्ञात लिपि में लिखी गई किताब है. इस किताब को 600 साल पहले लिखा गया था. इसके लेखक कौन है? और इस किताब को कौन सी भाषा में, या फिर क्यों लिखा गया था? यह आज तक कोई नहीं जान पाया.कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) द्वारा यह पता लगाया गया, कि यह मनुस्क्रिप्ट को साल 1404 से 1438 के बीच में, यानी कि 15 वी सदी में लिखा गया था. इस किताब का नाम इटली की एक बुक डीलर Wilfrid Voynich के नाम पर रखा गया था, क्योंकि उन्होंने इस किताब को साल 1912 में खरीदा था. इस किताब में बहुत से Pages गायब है. इसके बावजूद भी, अभी भी इस किताब में तकरीबन 240 Pages है.

इसको लिखते समय बाएं से दाएं तरफ लिखा गया है. इसके साथ ही कुछ Page पर अलग चित्र है, तो कुछ Pages fold किए हुए है. इस किताब में ऐसी भाषा में कुछ लिखा गया है, जिसे आज तक कोई समझ नहीं पाया है. अगर आप इस Mystery Book को खोलेंगे, तो आपको समझ आएगा की इनमें से जो चित्र है, वो भी बहुत रहस्यमई है. उसमें पेड़-पौधे के चित्र भी दिए गए हैं, लेकिन आप जानकर हैरान होंगे की उनमें से कुछ ऐसे पेड़ पौधों के चित्र है, जो कि धरती के किसी भी पेड़ पौधे से बिल्कुल ही अलग है. Book में दिए गए अलग अलग चित्रों से ऐसा अनुमान लगाया गया है की उन्हें अलग अलग हिस्सों में लिखा गया है.

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1 हर्बल ज्ञान (Herbal):–

इस भाग में जड़ी बूटी और अलग–अलग वनस्पति के चित्र है जो इस धरती के लगते ही नहीं.

2 खगोल ज्ञान (Astronomical):-

इस भाग में सूर्य चंद्रमा और सितारों के चित्र है. साथ ही खगोलीय और ब्रह्मांड के चित्र भी दिए गए हैं. लेकिन इन चित्रों का भी क्या रहस्य है, और यह क्या बताने के लिए दिए गए हैं यह कोई नहीं जानता. इसमें 12 drawings का एक group दिखाया है, जो की हमारी राशियों को दर्शाता है. जैसे की मीन के लिए 2 मछलिया, धनु के लिए धनुष्य को पकडे हुए शिकारी, या फिर वृषभ के लिए बैल.

3 जैविक (Balneological):-

इस भाग में पूल में नहाती हुई महिलाओं की तस्वीरें दिखाई गई है. कुछ चित्रों में महिलाएं मुकुट पहने दिखाई गई है.

4 ब्रह्मांड विज्ञान (Cosmological):-

इस भाग में गोलाकार आकृतिया है. इसमें ज्वालामुखी के साथ जुड़ी द्वीप की तरह foldout होनेवाले 6 पन्ने है.

5 दवा (Pharmaceutical):-

इस भाग में कुछ पौधे है जो दवा के स्वरूप लोग इस्तेमाल करते हैं.

6 व्यंजन विधि (Recipes):-

इसमें छोटे छोटे paragraphs में कुछ लिखा है, और इसके साथ स्टार या फूल जैसे कोई चित्र है.

कई सारे क्रिप्टोग्राफर्स के साथ–साथ अमेरिकन और ब्रिटिश कोड ब्रेकर्स ने इस Mystery Book को समझने की बहोत कोशिश की. लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाए. 600 साल बीत गये, लेकिन इस Mystery Book को अभी तक कोई पढ़ नहीं सका है. अगर भविष्य में किसी ने इस किताब के रहस्य को समज लिया, तो इस किताब के जरिये हम बहोत कुछ ऐसे रहस्य को जान पायेंगे, जिनसे हम अभी तक अनजान है. गौर करनेवाली बात ये है की, इस Mystery Book को इतनी बारीकी से लिखा गया है, और साथ ही ज्यादा समझाने के लिए बहोत details वाली drawings भी बनायीं है इसका मतलब, इसमें कुछ तो ऐसा रहस्य होगा जिसे जानके हम और भी ज्यादा तरक्की कर सके.

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अनसुलझा रहस्य 5: Pendora Virus.

दुनिया में “पैंडोरा वायरस” एक ऐसा विचित्र वायरस है जिसे कुछ लोग परग्रही वायरस बताते हैं क्योंकि वैज्ञानिक आज तक इसका 93% प्रतिशत जैविक सरंचना ही नहीं समझ पाए हैं।

पैंडोरावायरस एक विशाल वायरस का जीनस है, जिसे पहली बार 2013 में खोजा गया था। यह किसी भी ज्ञात वायरल जीनस के भौतिक आकार में दूसरा सबसे बड़ा है। पांडोरावीरस में दोहरे फंसे हुए डीएनए जीनोम हैं, जिनमें किसी भी ज्ञात वायरल जीनस का सबसे बड़ा जीनोम है।

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अनसुलझा रहस्य 6: Dancing Plague.

1518वीं शताब्दी में रोमन शहर में एक ऐसी विचित्र नाचने वाली बीमारी फैली जिसे लोगों ने “Dancing Plague” का नाम दिया और इस रहस्यमई बीमारी को आज तक नहीं समझा जा सका। करीब 400 लोग जो एक रोमन शासित शहर में रहते थे, अचानक ही नाचना शुरु किया जो करीब एक महीने तक लगातार नाचते ही रहे कई लोगों ने इन्हें रोकने की कोशिश की परंतु वह नाकामयाब रहे। इन लोगों में से अधिकतर लोग थकान, दिल का दौरा तथा खून की नसें फट जाने के कारण मारे गए। यह बीमारी आज तक एक रहस्य बनी हुई है।

2020 में कोरोना वायरस ने लोगों को अपनी उंगलियों पर खूब नचाया है. लेकिन क्या कोई डांस करते-करते मर सकता है? अमूमन लोगों को नाचने का शौक होता है. लेकिन क्या आपने डांस की बीमारी या महामारी के बारे में सुना है? दरअसल, 1518 में अलसेस के स्ट्रासबर्ग (अब आधुनिक फ्रांस) में एक ऐसी महामारी ने दस्तक दी जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. लगभग 500 साल पहले फ्रांस में डांस की महामारी ने कई लोगों को अपनी चपेट में लिया.

चिकित्सक नोट, कैथेड्रल उपदेश, स्थानीय और क्षेत्रीय इतिहास, और स्ट्रासबर्ग नगर परिषद द्वारा जारी किए गए नोट समेत ऐतिहासिक दस्तावेज स्पष्ट करते हैं कि पीड़ितों ने डांस किया लेकिन क्यों यह नहीं पता. इस महामारी का प्रकोप जुलाई 1518 में शुरू हुआ जब एक महिला स्ट्रासबर्ग की एक गली में जमकर नाचने लगी. इसके बाद कई युवतियों ने उसके साथ नाचना शुरू कर दिया. इनका डांस थम नहीं रहा था. यह इतने लंबे समय तक चला कि इसने स्ट्रासबर्ग मजिस्ट्रेट और बिशप का ध्यान आकर्षित किया. कुछ डॉक्टरों ने अंतत: हस्तक्षेप किया जिसके बाद पीड़ितों को अस्पताल में रखा गया.

इसको लेकर आज भी कई मत हैं कि वाकई डांस करने से लोगों की मौत हुई या नहीं. कुछ सूत्रों का दावा है कि एक समय पर प्रति दिन लगभग 15 लोगों को मार डाला. हालांकि, कुल कितनी मौत हुईं इसका जिक्र नहीं हुआ. इस दावे के मुख्य सूत्र जॉन वालर हैं, जिन्होंने इस विषय पर कई जर्नल लेख और किताब ‘ए टाइम टू डांस, ए टाइम टू डाई: द एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरी ऑफ द डांसिंग प्लेग 1518’ लिखी है.

एक मत के हिसाब से यह सब उन लोगों के द्वारा फफूंद या मनो-रासायनिक उत्पादों का सेवन करने की वजह से हुआ. आपको बता दें कि एर्गोटामाइन एरोगेट फंगी का मुख्य मनो-सक्रिय उत्पाद है; यह ड्रग लिसर्जिक एसिड डायथाइलैमाइन (एलएसडी -25) से संरचनात्मक रूप से संबंधित है और वह पदार्थ है जिसमें से एलएसडी -25 को मूल रूप से मिलाया गया था. उसी फंगस को अन्य प्रमुख ऐतिहासिक विसंगतियों में भी मिलाया गया है, जिसमें ‘सलेम विच ट्रायल्स’ भी शामिल है, हालांकि अकेले एरोगेट के होने से यह असामान्य व्यवहार या मतिभ्रम का कारण नहीं होगा जब तक कि ओपियेट्स के साथ संयुक्त न हो।

इसे मास हिस्टीरिया या जन मनोचिकित्सा बीमारी में होने वाले साइकोजेनिक मूवमेंट डिसऑर्डर का उदाहरण भी बताया गया है, जिसमें कई लोग अचानक एक ही तरह का विचित्र व्यवहार प्रदर्शित करते हैं. महामारी पैटर्न में व्यवहार तेजी से और व्यापक रूप से फैलता है.

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अनसुलझा रहस्य 7: The probability of an Alien.

कैपलर टेलिस्कोप एक ऐसी शक्तिशाली दूरबीन है जो हमें 1200 से भी ज्यादा संभावित दुनिया ढूंढने में मदद कर सकती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि की करीब 37 तारों में से एक तारे के मंडल में एक धरती अवश्य होनी चाहिए परंतु फिर भी हम अभी तक किसी भी जीवन के बारे में नहीं जान सकें हैं। क्या हम इस विशाल ब्रह्माण्ड में बिलकुल अकेले हैं ?

फरवरी का महीना दुनिया में अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। दुनिया के तीन देशों से अभियान सफलतापूर्वक मंगल तक पहुंचे। इनमें से एक रोवर मंगल की सतह पर सुरक्षित उतरने में सफल रहा, जिसकी तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। हमारा अंतरिक्ष यान सौर मंडल की सीमाओं को छू रहा है। हमारे खगोलविदों के पास एक उन्नत प्रकार की दूरबीन है। अब भी हमने गुरुत्वाकर्षण तरंगों के उत्सर्जन को पकड़ना शुरू कर दिया है। ऐसे में यह सवाल भी जायज है कि हम अभी भी दूसरे ग्रहों के एलियंस को क्यों नहीं खोज पा रहे हैं। एलियंस की अवधारणा 70 वर्ष से अधिक पुरानी है। पिछले दशक के मध्य से, कई वैज्ञानिकों ने एलियंस होने की संभावना व्यक्त की है।

2017 में, खगोलविदों ने हमारे सौर मंडल के बाहर पहली वस्तु देखी। जो पिंड पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का 85 गुना था, उसे ओमुमुआ नाम दिया गया था। इस शरीर ने एलियंस के अस्तित्व के विचार को मजबूत किया था, इस शरीर का आकार बहुत ही असामान्य था। हार्वर्ड के प्रोफेसर एवी लोएब ने दावा किया कि इस शरीर का आकार ऐसा है कि ऐसा लगता है कि यह प्राकृतिक शरीर नहीं है, बल्कि एलियन द्वारा बनाई गई आकृति है। इस विचार को बहुत प्रचार मिला लेकिन इसे साक्ष्य की कमी के आधार पर वैज्ञानिक मान्यता नहीं मिल सकी, जो विज्ञान की बुनियादी जरूरतों में से एक है।

तो अब तक एलियंस की खोज क्यों नहीं की जा सकी, निश्चित रूप से हम अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में बहुत उन्नत हो गए हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि अंतरिक्ष हमारी कल्पना से बहुत बड़ा है। एक ग्रह पर पहुंचने और वहां तक ​​पहुंचने में एक अभियान बनाने में बहुत समय लगता है। अकेले मंगल पर जाने के लिए नासा के पर्सिस्टेंस रोवर को छह महीने से अधिक समय लगा। वह भी 26 महीने में एक बार आता है। साथ ही इस मुकाम तक पहुंचने में नासा को दशकों लग गए। फिलहाल, किसी ग्रह की जांच करने की प्राथमिकता सूक्ष्म जीवन और उसके संकेतों की खोज बनी हुई है। जो अपने आप में बहुत मुश्किल काम है।

यह उनकी अपेक्षा है कि हमारी दूरबीनों में उनकी क्षमता के उच्चतम परिणाम हैं।

अनुसंधान कई मामलों में उन्नत दूरबीनों की प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन अब खगोलविदों को नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से बहुत उम्मीदें हैं। इसके अलावा, नासा के निगरानी रोवल ने मंगल से मिट्टी के नमूने एकत्र किए जाएंगे जिन्हें पृथ्वी पर लाया जाएगा।

वैज्ञानिकों को भी इससे काफी उम्मीदें हैं। इसी समय, अमेरिका में अंतरिक्ष के लिए निजी क्षेत्र के आगमन से काम में तेजी आने की उम्मीद बढ़ रही है। मंगल पर प्रयोगशाला, कई रोवर्स और कई ऑर्बिटर्स और जांचों पर पहुंचने के बाद भी, वैज्ञानिकों को मंगल पर जीवन के सूक्ष्म रूप का कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है। नासा अब मंगल की सतह के नीचे से उम्मीद करता है कि पर्सिस्टेंस रोवर की जांच की जानी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि एलियंस भी वही डर है जो इंसानों के पास हो सकता है।

भोजन की खोज जैसी चुनौतियां, किसी और के भोजन से बचने की प्राथमिकता को एलियंस को हमारे पास पहुंचने से रोकना चाहिए। पानी पर शोध से पता चला है, मिल्की वे में बाढ़ आ गई है, पृथ्वी जैसे ग्रह केवल मंगल पर जाने वाले हैं। इस समय, नासा मंगल पर एक मानव अभियान भेजने की तैयारी कर रहा है। इसमें सबसे बड़ी समस्या मंगल की यात्रा के आगमन के लिए ईंधन, भोजन आदि की व्यवस्था करना है। ऐसे में बहुत बड़ी मात्रा में ले जाने वाले रॉकेट की जरूरत होगी। वर्तमान में, हमारे पास ऐसी क्षमता के एक प्रतिशत के साथ एक रॉकेट भी नहीं है। मंगल से, इन स्थानों पर जीवन की उम्मीद, मंगल केवल एक मिसाल या प्रयोगशाला की तरह है।

अंतरिक्ष में इतनी उन्नति के बाद भी हम एलियंस को क्यों नहीं खोज पा रहे हैं? कारण यहाँ

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जीवन का चिह्न

गुरु और शनि के उपग्रह, शुक्र बादलों, मंगल की सतह के नीचे कुछ स्थान ऐसे स्थान हैं जहां जीवन के संकेत अभी भी मिल सकते हैं।मंगल पर चल रहे शोध को देखते हुए, वैज्ञानिक पृथ्वी पर ऐसे स्थानों की खोज कर रहे हैं, जहाँ का तापमान मंगल के समान हो। एलोन मस्क ने मंगल ’बेब’ से कहा, उनकी योजना कितनी बड़ी है, निश्चित रूप से फिलहाल हम एलियंस को खोजने में सक्षम नहीं हैं। लेकिन यह तय है कि आने वाले समय में इस प्रयास में निश्चित रूप से तेजी आएगी। यदि मंगल अभियान इसमें उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं, तो उन्नत दूरबीन का डेटा हमें ऐसी मजबूत जानकारी देने में सक्षम होगा जो हमें एक बेहतर तरीका प्रदान करेगा।

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अनसुलझा रहस्य 8: Yaangshi village in china.

चीन में यांग्सी नामक एक गांव बसा हुआ है जो अपने एक विचित्र कारण के लिए जाना जाता है। इस गांव की एक विशेषता है की इसमें रहने वाले लगभग लोग “बौने हैं। इस गाँव को लोग ‘बौनों’ का गांव भी कहते हैं। परंतु इस गांव में इतने अधिक लोग बौने क्यों होते हैं, यह अभी भी अज्ञात हैं।

इस गांव में रहने वाले 80 में से 36 लोगों की लंबाई मात्र दो फीट एक इंच से लेकर तीन फीट दस इंच तक है। इतनी ज्यादा तादाद में लोगों के बौने होने के कारण यह गांव बौनों के गांव के नाम से प्रसिद्ध है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार उनकी खुशहाल और सुकून भरी जिंदगी कई दशकों पहले ही खत्म हो चुकी थी, जब उनके प्रांत को एक खतरनाक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। जिसके बाद से कई लोग अजीब-गरीब हालात से जूझ रहे हैं। जिसमें ज्यादातर पांच से सात साल के बच्चे हैं। इस उम्र के बाद उनकी लंबाई रूक जाती है।

इस इलाके में बौनों को देखे जाने की खबरे 1911 से ही आती रही है। 1947 में एक अंग्रेज वैज्ञानिक ने भी इसी इलाके में सैकड़ो बौनों को देखने की बात कही थी। हालांकि आधिकारिक तौर पर इस खतरनाक बीमारी का पता 1951 में चला जब प्रशासन को पीड़ितों के अंग छोटे होने की शिकायत मिली। 1985 में जब जनगणना हुई तो गांव में ऐसे करीब 119 मामले सामने आए। समय के साथ ये रुकी नहीं, पीढ़ी दर पीढ़ी ये बीमारी भी आगे बढ़ती गई। इसके डर से लोगों ने गाँव छोड़ कर जाना शुरू कर दिया ताकि बीमारी उनके बच्चो में ना आये। हालॉकि 60 साल बाद अब जाकर कुछ हालात सुधरे है अब नई पीढ़ी में यह लक्षण कम नज़र आ रहे है।

वैज्ञानिक और विशेषज्ञ इस गांव की पानी, मिटटी, अनाज आदि का कई मर्तबा अध्ययन कर चुके है लेकिन वो इस स्थिति का कारण खोजने में नाकाम रहे है। 1997 में बीमारी की वजह बताते हुए गांव की जमीन में पारा होने की बात कही गई, लेकिन इसे साबित नहीं किया जा सका। वहीँ कुछ लोगो को मानना है की इसका कारण वो ज़हरीली गैसे है जो जापान ने कई दशको पहले चीन में छोड़ी थी, हालांकि यह एक तथ्य है की जापान कभी भी चीन के इस इलाके में नहीं पहुंचा था। ऐसे ही समय-समय पर तमाम दावे किए गए, लेकिन सही जवाब नहीं मिला।

अब गांव के कुछ लोग इसे बुरी ताकत का प्रभाव मानते हैं, तो कुछ लोगों का कहना है कि खराब फेंगशुई के चलते हो ऐसा हो रहा है। वहीं, कुछ का कहना ये भी है कि ये सब अपने पूर्वजों को सही तरीके से दफन ना करने के चलते हो रहा है।

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अनसुलझा रहस्य 9: The magic of Jo Girardelli.

साल 1854 में इंग्लैंड में रहने वाली Jo Girardelli ने एक अलग ही तरह का आग का खेल दिखाना शुरु किया, इस खेल को बहुत से लोग पसंद भी करने लगे। इस खेल में गिरादेल्ली’ एक गरम-गरम लाल दहकता हुआ लोहे का टुकड़ा निगल जाती थी, लेकिन इसके बावजूद उनको कोई भी नुकसान नहीं होता था। यहां तक की वह दहकते हुए धातु के टुकड़े जैसे चाकू, तलवार अपने शरीर से सटाकर मोड़ देती थी और इन्हें अपनी जीभ से चाटा करती थी, लेकिन इसके बावजूद वह कभी भी नहीं जली और न ही इसे किसी प्रकार का कोई नुक्सान हुआ। वैसे बहुत सारे लोग इसे एक सामान्य चालाकी मानते थे लेकिन फिर भी कोई भी आज तक यह साबित नहीं कर पाया कि यह कैसे होता था।

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अनसुलझा रहस्य 10: Hoia Baciu.

रोमानिया के ‘ट्रांसिलवेनिया’ जिले म Hoia Baciu नाम से एक रहस्यमयी जंगल है। यह जंगल बहुत सी भूतिया तथा रहस्यमयीं गतिविधियों के लिए बदनाम है। यह जंगल घूमने वाले बहुत से पर्यटक जब जंगल घूम कर वापस आते हैं तो उनके शरीर पर जले हुए तथा खरोचों के निशान होते हैं, लेकिन उनके उन लोगों के अनुसार उन्हें पता ही नहीं होता कि यह सब कैसे हुआ। वही कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि अपनी जंगल यात्रा के दौरान उन्हें बीच के कुछ घंटे याद नहीं रहते, इन खोये हुए समय में क्या हुआ इसके बारे में वह पूरी तरह से अनजान होते है तथा वह इसे “लुप्त समय” कहते हैं। इस क्षेत्र के बहुत से लोग विश्वास करते हैं कि यह कुछ भूतिया घटनाओं या भूतिया गतिविधियों की जगह हैं परंतु कारण चाहे जो भी हो आज तक यह रहस्य समझ में नहीं आया है।

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अनसुलझा रहस्य 11: Mystery Of Rajrajeshwari Mandir.

RajRajeshwari Temple भारत का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है। इस ‘राजराजेश्वरी मंदिर‘ के बारे में कहा जाता है की इस मंदिर की मूर्तियाँ बोलती है। हमारे भारत देश में बहोत सारे अदभुत और प्राचीन मंदिर है, और मंदिर एक ऐसा श्रदस्थान है जहाँ पर आके भक्तों को शांति और सुकून मिलता है। भगवान के ऊपर का विश्वास और उनके प्रति श्रद्धा जिसकी वजह से पर्यटक और भक्त बहोत दूर दूर से इन मंदिरो में आते है। कुछ लोग अपने दर्द बाटने आते है, तो कुछ लोग रहस्यमय चीज़ों के बारे में जानने के लिए और मंदिरो की ख़ूबसूरती और उस जगह की पवित्रता को महसूस करने आते है।

आज हम बात करने वाले है “Raj Rajeshwari Tripur Sundari Temple” के बारे में, जहाँ पे बोलती है मूर्तियाँ। कभी कभी हमें कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में पता चलता है, जिसकी वजह हम यह सोचने पर मजबूर होते है की, क्या सच में इस दुनिया में दैवी शक्ति है? हम बात कर रहे है “राज राजेश्वरी त्रिपूर सुंदरी मंदिर” (Raj Rajeshwari Tripur Sundari Mandir) की जो बिहार के बक्सर (Buxar) ज़िले में है।

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राज राजेश्वरी मंदिर का इतिहास (History of RajRajeshwari Temple):-

ऐसा कहा जाता है की तकरिबन ४०० साल पहले तांत्रिक “भवानी मिश्रा” ने इस मंदिर की स्थापना की थी। तंत्र साधना के लिए बिहार का यह एक ही मंदिर है। मूर्ति की स्थापना से लेके आज तक भवानी मिश्रा के परिवार वाले ही इस मंदिर के पुजारी बनते है। इनके वंशज ही इस मंदिर की देखरेख करते है। तांत्रिको का इस मंदिर पर अटूट विश्वास है। इस मंदिर में वेदिक और तांत्रिक दोनो प्रथाओं का उपयोग करके देवी की पूजा की जाती है। यहा पे आनेवाले भाविकों का मानना है की, Rajrajeshwari Mandir में आने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

इस मंदिर में देवी ललिता त्रिपुरी सुंदरी की मूर्ति स्थापित की गयी है। उसके साथ ही देवी काली, तारा माता , भुवनेश्वरी,धुमावती,मान्तगी और कमला इन सब देवियों की मूर्ति भी स्थापित है। नवरात्रो के दिनो में यहा भक्तों की भीड़ देखने मिलती है। तंत्रसाधना से ही यहा देवी के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गयी है। राज राजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर भारत के बाक़ी प्राचीन मंदिरो से बहोत ही अलग है।

इस मंदिर में कुछ ऐसा चमत्कार होता है जिस पे शायद कोई विश्वास नहीं कर पाएगा। क्यूँकि इस मंदिर में रात के समय मूर्तियाँ आपस में बातें (Talking God) करती है। RajRajeshwari Temple के नज़दीक रहनेवाले लोगों का कहना है की, इस मंदिर से रात के समय आवाज़ें आती है। उन्हें यक़ीन है की ये आवाज़ें मंदिर के मूर्ति में से ही आती है। वैद्यनिको का भी यही मानना है की मध्य रात्रि में जब चारों और सन्नाटा होता है तब यहा पर किसी के बोलने की आवाज़ें सुनाई देती है। इसके पीछे का रहस्य का पता अब तक वैद्यानिक भी नहीं जान पाए है।

इस मंदिर के अंदर मौजूद देवता इंसान की तरह बात करते है और इस सच्चाई को कोई भी नज़रंदाज़ नहीं कर सकता। कई लोगों ने इसे अनुभव किया है। यह आवाज़ तभी सुनाई देती है जब मंदिर दर्शन के लिए बंद हो जाता है। इस मंदिर के जाँच पड़ताल के लिए वैज्ञानिको की टीम रात भर मंदिर के बाहर रुकी थी। थोड़ी देर के बाद जब मंदिर के दरवाज़े बंद हो गए तब उन्हें भी मंदिरो के दीवारों से आवाज़ सुनाई दी। वो भी दावे के साथ किसी मुद्दे पर नहीं पहोच पाए की ऐसा क्यू हो सकता है।

बहोत लोगों का मानना है की शायद ये भगवान की मूर्तियाँ इंसान से कुछ कहना चाहती है। इस मंदिर के बारे में ऐसी बहोत सारी बातें कही गयी है। लेकिन इस की सच्चाई कोई भी जान नहीं सका। वैज्ञानिक भी इस बात को लेकर हैरान है। इसी चमत्कार की वजह से दुनियाभर के लोग Rajrajeshwari Mandir में दर्शन के लिए आते है। रोज़ यहा पर भक्तों की भीड़ होती है।

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अनसुलझा रहस्य 12: Lonar Lake: The Red Water Lake.

Lonar Lake जिसे “लोणार क्रेटर” (Lonar Crater) के नाम से भी जाना जाता है. लोनार झील महाराष्ट्र के बुलढाणा जिल्हे में आती है जिसने अपने अंदर कई सारे रहस्यों को समेटे रखा है. Lonar Crater Lake का जिक्र पुराणों, वेदों और दंत कथाओ में भी है. लेकिन हाल ही में (साल 2020) में इस लोणार सरोवर का पानी अचानक से लाल या हलके गुलाबी रंग में बदल गया. इस Lonar Lake का पानी लाल रंग में क्यों और किस वजह से बदला? जानेंगे आज के इस आर्टिकल में.

Lonar Lake History:-

Research के मुताबिक यह बात सामने आयी है की, आसमान से उल्का पिंड हमारी पृथ्वी से टकराने के कारण Lonar Crater Lake का निर्माण हुआ है. पुरे जग में इस प्रकार के केवल 4 ही झील अस्तित्व में है. उसमे से 3 झील ब्राज़ील में और 1 भारत में है. अनुमान लगाया जाता है की, तक़रीबन 52000 साल पहले एक उल्का पिंड पृथ्वी पर टकराई थी और उसी वजह से यह लोणार झील निर्माण हुई. लेकिन साल 2010 में लोणार झील पे एक संशोधन हुआ था जिसके अनुसार Lonar Crater Lake लगभग 5,50,000 सालो से भी ज्यादा पुराणी है. यह लोणार सरोवर मुंबई से 500 Km की दूरी पर है.

इस झील का उल्लेख स्कंदपुराण, पद्मपुराण और ऐन-ए-अकबरी (The Ain-i-Akbari) में भी है. लोणार सरोवर का पानी खारा और क्षार युक्त भी है.

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झील की खोज:-

लोणार झील की खोज सबसे पहले European British Officer, J. E. Alexander ने साल 1823 में की थी. Lonar झील, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है. लेकिन अभीतक यह Confirm नहीं हुआ है की, इस झील का निर्माण उल्कापिंड के पृथ्वी से टकराने से हुआ है, या फिर ज्वालामुखी के वजह से. महाराष्ट्र के बुलढाणा जिल्हे में स्थित यLonar Crater Lake मौर्य और फिर सातवाहन साम्राज्य का हिस्सा थी. चालुक्य और राष्ट्रकूटों ने भी इस क्षेत्र पर शासन किया था. मुग़ल, यादव, निजाम और अंग्रजों के कार्यकाल में इस क्षेत्र पर व्यापार शुरू हुआ था. “Lonar Crater Lake की गहराई तक़रीबन 150 मीटर है.”

यह झील हमेशा ही अपने खारे पानी की वजह से चर्चा में रहती है लेकिन इसबार, जैसे की हमने आपको बताया, Lonar Lake के पानी का रंग अचानक से लाल या फिर हलका गुलाबी हो गया है, जिसकी वजह से दुनियाभर में यह झील फिरसे चर्चा में आ गयी है. लोणार झील के पानी का स्तर 10.5 है. Experts के अनुसार Lonar Lake में हुए पानी के रंग के बदलाव की यह घटना पहली बार नहीं है. इसके पहले भी झील के पानी का रंग बदल गया था लेकिन इस बार (साल 2020) में यह अधिक गाढ़ा और चमकदार दिख रहा है. लोणार झील संरक्षण और विकास समिति के सदस्य (Lonar Lake Conservation & Development Committee) गजानन खरात ने बताया की इस झील में मौजूद खारापन और शैवाल की वजह से यह बदलाव हो सकते है. इस साल (2020) में पिछले कुछ सालो की तुलना में पानी का level कम है.

Lonar Crater Lake के पानी की जांच की गयी और Reports के मुताबिक Halo-bacteria और Fungus Salina बढ़ने की वजह से यह परिवर्तन हो सकता है. Carotenoid का रंगद्रव्य बढ़ने की वजह से पानी का रंग बदल गया होगा. अन्य कारण यह भी बताया जाता है की मौसम में हुए बदलाव की वजह से भी पानी का रंग बदल गया होगा. ईराण में भी एक ऐसी ही झील है, जहा पे पानी के खारेपन बढ़ने की वजह से वहा का पानी लाल हो जाता है. लेकिन Lonar Crater Lake के पानी के रंग बदलने के इस मामले का समर्थन करने के लिए कोई पक्का सबूत नहीं मिला है.

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अनसुलझा रहस्य 13:Shangri La Ghati, Tibet.

Shangri La Ghati तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के सीमा पर है. ऐसा कहा जाता है की, ये घाटी दूसरे दुनिया में जाने का रास्ता है. क्या है इस घाटी का रहस्य? क्या सच में ये possible है? तो बिना देरी किये चलिए जानते है तिब्बत की उस The Mysterious Valley के बारे में. Shangri La Ghati के बारे में.

इस दुनिया में बहोत सारे राज़ छुपे है. उनमे से कुछ रहस्यों को हम जान पाए है, लेकिन कुछ रहस्य आज भी हमारे लिए अनसुलझे है. उदाहरण के लिए Bermuda-Trangle ही लीजिये. जहा पे कोई गया है, वो आज तक वापस नहीं लौट सका है. दुनियाभर से लोगों ने उसका रहस्य जानने की या फिर उस रहस्य को सुलझाने की बहोत कोशिश की. फिर भी ये रहस्य आज तक अनसुलझा ही है. लेकिन दोस्तों, क्या आपको पता है की तिब्बत में एक ऐसी रहस्यमयी घाटी है. जिसके बारे में कहा जाता की, वहा जानेवाला कोई वापस नहीं आ पाया है.

दोस्तों हम बात कर रहे है शांगरी ला / शांग्री-ला (Shangri-La) घाटी के बारे में. ये घाटी तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के सीमा पर है. इस घाटी को शांगरी के साथ साथ ‘शंभाला‘ और ‘सिद्धआश्रम‘ भी कहा जाता है. कई जाने माने लेखकों ने अपनी किताबो में इस घाटी के बारे में लिखा है. लेखक अरुण शर्मा जी ने अपनी किताब “तिब्बत की वह रहस्यमयी घाटी” (That Mysterious Valley of Tibet) में इसका उल्लेख किया है. वो कहते है, ये जगह वायुमंडल के चौथे आयाम से प्रभावित होती है. वहा पे काल का प्रभाव नगण्य है. वहा मन, प्राण और विचार की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है.

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शांगरी ला घाटी का रहस्य (Mystery of Shangri La Ghati)

ऐसा कहा जाता है की ये घाटी दूसरे दुनिया में जाने का रास्ता है. इस इस घाटी में कोई भी वस्तु या व्यक्ति चला जाए तो उनका अस्तित्व इस इस दुनिया से गायब हो जाता है. इसकी सच्चाई जानने के लिए चीन की सेना ने कई बार इस जगह को तलाशने की कोशिश की लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.

आध्यात्मिक महत्त्व (Spiritual Importance of Shangri La Ghati):-

जो लोग अध्यात्म क्षेत्र साधना और तंत्रज्ञान से जुड़े हुए है, उनके लिए ये घाटी भारत के साथ साथ पुरे विश्व में famous है. को धरती का आध्यात्मिक केंद्र भी कहते है. इसका रामायण,महाभारत और वेदों में भी उल्लेख है. जो लोग इस घाटी के बारे में जानते है, वो कहते है की प्रसिद्ध योगी “श्यामचरण लाहिरी”जी के गुरु “महावतार बाबा” जिन्होंने आदि शंकराचार्य को भी दीक्षा दी थी, वो शांगरी ला घाटी के किसी सिद्धआश्रम में अभी भी निवास कर रहे है. इस घाटी के बारे में और जानने के लिए आपको “काल-विज्ञान” नाम के किताब को पढ़ना पड़ेगा. वो किताब आज भी तिब्बत में तवांग मठ के पुस्तकालय में रखी हुई है.

शांगरी ला घाटी ‘वास्तव’ या ‘काल्पनिक’? Shangri La Ghati Real or Fiction?

J. Hilton नाम के लेखक ने अपनी किताब “Lost Horizon” में इस रहस्यमयी घाटी के बारे में लिखा है. उनका मानना है की यह एक काल्पनिक जगह है. किताबो में पढ़कर कई सारे देश-विदेश के लोगो ने शांगरी ला घाटी के बारे में पता लगाने की कोशिश की, लेकिन असफल हुए. आज तक यह घाटी वास्तव में है या काल्पनिक है इसके बारे में दावे के साथ बोल नहीं पाया है.

तो दोस्तों आपको क्या लगता है? क्या सच में में ऐसी कोई घाटी है? अगर हम इस घाटी के वजूद को नकारते है, तो इतनी सारी किताबे और वहा के बारे में जानने वाले लोग, इस जगह के बारे में इतना सटीक और एक ही जैसा वर्णन कैसे कर सकते है? क्या सच में ऐसी कोई जगह है? अगर है तो वो कैसी होगी? ये तो आनेवाला समय ही बता पायेगा.

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अनसुलझा रहस्य 14:Death Valley – Sailing Stones.

अगर हम पत्थरों की बात करे तो हमारे सामने बड़ी बड़ी चट्टानें आती है. पत्थर के आकार, उसके गुण, उसका रंग, उसका वजन इन जैसी चीज़ो से बहोत से प्रकार है. लेकिन हम जिस पत्थर की बात कर रहे है, वो पत्थर बहोत ही रहस्यमयी है. ये ऐसे पत्थर है जो एक जगह से दूसरी जगह खिसकते है. तो चलिए जानते है Death Valley के Sailing Stones के बारे में.

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Location (पत्थर मिलते है वह जगह):-

कैलिफ़ोर्निया (California) में स्थित एक रेगिस्तान में जिसे “Death Valley” (मौत की घाटी) के नाम से जाना जाता है, वहा पे ये पत्थर मिलते है जिन्हे “Sailing Stones” के नाम से जाना जाता है. Death Valley ये उत्तर अमेरिका की सबसे गर्म और विचित्र जगह है. इसकी संरचना और तापमान भू-वैज्ञानिकों को हमेशा से चौकाता रहा है. पत्थरों का एक जगह से दूसरी जगह खिसकना ये एक भूवैज्ञानिक घटना है क्यूंकि ये पत्थर किसी इंसान या किसी भी जानवर या फिर किसी भी जीवित चीज़ की मदत के बिना एक जगह से दूसरी जगह खिसकते है और उनके पीछे एक निशान आ जाता है.

Death Valley Banner

Death Valley में RaceTrack’s में मौजूद 320 KG के पत्थर भी अपने आप खिसक कर एक जगह से दूसरी जगह जाते है. इस जगह पे लगभग 150 से भी ऊपर ऐसे अपने आप खिसकने वाले पत्थर है. Interesting बात तो यह है की इन पत्थरों को अपने आप खिसकते आज तक किसी ने नहीं देखा है, तो ये पत्थर अपने आप एक जगह से दूसरी जगह कैसे जाते है? सर्दियों में तो ये पत्थर करीब 250 मीटर से भी ज्यादा दूर खिसक जाते है. Death Valley के पत्थरों का ऐसा अपने आप खिसकना Scientist के लिए भी एक पहेली बन चूका है.

अलग अलग तथ्य:-(Mystery Revealed)

कहते है की सन 1972 में इस रहस्य को सुलझाले के लिए वैज्ञानिको की एक टीम ने पथरो के एक ग्रुप का नामकरण किया और कई सालो तक उसी पत्थरो पे Research किया. उसमे से एक 317 KG का पत्थर research के दौरान नहीं हिला लेकिन कुछ साल बाद, जब वो वैज्ञानिक उसी जगह वापस लौटे तो वही पत्थर उनको तक़रीबन 1 KM दूर मिला. कुछ वैज्ञानिको का कहना है की तेजी से बहने वाली हवाओ के कारण Death Valley के पत्थर एक जगह से दूसरी जगह खिसक जाते है. चलिए हम इसको थोड़ा और details में समझते है.

शोधकर्ता बताते है की, Death Valley से तक़रीबन 140 से 150 KM/Hr की speed से हवाएं चलती है. वहा की सतह के ऊपर की मिटटी की पतली परत और रात को ठंडी हवा के कारण वहा पे बर्फ जम जाती है. उस बर्फ के कारण पत्थर जमीन पर पकड़ जमाके नहीं रख पाते. 140KM/Hr की रफ़्तार से चलने वाली हवा उस पत्थर पे इतना force लगा देती है की पत्थर अपनी पकड़ जमा कर नहीं रुक पाता जिससे वो पत्थर अपनी जगह से खिसक जाते है.

कुछ शोधकर्ता ये भी बताते है की वहा पे पत्थर के निचे पानी की पतली परत/बर्फ की वजह से वहा पे शैवाल/ चिकना पदार्थ और gas तैयार होता है जिससे वो पत्थर जमीन पे पकड़ नहीं बना पाते है, और तेज चल रही हवा की वजह से वो एक जगह से दूसरी जगह खिसक जाते है.

हालांकि यहाँ के कुछ लोग इसके पीछे परलौकिक शक्तियों का हात है ऐसा मानते है. और तो और कुछ लोग तो यहाँ से पत्थरों को उठाके घर भी ले जा चुके है. उनके ख़याल से उन पत्थरों में कुछ शक्तिया है जिससे वो एक जगह से दूसरी जगह जाते है. यहाँ पे बहोत सारे research किये गए है लेकिन ऐसा क्यों होता है इसका पुख्ता सबूत किसीके पास नहीं है. क्या सच में Death Valley में कुछ ऐसी परलौकिक शक्तिया है या फिर हवा के कारण ही ये पत्थर एक जगह से दूसरी जगह खिसकते है? दोस्तों आपको क्या लगता है?

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अनसुलझा रहस्य 15:Bermuda Triangle.

Bermuda Triangle (बरमूडा ट्रायंगल) के बारे में तो आप ने सुना ही होगा. Bermuda Triangle के बारे में बहोत सी बाते और अफवाये famous है. जैसे की बरमूडा ट्रायंगल से जाने वाले Airplane (हवाई जहाज) या फिर ship (समुद्री जहाज) वापस कभी नहीं आते. Bermuda Triangle से जुडी बहोत सारी stories है लेकिन क्या सच में वहा पे ऐसा होता है? क्या सच में वहा पे ऐसा कोई रहस्य है जिसके कारण इतनी साड़ी घटनाये घटित हुई? आज हम आपको इसके बारे में सबकुछ बताएँगे जिससे आपको पूरा सच समझ आ जाएगा. तो चलिए जानते है, क्या है बरमूडा ट्रायंगल का सच?

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बरमूडा ट्रायंगल क्या है? (What Is Bermuda Triangle):-

यह एक ऐसा क्षेत्र है जो की उत्तर अमेरिका के पश्चिमी अटलांटिक महासागर में आता है. इसको Bermuda triangle (बरमूडा त्रिकोण) बोलते है क्योंकि ये Florida(Miami), Puerto Rico & Bermuda इन तीन क्षेत्र को आपस में जोड़ता है. Bermuda Triangle को Devil’s Triangle या फिर Hurricane Alley के नाम से भी जाना जाता है

Bermuda Triangle & Columbus:-

बरमूडा ट्रायंगल के बारे में सबसे पहले जानकारी देने वाले “क्रिस्टोफर कोलंबस” ने बताया की, जब वो अपने ship से समुन्दर से आगे जा रहे थे तब उनको इस क्षेत्र में आकाश में अजीब रौशनी दिखाई दी. इसके साथ ही उनको बिना हवा के चलते बड़ी लहरें उठती दिखाई दी थी. कोलंबस ने एक और रहस्यमयी बात का जीकर किया था की जब वो इस जगह से गुजर रहे थे तब उनका Compass (दिशादर्शक) गलत Directions दे रहा था.

Atlantic महासागर के Bermuda Triangle के इस भाग में जहाजों और Airplane के गायब होने की घटनाओ के बारे में ऐसा कहा जाता है की, बरमूडा ट्रायंगल के क्षेत्र में जब कोई जहाज या plane जाता है तो उसका radar, compass जैसे उपकरण काम करना बंद कर देते है जिसकी वजह से उनका दुनिया से संपर्क टूट जाता है और वो अपना मार्ग भटक जाते है. लेकिन क्या वाकई में ऐसा होता है?

Bermuda Triangle से लापता हुए जहाज:-

1881 में Allen Austin नाम के जहाज लापता हो गए.

1818 में USS cyclops नाम के Navy जहाज बारबाडोस से रावण होने के बाद गायब हो गए.

1945 में 5 Flight 19 जहाज गायब हो गए.

1921 में Carroll A Deering जहाज दक्षिणी केरोलिना के पास से लापता हो गया.

1949 में Star Tiger और Star Ariel गायब हो गए.

ऐसे बहोत सारे जहाज आज तक Bermuda Triangle से गायब हो चुके है जिसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है.

Broken Plane Flight 19 Missing:-

अमेरिका नौसेना के 5 बमवर्षक विमानों ने 5 Dec 1945 को लेफ्टनेंट चार्ल्स टेलर के नेतृत्व में 14 लोगो के साथ Bermuda Triangle से उड़ान भरी थी लेकिन ये सभी लोग कभी वापस नहीं आये. उनकी तलाश और बचाव के लिए, 1३ व्यक्ति चालक दाल के साथ एक PBM मरिनर हवाई हवाई जहाज भेजा गया. लेकिन बाद में वो भी गायब हो गया. हलाकि Florida के तट पे तैनात एक टैंकर ने हवा में विस्फोट दिखाई देने का जिक्र किया. मरिनर हवाई जहाज का पिछले रिकॉर्ड कुछ अच्छा नहीं था. कहा जाता है की ज्यादा ईंधन के साथ ज्यादा load देने पे leakage के कारण विमान में विस्फोट हो जाता था. तो क्या ये सभी घटनाये वाकई में एक संयोग (Coincident) थी या फिर इसमें वाकई में कोई रहस्य छिपा है?

अमेरिका के इतिहास में ये बिना लड़ाई के घटित हुई सबसे बड़ी Loss में से एक है. Cyclops जहाज मैंगनीज धातु को Bermuda triangle की जगह से ले जा रहा था जो की एक ही इंजन के साथ चल रहा था. 309 लोगो के साथ जानेवाला ये जहाज,एक भी निशान पीछे छोड़े बिना कैसे गायब हुआ ये आज तक रहस्य बना हुआ है.

इसके साथ ही बाद में Cyclops जैसे ही Proteus और Nereus ये दोनों जहाज भी गायब हुए जिनका पता भी आज तक नहीं लग पाया है. कुछ लोग कहते है की ये जहाज आंधी की वजह से डूब गए होंगे तो कुछ लोग कहते है शत्रुओ के हमले की वजह से ये डूब गए होंगे. लेकिन ऐसा कहा जाता है की ये तीनो जहाज ज्यादा load (Overloading) की वजह से structure failure होने से डूब गयी.

2013 में किये गए study के अनुसार World Wide Fund for Nature ने पूरी दुनिया में से सबसे खतरनाक समुंदर के रास्तो की list बनाई थी. आश्चर्य की बात ये है की उसमे Bermuda Triangle का जिक्र भी नहीं है. क्या Bermuda Triangle सच में इतना रहस्यमयी नहीं है?

Bermuda Triangle सच या झूठ ?

Larry Kusche नाम के एक लेखक जिन्होंने “The Bermuda Triangle Mystery: Solved (1975) नाम की एक book लिखी है उसमे बहोत सारे दावे किये है. उनके अनुसार Bermuda Triangle में जितने भी Ships या हवाई जहाज लापता या क्षतिग्रस्त हुए वो बाकि जगह हुए दुर्घटनाओं से लक्षणीय रूप से ज्यादा नहीं है. बरमूडा ट्रायंगल के बारे में Larry Kusche कहते है की Bermuda Triangle ये एक Normal सा भाग है और वहा पे हुए हादसों के बारे में बढ़ा चढ़ाके बताया गया है. ये सब सनसनी news बनाने के लिए या फिर Misunderstanding की वजह से हुवा है.

यदि हम मान ले की यहाँ पे घटित हुई घटनाये बाकी जगहों पर हुई घटनाओ से ज्यादा नहीं है या फिर सर्वसामान्य है लेकिन फिर भी यहाँ जितनी भी घटनाये हुई है, उनमे से कई सारी घटनाओ के रहस्य आज भी रहस्य बने हुए है जिनको आज तक कोई सुलझा नहीं सका है.

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अनसुलझा रहस्य 16:Kamakhya Devi Temple, Assam.

Kamakhya Temple – इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है, की साल में एक बार 3 दिनों के लिए माँ भगवती (सती) देवी मासिक धर्म की अवस्था से गुजरती है. उस दौरान वहा से बहने वाली ब्रम्हपुत्रा नदी का पानी भी लाल रंग का हो जाता है. यही वो स्थान है, जहा माँ भगवती देवी की महामुद्रा यानिकी योनिकुण्ड स्थित है.

दोस्तों, आपको तो पता ही होगा की, हमारी दुनिया में रहस्यमयी चीज़ों की कमी नहीं है. बहोत सारी ऐसी अनोखी और रहस्यमयी चीज़ें इस दुनिया में है, जिसके बारे में वैज्ञानिक अभी तक नहीं जान पायें है. हमने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बहोत सी तरक्की कर ली है. लेकिन कभी कभी कुछ ऐसी चीजे हमारे सामने आ जाती है, जिसको देखके हम प्रकृति के आगे घुटने टेक देते है. हमारे भारत देश में भी बहोत से ऐसे राज छुपे है, जिसके बारे में अभी तक सब लोक अनजान है. अगर रहस्यों की ही बात की जाये तो हमारे देश में बहोत सारे ऐसे मंदिर है, जिनके रहस्य आज भी अनसुलझे है. आज हम बात करने वाले है एक ऐसे मंदिर के बारे में, जो की 51 शक्तिपीठों में से एक है. हम बात करने वाले है कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) के बारे में.

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पूर्व इतिहास (History Of Kamakhya Temple):-

राजा दक्ष अपनी बेटी सती की पसंद, जो की भगवान् शिव थे उनसे नाखुश थे. जब राजा दक्ष ने यज्ञ किया था. तब उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया था. लेकिन उन्होंने देवी सती और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया. अपने पिता दक्ष से भगवान् शिव को आमंत्रित ना करने की वजह से, और भगवान् शिव को अपमानित होते देख कर, देवी सती बहोत ही क्रोधित हुई और उन्होने अपने शरीर को उसी ही यज्ञ में आत्मसमर्पित कर दिया.

इसी बिच अपनी पत्नी की हानि पर भगवान् शिव बहोत ही दुःख और क्रोध से त्रस्त हो गए. उन्होंने देवी सती के शरीर को अपने कंधे के ऊपर रखा और स्वर्ग में तांडव करने लगे. अन्य देवताओंने भगवान् शिव के क्रोध से डरके भगवान् विष्णु से मदत मांगी. भगवान् विष्णु ने देवी सती के शरीर को नष्ट करने के हेतु अपना सुदर्शन चक्र चलाया. जिसकी वजह से देवी सती के शरीर के टुकड़े हो गए. जिसके बाद भगवान् शिव ध्यान में चले गए. विभिन्न मिथको और परम्पराओ के अनुसार ऐसा कहा जाता है की, भारतीय उपमहाद्वीप में देवी सती के शरीर के 51 टुकड़े बिखरे हुए है और इसे ही शक्तिपीठ कहा जाता है. कामाख्या मंदिर ये वही क्षेत्र है, जहा पे देवी सती के शरीर के योनि का भाग गिरा था.

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अम्भुबाची मेला (Ambubachi Mela):-

Ambubachi Mela हर साल में एक बार लगभग जून महीने में आता है. अम्भुबाची मेला तब होता है जब देवी मासिक धर्म की अवस्था से गुजरती है. इस मंदिर में एक शीलापिंड है, जिसकी पूजा देवी के रूप में होती है. और साल में अम्बुबाची पर्व में उसी पिंड से रक्त का स्राव होता है. इस ३ दिनों के लिए मंदिर बंद रहता है. आसपास के मंदिरो में भी इस ३ दिनों तक कोई पूजा नहीं की जाती.ऐसा कहा जाता है की, उस गर्भगृह स्थित शीलापिंड पर सफ़ेद वस्त्र चढ़ाया जाता है. जो की बाद में लाल रंग का हो जाता है. वही वस्त्र भक्तों को प्रसाद के रूप में समर्पित किया जाता है. ये पानी लाल रंग का कैसे होता है, इसके बारे में बहोत research की गयी. लेकिन अभी तक ये रहस्य कोई सुलझा नहीं सका है. इसके बारे में अभीभी बहोत सारे मतभेद कायम है.

देवी के ऊपर लोगों की बहोत ज्यादा श्रद्धा है. जगभर से कई लोग इस मेले के दौरान कामाख्या मंदिर (kamakhya Temple) में दर्शन के लिए आते है. बहोत सारे साधु, तांत्रिक जो सालभर ध्यानधारणा में होते है उनके दर्शन भी आपको इसी मेले में मिल जायेंगे.

दोस्तों अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हो, तो आप आसाम के गुवाहाटी से जा सकते हो. जहा से Kamakhya Temple तक़रीबन 18KM की दुरी पर नीलाचल पर्वत पे है. हमारा suggestion है की जून महीने में अम्बुबाची मेले के दरमियान आप वहा पे visit करे.

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अनसुलझा रहस्य 17:Zanetti Train Mystery 1911.

Zanetti Train- एक ऐसी ट्रेन जो मंज़िल पर पहुँचने से पहले हुई गायब.

Zanetti Train लगभग 106 लोगों को लेकर जा रही थी. लेकिन रस्ते में एक सुरंग में जाके वह गायब हुई. लोगो ने सुरंग में देखा तो ज़नेत्ति ट्रेन का नामोनिशान नहीं था और नाही कुछ सबूत था.

इस हादसे को हो जाने के 100 साल बाद आज भी कई लोग उस ट्रैन को देखने का दावा करते है. क्या सच में आज भी zanetti train लोगो को दिखती है? क्या यह Train टाइम ट्रैवल में खो गयी थी? तो फिर उस train में बैठे 106 लोगों का क्या हुआ? जानेंगे आज के इस आर्टिकल में zanetti train से जुड़े रहस्यों (Mystery) के बारे में.

कहानी के मुताबिक ज़नेत्ति नाम की रेल 100 passengers और 6 रेल स्टाफ ऐसे total 106 लोगो को लेकर रोम (Rome) से लोम्बार्ड (Lombard) जा रही थी. रोम से लोम्बार्ड जाते वक्त बीच में ही सुरंग से जाते हुए अचानक से Zanetti train रहस्यमयी तरीके से गायब हो गयी. जिसके बारे में आज तक पता नहीं चल पाया.

हादसे से बचे 2 आदमी (Rescued 2 peoples from incident):-

Zanetti Train का हादसा होने से पहले इस ट्रेन पे सवार 2 passenger उस हादसे से बच गए. वो दोनों भी बहोत डरे हुए थे. जब उनसे इस हादसे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की, ज़नेत्ति train जब सुरंग के अंदर जाने वाली थी तो सुरंग के पास उन दोनों को धुवा दिखाई दिया था. वह कुछ अजीब तरह का धुआँ दिख रहा था जिसको देखके वो दोनों डर गए और उस ट्रेन से कूद गए. कूदने के बाद उन्होंने देखा की Zanetti train उस सुरंग में जा के गायब हो गयी. वह ट्रैन कहा गयी और कैसे गायब हुई यह कोई नहीं जानता.

कहा जाता है की इस हादसे के बाद उस घटना पे बहोत सारी research की गयी लेकिन उस train के बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका. बाद में उस सुरंग को ही बंद कर दिया. मगर सुरंग बंद करने से इस रहस्यमयी train का अंत नहीं हुआ.

Zanetti Train की घटना के बाद तक़रीबन 27 साल बाद बहोत ही आश्चर्यजनक घटना हुई. मेक्सिको के एक डॉक्टर ने बताया की उस दिन अचानक से 104 पागल मरीज भर्ती हुए. जो की इटली से होंगे ऐसे लग रहे थे. उनके कपडे भी अलग ही दिख रहे थे. सभी लोग यही बता रहे थे की, वह Rome से Mexico आये है. जब उनको उनके journey के बारे में पूछा, तो वो सभी लोग train से आने का जिक्र कर रहे थे. लेकिन सबसे चौंका देने वाली बात यही थी की, Rome से Mexico आने-जाने के लिए एक भी train नहीं थी.

Zanetti Train का सच (Truth Of Zanetti Train Mystery):-

दोस्तों, इस हादसे के बारे में हमारी team ने बहोत research की. बहोत सारे websites चेक किये. पुराने newspaper भी छान मारे. Research के बाद इस घटना के बारे में कुछ points highlight होते है. कुछ थोड़ी Websites/videos को छोड़के Zanetti train के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी उपलब्ध नहीं है. अगर यह हादसा सच में हुआ था, तो इसके बारे में किसी भी newspaper में क्यों नहीं लिखा गया? 106 लोगों के लापता होने के बावजूद, अखबार में उस खबर का ना आना क्या सच में मुमकिन है? Wikipedia जैसी website जिसमे लगभग सभी चीज़ों की unbiased जानकारी होती है, उसमे Zanetti train के इस हादसे के बारे में क्यों नहीं लिखा गया?

हालांकि ऐसी कई सारी बाते है जिसकी वजह से हम Zanetti Train की इस घटना को काल्पनिक ही समझ सकते है. दोस्तों आपको क्या लगता है? क्या सच में Zanetti Train जैसी घटना सच्ची हो सकती है या फिर यह भी एक काल्पनिक कहानी है?

अनसुलझा रहस्य 18:Talakadu–Mini Desert.

शाप से बना कर्नाटक का रेगिस्थान. जब भी हम रेगिस्तान को देखने की बात करते है तब हमारे सामने राजस्थान का नाम आता है। क्यूँकि राजस्थान में ही रेगिस्तान देखने मिलते है। आप को ये जानकर हैरानी होंगी की लेकिन कर्नाटक में भी Talakadu नाम का रेगिस्तान है।

Talkadu Desert के बारे में कहा जाता है की, कर्नाटक में एक ऐसा शहर है जो शाप की वजह से पूरी तरह से रेगिस्तान बन गया है। उस रेगिस्तान को “तलकाड़ू” (Talkadu) के नाम से जानते है। तो जानते है इस शाप की क्या वजह है।

तलकाड़ू रेगिस्तान Talakadu Desert:-

तलकाड़ू रेगिस्तान, मैसूर से ४५ km और कर्नाटक में बैंगलोर से १३३ km दूरी पर कावेरी नदी के बायें किनारे पर स्थित है। तलकाड़ू रेगिस्थान के चारों ओर सिर्फ़ रेत ही रेत देखने मिलेगी। यह रेगिस्तान पहले ख़ूबसूरत शहर था। एक वक़्त था जब यहा पर ३० से भी ज़्यादा मंदिर (Talakadu Temples) थे। लेकिन अब उनमें से ज़्यादा से ज़्यादा मंदिर रेत में दबे हुए थे। लेकिन यह तलकाड़ू नाम आया कहा से जानते है इसके पीछे की वजह क्या है।

तलकाड़ू नाम का इतिहास History of Talakadu Name:-

पुरातन काल से ही इस शहर का नामो निशान मिट गया है। यह शहर पूरी तरह से रेगिस्तान बन गया है। Talakadu के बारे में बहोत सारी कहानिया बतायी गयी है।

एक दिन “ताला” और “कड़ू” नाम के दो जुड़वा भाई जंगल में पेड़ काटने चले गए। उन दोनो ने एक ऐसे पेड़ को काट दिया जिस पेड़ की पूजा जंगली हाथी करते थे। बाद मे उन्हें पता चला की जो पेड़ उन्होंने काटा है उसमें भगवान शिव की प्रतिमा है। इसीलिए वो हाथी इस पेड़ की पूजा करते थे। वो हाथी नहीं थे बल्कि ऋषियों का रूप था। उसके बाद उस पेड़ को चमत्कारी रूप से फिर से स्थापित कर दिया गया। तब से इस जगह का नाम “ताला-कड़ू“ रखा गया। इसे संस्कृत में “दला-वान” कहते है। वीरभद्रा स्वामी मंदिर के सामने इन दो जुड़वा भाइयों के प्रतिनिधित्व करने के लिए दो पत्थर रखे गए है। ऐसा कहा जाता है की राम जब लंका जाने निकले थे तब वो “तलकाड़ू” रेगिस्तान में रुके हुए थे।

“तलकाड़ू” एक छोटासा शहर था। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ की, इस ख़ूबसूरत शहर का रेगिस्तान बन गया। तो जानते है इसके इतिहास के बारे में।

तलकाड़ू रेगिस्तान का इतिहास History of Talkadu Desert:-

इस रेगिस्तान का इतिहास बड़ा संजीदा है। क्यूँकि बहोत सारे राजाओं ने इस रेगिस्तान पर शासन किया था। ११वी शताब्दी की शूरवात में पश्चिमी गंगा यानी की प्राचीन कर्नाटक राजवंश ने चोला राजवंश के आगे अपनी हार मान ली थी। उसके बाद चोला राजवंश ने तलकाड़ू पर क़ब्ज़ा कर लिया था। और बाद में उसे Rajarajapura (रजराजपुरा) ने नाम दिया गया। लेकिन १०० साल के बाद Hoysala(होयसल) के राजा विष्णुवर्धन ने तलकाड़ू पर अपना अधिकार जमाया। होयसल के राजा ने चोला राजवंश को मैसूर से बाहर निकाला। उस वक़्त तलकाड़ू सात शहर और पाँच मठों से बना हुआ था। १४ वी शताब्दी के मध्यतक होयसल के राजा ने तलकाड़ू पर शासन किया था। उसके बाद ये विजयनगर संप्रभु के सामंतो के क़ब्ज़े में चला गया। १६१० में तलकाड़ू शहर को मैसूर के राजा ने जीत लिया था।

राणी अलमेलम्मा का तलकाड़ू पर शाप Talakadu Curse:-

मैसूर के वोडेयार राजा के हिरासत में तलकाड़ू शहर आया था। वोडेयार राजा, राणी अलमेलम्मा (Alamelamma) के गहने हासिल करना चाहता था। लेकिन हर बार वो गहने प्राप्त करने में असफल होता था। उसे वो गहने किसी भी हालात में हासिल करने थे। उसके बाद राजा ने एक सेना खड़ी की और राणी के पीछे उनको लगा दिया। जब यह बात राणी अलमेलम्मा को पता चली तब उन्होंने ऐसा कुछ किया जिसपर शायद कोई विश्वास नहीं करेगा। राणी अलमेलम्मा, कावेरी नदी के किनारे पर गयी। और अपने सारे गहने निकाल कर नदी में फ़ेक दिए। और उसके बाद ख़ुद भी नदी में डूब गयी। ऐसा कहा जाता है की, राणी ने डूबते समय शाप दिया की “तलकाड़ू शहर पूरी तरह से रेत बन जाएगा, मलांगी भँवर बन जाएगी, मैसूर राजा को वारिस नहीं होगा”।

१६ वी शताब्दी के शुरुआती दिनो में ही राणी का यह शाप सच होने लगा था। जिता जागता तलकाड़ू शहर पूरी तरह से रेगिस्तान बन गया। १७ वी शताब्दी के बाद से सिंहासन पर एक भी उत्तराधिकारी नहीं बैठा।

यह कहानी कितनी सच है और कितनी झूठ यह कोई दावे के साथ नहीं कह सकता। पुराना तलकाड़ू शहर पूरी तरह से लगभग एक Mile लंबाई तक फैली रेत के पहाड़ियों के नीचे दफ़न हुआ है। Talakadu के निवासियो को बार बार अपने घर छोड़कर दूसरी जगह में जाना पड़ा। यहा पे ३० से अधिक मंदिर रेत के नीचे दबे हुए है। रेत में दबा हुआ सबसे भव्य मंदिर Vaidyanatheshwar है।

पर्यटकों का आकर्षण Tourist Attractions:-

Talkadu Desert पर्यटकों के बीच अपने ख़ूबसूरत मंदिरो के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर अपने पाँच मंदिरो के लिए जाना जाता है।

व्य्द्यनथेश्वर

पथलेश्वर

मरुलेश्वर

अरकेशवरा

मल्लिकार्जूंन

यही वो पाँच मंदिर है। माना जाता है की यह पाँच लिंग भगवान शिव के पाँच मुखों का प्रतिनिधित्व करते है। पंच मार्ग का निर्माण करते हुए प्रसिद्ध है। इन पाँच शिव मंदिरो के सन्मान में हर १२ साल में एक बार मेला लगता है। २००९ में अंतिम बार यह मेला आयोजित किया हुआ था।

अनसुलझा रहस्य 19:Rain Man – Don Decker .

Don Decker एक ऐसे आदमी थे, जो कही भी जाते थे वहा पे बारिश शुरू होती थी. जिसकी वजह से उन्हें “Rain Man” के नाम से भी जाना जाता था. आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे Don Decker – The Rain Man के रहस्य और तथ्य के बारे में.

Rain Man की घटना – Don Decker Incident:-

Rain Man यानि की Don Decker जो अमेरिका के Pennsylvania में रहते थे उनके साथ एक घटना हुई थी. 24 Feb 1983 को 65 साल के James Kishaugh जो के Don Decker के दादाजी थे उनका निधन हुआ था. उस समय Don Decker की उम्र 21 साल की थी. उसी वक्त वह चोरी के मामले में 4-12 महीनों तक सजा काट रहे थे. दादाजी के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए उन्हें County jail से थोड़े दिनों की छुट्टी दी थी.

अंतिम संस्कार के बाद Don ने अपने दोस्त बॉब और Jeannie Keiffer के साथ रहने का फैसला किया. जब डॉन उस घर में रहने के लिए गए तो डॉन को अचानक से ठण्ड लगने लगी. उसी समय से Living Room के दीवारों से पानी टपकना चालू हो गया. डॉन के दोस्तों ने अपने मकान मालिक Ron को यह बात बताई. जब Ron वहा आये तो वहा पानी को देख के आश्चर्य चकित हो गए. सबको लगा यह Plumbing की समस्या हो सकती है. लेकिन जब उन्होंने घर के बाहर जाके देखा तो वहा पे किसी भी प्रकार के पाइप का leakage नहीं था फिर भी दीवार से पानी का टपकना चालू ही था. यह पानी का दीवार से टपकना तब बंद हुआ, जब Don Decker (Rain Man) को उनके दोस्त घर से बाहर restaurant ले गए.

Rain Man Restaurant Incident

जब Don Decker अपने दोस्त के साथ उस restaurant में गए तब वहा पे भी बारिश यानी की दीवार से पानी का टपकना शुरू हो गया. यह पानी Don Decker के सिर के ऊपर गिर रहा था. restaurant के मालिक को यह सब चीज़ें देख के लगा की डॉन के अंदर किसी भूत का साया है जिसकी वजह से यह सब हो रहा है. इस वजह से restaurant के मालिक ने अपने पास का पवित्र क्रॉस डॉन के शरीर को सटा दिया जिससे डॉन की त्वचा क्रॉस लगाने की जगह पे जल गयी. लेकिन जैसेही डॉन और उनके दोस्त रेस्टॉरेंट से बाहर निकले तब वहा से भी पानी का टपकना बंद हो गया और डॉन भी थी हो गए. डॉन भी समझ चुके थे की यह सब घटनाएं तभी होती है जब डॉन चार दीवारों के अंदर होते है.

End of Mysterious Rain

अब डॉन (Rain Man) का पुलिस ने दिया हुआ समय ख़त्म हो चूका था और डॉन फिरसे अपनी सजा को काटने के लिए वापस jail में चले गए. जब डॉन Jail गए तो वहा पे भी बारिश चालू हो गयी. डॉन का सोचना था की वह बारिश को control कर सकते है. जब जेल के गार्ड ने देखा की डॉन के कमरे में पानी भरा हुआ है तब वो हैरान हो गए. तब डॉन ने गार्ड को कहा की वो अपने मन से बारिश करा सकते है. गार्ड ने डॉन को चुनौती दी की वो वार्डन के कार्यालय में बारिश करके दिखाए. तब कुछ ही समय बाद वार्डन की शर्ट पर पानी दिखाई दिया. इस घटना से गार्ड बहोत ही आश्चर्य चकित हो गए और उन्होंने यह घटना jail के अधिकारी को बताई. अधिकारी ने चर्च के पादरी को बुलाया. ऐसा कहा जाता है की जब पादरी जेल में आकर पवित्र ग्रंथ को पढ़ने लगे तब उस ग्रंथ को छोड़ के सब कुछ पानी से भीग चूका था. जिसके बाद यह Rain Man की वजह से होने वाली बारिश रुक गयी और बाद में ऐसा कभी नहीं हुआ.

हालांकि इस घटना के बारे में कई सारे लोग विश्वास करते है तो कई लोक नहीं करते. दोस्तों आपको क्या लगता है? क्या सच में ऐसा भी हो सकता है?

अनसुलझा रहस्य 20:Prahlad Jani.

Prahlad Jani एक ऐसे योगी थे, जिन्होंने दावा किया था की पिछले 80 सालो से ना कुछ खाया है ना और ना पिया है. क्या सच में बिना भोजन और पानी के रहना possible है? एक आदमी ज्यादा से ज्यादा कितने दिन बिना भोजन और पानी के रह सकता है? प्रह्लाद जानी जो बिना खाये पिये जीने का दावा करते थे. जिनके बहोत सारे Medical Test भी किये, क्या था उनका result? सच क्या है चलिए जान लेते है.

दोस्तों भारत हमेशा से ही विविधताओं से भरा देश है. यहाँ के लोगो की भगवान् के प्रति बहोत ही ज्यादा श्रद्धा है और यहाँ के मंदिर, हमारे इस भारत देश को एक अलग ही पहचान दिलाते है. यहाँ के संत, साधू या फिर योगी अपना पूरा जीवन भगवान् की पूजा में व्यतीत कर देते है. जिनमे से एक है Yogi Prahlad Jani.

प्रह्लाद जानी जी को “माताजी” या फिर “चूनरीवाला माताजी” के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने 7 साल की उम्र में ही अपना “चरदा” नाम का गांव छोड़ दिया, जो की गुजरात में मेहसाणा जिले में आता है. गांव छोड़ने के बाद वो जंगल में रहने के लिए चले गए.

Prahlad Jani कहा रहते थे? Prahlad Jani Address

पिछले 50 सालो से Prahlad Jani जी एक वर्षावन के गुफा में रहते थे. वो रोज सुबह 4 बजे उठते थे, और ज्यादा से ज्यादा समय ध्यान धारणा में ही व्यतीत करते है. प्रह्लाद जानी का जन्म 13 August, 1929 में हुआ. प्रह्लाद जी के अनुसार, वो साल 1940 से ही बिना भोजन और पानी के रहते थे. उनका मानना था की माँ अम्बा देवी उनका पालन और पोषण करती है.

“माताजी” बनने की कहानी:-

Prahlad Jani जी खुद ही बताते थे, की उनको माता दुर्गा का वरदान है. 12 साल की उम्र में ही उन्होंने आध्यात्मिकता को हासिल कर लिया था, और माता अम्बा देवी के भक्त बन गए थे. भक्त बनने के बाद से ही वो लाल साड़ी, गहने और लाल रंग का फूल अपने कंधो तक लम्बे बालो में पहनने लगे. अम्बा देवी के भक्त के रूप में Prahlad Jani जी ने महिला का पोशाख परिधान किया और इसी वजह से सब लोग “माताजी” (Mataji) नाम से जानने लगे. Prahlad Jani का कहना था की उन्हें जीवित रहने के, लिए माता पानी देती है. जो की उनके दिमाग के ऊपर एक hole से निचे आता है. जिसकी वजह से वो बिना भोजन और पानी के जीवित रह सकते है.

प्रह्लाद जानी जी के बारे में क्या कहता है विज्ञान?

दुनियाभर के वैज्ञानिक Prahlad Jani जी के रहस्य के बारे में जानना चाहते है. बिना भोजन और पानी के रहना कैसे possible हो सकता है इसकी जांच वैज्ञानिक करना चाहते है. इस वजह से Ahmadabad के Neurologist Dr. Sudhir Shah ने साल 2003 और 2010 में जांच पड़ताल की जिसके नतीजे देख के सभी Scientist चौंक गए. इन दोनों Cases में शोधकर्ताओं ने ये Confirm किया की Prahlad Jani सच में बिना भोजन और पानी की जीवित रह सकते है.

Prahlad Jani Wearing Rudraksh

2003 Test :-

जैसे की हमने बताया, Dr. Sudhir Shah जी और बाकि Physicians ने मिलकर, साल 2003 में Ahmadabad के Sterling अस्पताल में प्रह्लाद जानी जी को 10 दिनों के लिए अपने निगरानी में रखा. Jani जी को seal बंद कमरे में रखा. इस 10 दिनों के निगरानी में Prahlad जी ने ना कुछ खाया और ना कुछ पिया. यहाँ तक की प्रह्लाद जी ने इन 10 दिनों में पेशाब भी नहीं किया और शौचालय का भी उपयोग नहीं किया. Check up के दौरान भी Prahlad Jani जी एकदम तंदुरुस्त थे. 2010 में फिरसे प्रहलाद जी का Test किया.

2010 Test:-

22 April 2010 से लेकर 06 May 2010 तक इन 15 दिनों के लिए फिरसे Prahlad Jani जी का Test किया गया. इस test के लिए इसबार Dr. Sudhir Shah जी के साथ “DIPAS” (Defense Institute of Physiology & Allied Sciences) के भी और 35 Researchers थे. 2003 साल में जैसे Test किये थे उसी तरह से इस बार भी टेस्ट किये गए. इस Team ने Prahlad Jani जी के Blood Test और Scan भी किया. प्रह्लाद जी के कमरे में 24 घंटे CCTV कैमेरे लगे रहते थे. इन 15 दिनों की निगरानी में प्रह्लाद जानी जी ने एकबार भी भोजन और पानी के लिए नहीं पूछा. उन्होंने इन 15 दिनों में शौचालय का भी Use नहीं किया. Researcher के अनुसार निगरानी के 5 वे दिन से Jani जी पानी से गरारे और कभी कभी स्नान भी करते थे.

Doctors ने बताया की, Jani जी के मूत्राशय में Liquid की मात्रा कम और ज्यादा हुई थी, और उनके मूत्राशय मूत्र तैयार करने में भी सक्षम थे. फिर भी प्रह्लाद जी ने पेशाब नहीं किया. 15 दिनों के निगरानी के बाद Doctors ने Prahlad Jani जी की जांच की और बताया की Jani जी का स्वास्थ्य बहोत ही Normal है और चिंता करने जैसी थोड़ी भी बात नहीं है.

Test होने के बाद का Doctors का कहना:-

2010 के Test के बाद “DIPAS” ने बताया की वो इसके आगे जाके Research करने का Plan कर रहे है. वो जानना चाहते है की आखिरकार कोई व्यक्ति बिना कुछ खाये-पिये इतने दिनों तक ज़िंदा कैसे रह सकता है? अगर हम पानी ना पिये, या फिर पानी कम पिये, तो भी हमारे शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है जिससे हम Dehydration के शिकार बन सकते है. जिससे हमारी जान भी जा सकती है. लेकिन प्रह्लाद जानी के बारे में इससे विपरीत था. उनका स्वास्थ्य तो उनकी आयु की अनुसार ज्यादा ही अच्छा था. “DIPAS” ये भी जानना चाहती है की, हमारे शरीर को जो ऊर्जा मिलती है वो हमें भोजन खाने से मिलती है. तो फिर Prahlad Jani बिना कुछ खाये इतना तंदुरुस्त कैसे रह सकते है?

Prahlad Jani जी का बिना भोजन और पानी के रहना ‘सच’ या ‘झूठ’?

दोस्तों हर एक बात के दो पहलू होते है और हर व्यक्ति की सोच या नजरिया अलग-अलग होता है. प्रह्लाद जानी जी के test किये गए थे उनके बारे में भी कुछ जानकारों में संदेह है. Harvard Humanitarian Institute के Director जो की Dr. Michael Van Rooyen है उन्होंने इस टेस्ट को Impossible (नामुमकिन) कहते हुए नकारा. उनके मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसको अच्छी तरीके से खाना पीना ना मिलता हो, उनके शरीर में problems आना शुरू हो जाता है. जैसे की Kidney का fail हो जाना, दिल की बीमारी, जल्दी से बीमार हो जाना etc. लेकिन Jani जी की बात करे तो उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

Sanal Edamaruku जो भारतीय तर्कवादी संघ (Indian Rationalist Association) के मुखिया ने भी Prahlad Jani के किये गए test, और दावे को इनकार कर दिया. उनका कहना था की, Test के दौरान प्रह्लाद जी को Seal बंद कमरे से बाहर Sunbath के लिए जाने की permission नहीं देनी चाहिए थी.

Transperency of Test:-

उनका यह भी कहना था की Prahlad जी को गरारे करने देना, या फिर नहाने देना इसकी वजह से ये टेस्ट 100% पारदर्शिता से नहीं हुआ. जिससे इस टेस्ट की निगरानी अपर्याप्त रूप से की गयी है. Indian Rationalist Association ने बताया की, अभी तक बिना भोजन पानी के रहने का दावा जिस किसी भी व्यक्ति ने किया है वो झूठ ही साबित हुआ है.

तो दोस्तों, जैसे की हमने आपको पहले ही बताया की हर एक चीज़ के दो अलग पहलु होते है और हर आदमी की किसी भी चीज़ के प्रति अलग-अलग राय होती है. ठीक उसी तरह Prahlad Jani जी यानी की चूनरीवाला माताजी के बिना भोजन और पानी के रहने वाले दावे पर भी अलग अलग सोच है. क्या सच में बिना भोजन और पानी के जीवित रहना मुमकिन है? क्या सच में Prahlad Jani जी ऐसा करने में सक्षम थे? अगर कोई वाकई में ऐसा कर सकते है तो ये चमत्कार से कम नहीं. आपको क्या लगता है

अनसुलझा रहस्य 21:Walter Summerford.

Walter Summerford- एक ऐसा आदमी था, जिसको दुनिया का सबसे अशुभ आदमी कहा जाता है। आख़िरकार ऐसा क्या था Walter Summerford में, जिसकी वजह से उसे इतना बदकिस्मत इंसान कहा जाता है? जानेंगे आज के इस article में। जानेंगे वॉल्टर समरफ़ोर्ड के साथ घटित हुई सभी घटनाए जिसकी वजह से उसे दुनिया में सबसे अशुभ व्यक्ति कहा जाता है।

बदकिस्मत किसे कहते है?

वो इंसान जिसके साथ हमेशा से ही कुछ ना कुछ ग़लत ही होता है। वो जहाँ जाता है वहाँ कोई ना कोई मुसीबत आ ही जाती है। इसीलिए वो ख़ुद को ही दोषी मानने लगता है।

Major Walter Summerford जो की एक British अधिकारी थे। वो पहले विश्व यूध्य में लढाई के लिए गए थे। उनके साथ कुछ ऐसी ३ अजीबो ग़रीब घटना हुई थी जिसकी वजह से वो सबके लिए अशुभ व्यक्ति (Most Unlucky Person) बन गए। तो दोस्तों जानते है Walter के life से जुड़े उन incidents के बारे में।

Incidents Happened to Walter Summerford :-

पहली घटना:-

साल १९१८ में Walter Summerford के साथ पहली घटना हुई थी। एक बार Belgium के मैदान में वो घोड़सवारी कर रहे थे। तब अचानक से उनके ऊपर आकाश से बिजली गिर गयी। बिजली गिरने की वजह से उनके कमर के नीचे का शरीर paralyzed हो गया था। इतने बड़े हादसे के बाद भी वो पूरी तरह से ठीक हो गए। उनकी यह हालत देखकर वो ठीक होने से पहले ही उन्हें सेना की और से मुक्त कर दिया था। Walter पहली घटना से बिलकुल ठीक हो गए थे। Retirement के बाद वह अपनी ज़िंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहते थे। इसीलिए वह Canada चले गए। लेकिन कहते है ना कि हम कहा भी चले जाए लेकिन बदक़िस्मती हमारा पिछा नहीं छोड़ती। Walter Summerford के साथ बिलकुल ऐसा ही हुआ।

दूसरी घटना:-

साल १९२४ में Walter Summerford के साथ दूसरी घटना हुई थी। एक दिन वो तालाब में मछली पकड़ने के लिए गए थे। मछली पकड़ने के बाद तालाब के पास में ही एक पेड़ के नीचे बेठ गए थे। तब अचानक से एक और बार उनके ऊपर बिजली गिर गयी। लेकिन इस बार उनके शरीर का दाया भाग paralyzed हो गया था। लेकिन इस हादसे से भी वो पूरी तरह से ठीक होगए थे।

तीसरी घटना:-

साल १९३० में उनके साथ फिरसे तीसरी घटना हुई थी। एक दिन गरमी के मौसम में वो पार्क में walking कर रहे थे। तब अचानक से मौसम ख़राब होने लगा। काले बादल छाने लगे और बिजली कड़कड़ने लगी थी। अचानक से फिर एक बार बिजली उनके ऊपर गिर गयी। इस वक़्त उनकी हालत बहोत ज़्यादा ख़राब थी। दो साल से वो अपने ज़िंदगी से लढ रहे थे। लेकिन शायद इतने हादसों के बाद, उन्होंने जीने की उम्मीद छोड़ दी थी।

Thunder

१९३२ में आख़िर उनकी मौत हो गयी। मौत के बाद उन्हें क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया था। पता नहीं की आकाशीय बिजली और Walter Summerford का क्या connection था। क्यूँकि १९३६ में एक बार फिर उनके क़ब्र के ऊपर बिजली गिर गयी। जिसकी वजह से उनके क़ब्र का पत्थर टूट गया था।

मरने के बाद भी बिजली ने उनका पिछा नहीं छोड़ा। अगर हम इन घटनाओं पर ध्यान दे, तो यह समझ आता है की इन तिनो हादसों में ६ साल का ही अंतर कैसे हो सकता है। हर घटना में बिजली ही कैसे गिर सकती है। थोड़ी अजीब बात है लेकिन इसके पीछे का रहस्य आज भी कोई जान नहीं सका।

हालाँकि इस सब के पीछे की सच्चाई कुछ और ही हो सकती है क्यूँकि, इन सब घटनाओं के बारे में और Walter Summerford के बारे में कुछ websites और YouTube videos को छोड़ के ज़्यादा जानकारी मौजूद नहीं है। जिसकी वजह से वॉल्टर समरफ़ोर्ड की कहानी सच्ची है या झूठ है इसके बारे में कुछ भी कह नहीं सकते।

अनसुलझा रहस्य 22: The Secret Room Of Tajmahal.

1631 में, शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ के लिए ताजमहल बनवाया। जिसे दुनिया का सबसे बड़ा उपहार माना जाता है। ताजमहल में कुल 1089 कमरे हैं। जिनमें से 22 कमरे आज भी बंद हैं। शाहजहाँ को रानी मुमताज़ से बहुत प्यार था। यही कारण है कि रानी मुमताज उसे मरने के बाद भी रखना चाहती थी। हमें दिखाया गया कि ताजमहल जैसी बड़ी इमारत रानी मुमताज़ महल की याद में बनाई गई थी। लेकिन कुछ विशिष्ट सिद्धांतों में कहा गया है कि मुमताज़ बेगम को उनकी मृत्यु के बाद एक ममी बनाया गया था और उनके शरीर को एक गुप्त कमरे में रखा गया था। लेकिन यह इस्लाम के अनुसार बिल्कुल नहीं था। इसीलिए शाहजहाँ ने इस कमरे को हमेशा के लिए बंद कर दिया ताकि किसी को इसके बारे में पता न चले।

कहा जाता है कि ऐसे कमरों में शाहजहाँ के सैनिकों ने कई लोगों को प्रताड़ित किया। उनकी आत्माएं आज भी यहां मौजूद हैं। माना जाता है। माना जाता है कि मुमताज बेगम की आत्मा आज भी इन रहस्यमय कमरों में मौजूद है। ये कमरे इतने भयानक कारणों से नहीं खोले गए थे।

अनसुलझा रहस्य 23:Benspring Hotel, Room no.873.

कनाडा में “बेंसप्रिंग होटल” का कमरा 873, 8 वीं मंजिल पर स्थित है। जिसे अचानक बंद कर दिया गया। तो क्या हो सकता है अगर होटल ने इस कमरे का दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया होता? केवल बंद ही नहीं बल्कि यह कमरा एक दीवार के पीछे छिपा हुआ था।

सालों पहले एक कपल अपनी छोटी लड़की के साथ इस होटल में छुट्टियां मनाने आया था। यह दंपत्ति होटल के कमरे 873 में रुका था। यह परिवार किसी अन्य परिवार की तरह ही छुट्टियों से खुश था। लेकिन एक दिन आधी रात को उस आदमी के साथ ऐसा हुआ कि उसने अपनी पत्नी और बच्चे को बेरहमी से मार डाला। और आत्महत्या कर ली। यह इस समय अज्ञात है कि वह पद छोड़ने के बाद क्या करेंगे।

कुछ साल बाद, होटल प्रबंधन ने जनता के लिए कमरा खोल दिया। लेकिन यह आसान नहीं था। उस कमरे में रहने वाले लोग कमरे की दीवारों पर खून से लथपथ निशान देखने लगे। रात में लोगों की चीखें आने लगीं। लोगों के शरीर पर खून के धब्बे भी गिरने लगे। ग्राहक की शिकायत और उसकी गंभीरता को समझते हुए, होटल प्रबंधन ने कमरे को हमेशा के लिए एक दीवार के पीछे छिपा दिया। क्योंकि गलती से कोई भी उस कमरे में नहीं जा सकता।

अनसुलझा रहस्य 24:Shri Padmanabhaswamy Temple.

यह मंदिर भारत के प्रसिद्ध और रहस्यमय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर केरल के तिरुवनंतपुरम शहर में स्थित है। मंदिर एक ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता था। इसका अध्यक्ष त्रावणकोर नामक एक शाही परिवार था। 2011 में, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक कुप्रबंधन आरोप दायर किया। सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की जांच के लिए सात लोगों की एक समिति भेजी। इस बीच समिति को मंदिर में 6 गुप्त दरवाजे मिले। एक-एक कर उन दरवाजों को खोला गया। इनमें सोने के सिक्के, भगवान की सोने की मूर्तियां, हीरे, कीमती गहने, आभूषणों की वेशभूषा और अन्य कीमती सामान थे। कीमत अरबों में नहीं बल्कि खरबों में थी। भगवान विष्णु की मूर्ति की कीमत 22 अरब रुपये थी। फिर भी अब तक केवल पांच दरवाजे खोले गए हैं।

छठा दरवाजा अन्य पांच दरवाजों की तुलना में बहुत खास किस्म का था। हां दरवाजे में कोई ताला नहीं था और न ही चाबी लगाने के लिए कोई जगह थी। लोगों का मानना ​​था कि यह द्वार एक सिद्ध साधु द्वारा गरुड़पुराण मंत्र का जाप किया जा सकता है। लेकिन ऐसा आदमी पृथ्वी पर मौजूद नहीं हो सकता है। यह दरवाजा सोने से बना है जिस पर दो नागों की आकृति बनी है। ऐसा लगता है कि ये सांप आज ​​भी इसकी रखवाली कर रहे हैं। कोई सुराग नहीं मिलने के बावजूद, अनुसंधान दल ने अपना काम जारी रखा। जिसका दंड उन्हें बाद में भुगतना पड़ा। टीम में काम करने वाले लोग अचानक बीमार पड़ गए। धीरे-धीरे, उनमें से कई की मृत्यु हो गई। कोर्ट में शिकायत करने वाले शख्स की भी मौत हो गई।

इन सभी घटनाओं से गुजर रहे लोगों ने कहा कि अगर यह दरवाजा खोला गया तो पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी। हर जगह विनाश होगा। इसीलिए अदालत ने कार्यवाही पर रोक लगा दी। और इस दरवाजे के साथ छेड़छाड़ किए बिना हमेशा के लिए बंद कर दिया।

अनसुलझा रहस्य 25:Queen Empprer mystry.

1974 में, चीन में रहने वाले पांच भाइयों ने खुदाई की और कुछ ऐसा पाया जिसने उनके जीवन को परेशानी से भर दिया। खुदाई के दौरान, भाइयों को एक रहस्यमय दरवाजा मिला। इसे खोलने के बाद, उन्हें हजारों ‘टेराकोटा’ सैनिक मिले। यह सेना किवींशीहोंग के राज्य की थी। यह खोज इतिहास की सबसे बड़ी लेकिन रहस्यमय खोज में शामिल है। क्योंकि इसे सबसे छोटे हिस्से में खुदाई करने के लिए पुरातत्वविदों की पूरी टीम को सालों लग गए। इस स्थान पर उन्हें सात हजार से अधिक सैनिकों और घोड़ों के शव मिले। यह दुनिया के लिए एक ऐतिहासिक खोज थी, लेकिन भाइयों के साथ जो हुआ उसने सभी को हिला दिया। उनका परिवार अचानक गरीब हो गया। उन्हें एक रहस्यमय बीमारी थी। बिगड़ती आर्थिक स्थिति के कारण उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे। हालात से तंग आकर एक भाई ने आत्महत्या कर ली। जीवित भाइयों की भी इलाज के अभाव में धीरे-धीरे मृत्यु हो गई। उसे लगा कि अगर उसने दरवाजा नहीं खोला तो बेहतर होगा

अनसुलझा रहस्य 26:Hall of Records.

मिस्र के पिरामिड अपनी अनूठी और विशाल संरचना के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। प्राचीन मिस्र अपने आप में एक रहस्य है। शोधकर्ताओं के अनुसार, विशाल पिरामिड के नीचे कई रहस्य छिपे हुए हैं। जिसका अनुसंधान आज भी जारी है। पुरातत्व विभाग का दावा है कि मूर्ति के नीचे एक रहस्यमयी दरवाजा है। मिस्र सरकार ने इन दरवाजों को खोलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वे कभी इन दरवाजों को खोलना नहीं चाहते।

किसने महान पिरामिड का निर्माण किया और यह विशाल प्रतिमा अभी भी एक रहस्य है। क्योंकि ऐसा होना इंसान के वश में नहीं लगता। यहां तक ​​कि आधुनिक तकनीक इतने विशाल पिरामिड का निर्माण नहीं कर सकती है। यह माना जाता है कि इन दरवाजों के पीछे ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में मानव जाति ने कभी सोचा भी नहीं था। एक मान्यता के अनुसार, इसके पीछे एलियंस, अटलांटिस या कोई अन्य प्राणी हो सकता है जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इसके पीछे खतरनाक वायरस हो सकते हैं।

अनसुलझा रहस्य 27:Kongka La Pass.

कोंगका पास – हिमालय में स्थित भारत और चीन के बिच की एक ऐसी जगह, जहां पे आज तक कई लोगो ने Aliens (परग्रही) और UFO (परग्रही यान) देखने का दावा किया है. Kongka La Pass यह वही जगह है जहा पे साल 1962 में भारत और चीन के बिच युद्ध हुआ था. आज हम जानेंगे ‘कोंगका पास‘ के बारे में जुडी कई सारी कहानियों के बारे में, और जानेंगे की क्या सच में Kongka La Pass में aliens रहते है? क्या है Kongka La Pass का रहस्य?

कोंगका पास के बारे में – About Kongka La Pass:-

‘कोंगका पास’ को “कोंगका ला पास” के नाम से भी जाना जाता है. तिब्बती भाषा में “कोंगका ला पास” शब्द का अर्थ है “कोंगका दर्रा”. यह दर्रा भारत और चीन की सीमाओं के बिच में आता है. यह क्षेत्र आज भी दोनों देशों की सीमाओं की वजह से विवादित क्षेत्रों में से एक है. कोंगका ला पास यह वही क्षेत्र है, जहा पे सन 1962 में भारत और चीन इन दोनों देशों के बिच में युद्ध हुआ था और आज भी इस क्षेत्र को लेके दोनों देशों के बिच में विवाद है.

कोंगका ला पास -Incidents of UFO:-

भारत और चीन के सीमा के दोनों और के स्थानिक लोगो ने इस क्षेत्र के आसपास कई सारे परग्रहीय यान (UFO-Unidentified Flying Object) देखे जाने का दावा किया है.

UFO से जुड़े किस्से:-

स्थानिक लोगों के मुताबिक, यहाँ पर UFO से जुडी कई सारी घटनाये दर्ज की गयी है. हलाकि इस घटनाओं के कोई भी पुख्ते सबूत मौजूद नहीं है. कहा जाता है की 2004 में इस जगह पर भारतीय भूवैज्ञानिक हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति क्षेत्र में खोज कर रहे थे. वहा पे पर्वत की चोटी पर उन वैज्ञानिकों को, चलते हुए रोबोट जैसी आकृति दिखाई दी. जब उसे देखने के लिए वैज्ञानिक आगे बढे तब तक वो आकृति गायब हो गयी.

2012 में भारतीय सेना ने Pangong Lake के ऊपर एक रिबन के आकार की वास्तु को आसमान में उड़ते देखा. उसे स्पष्ट रूप से जानने के लिए सेना ने रडार और स्पेक्ट्रम का उपयोग किया लेकिन वो चीज़ क्या थी इसका पता नहीं लगा.

ऐसी कई सारी कहानिया आपको स्थानिक लोगों के द्वारा या फिर internet पे मिलेगी, लेकिन इसके बारे में किसी भी प्रकार की खात्रीलायक जानकारी उपलब्ध नहीं है. साथ ही Kongka La Pass एक ऐसा दुर्गम क्षेत्र है, जहा पर कोई मानवी जीवन का अस्तित्व नहीं है. यह क्षेत्र पूरी तरह से सुनसान पड़ा हुआ है. Kongka La Pass यह जगह पूरी तरह से दुर्गम पहाड़ों से घिरी होने के कारण वैज्ञानिकों को भी यहाँ पे research करने में बहोत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.

दोस्तों, आपको क्या लगता है? क्या सच में कोई Alien पृथ्वी पे मौजूद है? क्या सच में कोई ऐसी भी चीज़े पृथ्वी पे पहले से ही मौजूद है, जिससे इंसान अभी भी अनजान है?

अनसुलझा रहस्य 28:Roopkund Lake.

एक झील जो सैकड़ों कंकालो से भरी हुई है Roopkund Skeleton Lake- जिसका बर्फ़ पिघलने के बाद मानवी कंकाल दिखाई देते है।

Skeleton-Lake (Roopkund Lake):–

एक ऐसी जगह जहाँ पर गरमी का मौसम जब आता है, तब धीरे धीरे बर्फ़ पिघलने लगती है। उसी के साथ सैकड़ों मानवी कंकाल उपर आते है। इस जगह पर चारों और इंसान की खोपड़ियाँ और हड्डियाँ देखने मिलेगी। मन में हज़ारों सवाल उठे होंगे की इतने सारे लोगों की हड्डियाँ इस रूपकुंड झील में आयी कहा से? यहा पर ऐसा क्या हुआ था की इतने सारे लोग मारे गए थे? इसके पीछे बहोत सारे रहस्य छुपे हुए है। तो जानते इस Roopkund Lake की कहानी के बारे में।

रूपकुंड झील – Roopkund lake:-

Roopkund Lake को “कंकाल झील” या फिर “Mystery Lake” और “Skeleton Lake” भी कहा जाता है। भारत के उत्तरखंड राज्य के चमोलि ज़िल्हे में हिमालय के सबसे उच्च स्थान पर Roopkund Skeleton Lake स्थित है। इसकी ऊँचाई 16470 फ़ीट (5020 मीटर) तक है। इस झील की गहराई तकरिबन 3 मीटर तक है। रूपकुंड झील को पूरे उत्तराखंड राज्य में सबसे ऊँचाई वाला झील माना जाता है। हिमालय की चोटी पर यह झील होने की वजह से झील के आसपास के परिसर वीरान है। रूपकुंड झील बर्फ़ीले पहाड़ों के बीचोंबीच बना हुआ है। Tourist भी यहा खिंचे चले आते है। मानो इस झील की ख़ूबसूरती हमें अपने और खिंच ले आती है। आश्चर्यजनक बात यह है की, इतनी ख़ूबसूरत जगह पे यह मानवी अवशेष आए कहा से? Tourist के मन में भी यही सवाल आते है और वहाँ से इसकी खोज शुरू होती है।

रूपकुंड झील का रहस्य – Roopkund Lake Mystery :-

कहा जाता है की, Roopkund Skeleton Lake में जो मानवी कंकाल मौजूद है उसकी खोज 9 वी शताब्दी से की जा रही है। 1942 में नंदा देवी गेम रिज़र्व रेंजर H.K. Madhwal (Hari Kishan Madhwal) ने इन कंकालों के बारे में जानने के लिए इस झील की फिरसे खोज की थी।

National Geographic के टीम ने भी इस कंकालो के बारे में जानने की कोशिश की थी। इसीलिए उन्होंने Research के लिए अपनी टीम यहा भेजी थी। Research करते समय उन्हें इस रूपकुंड झील में और 30 कंकाल मिले और उनपर Study किए गए। Study के दौरान उन्हें यह पता चला की, जो कंकाल मिले उसमें से कुछ कंकालो के साथ अभी भी माँस जुड़ें हुए है।

साल में एक बार गरमी के मौसम में यहा का बर्फ़ पिघलने में एक महीना लगता है। बर्फ़ पिघलने के बाद झील के पानी में यह कंकाल पूरी तरह से साफ़ दिखाई देते है। वैद्यानिको को इस कंकालो के साथ और भी बहोत सारी चीज़ें मिली थी। जैसे की लकड़ी की चीज़ें, लोहे के भाले, चमड़े की चप्पल यहा तक की गहने भी मिले थे। इस जगह पर ३०० से ज़्यादा कंकाल पाए गए है। इस झील के बारे में अलग अलग बातें बतायी गयी है तो जानते है उसके बारे में।

जपानी सैनिकों के अवशेष? – Skeleton of Japanese Soldiers?

शूरवात में माना जाता था की, यह अवशेष जपानी सैनिकों के है। क्यूँकि दूसरे विश्व युध्य के दौरान भारत पे आक्रमण करने के लिए यह जपानी सैनिक हिमालय के बाक़ी इलाक़ों में से गुज़र रहे थे। मौसम ख़राब होने की वजह से उन सब की मौत हो गयी थी। उस वक़्त ब्रिटिश सरकार भारत पर शासन कर रही थी। सच्चाई का पता लगाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने जाँच पड़ताल के लिए वहा पे एक टीम भेजी थी। Research के बाद यह बात सामने आयी की यह कंकाल जपानी सैनिकों के नहीं थे। क्यूँकि यह कंकाल सैकड़ों साल पुराने थे। लेकिन यहा रहने वाले लोग कुछ अलग कहानी को मानते है।

नंदा देवी का प्रकोप :-

लोगों का मानना है की कुछ लोगों का समूह इस हिमालय की बर्फ़ीले पहाड़ी में फ़स गया था। उनके पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। और वो सभी लोग एकसाथ मर गए। यह लोग नंदा देवी के दर्शन के लिए जा रहे थे ऐसा माना जाता है। हिमालय में नंदा देवी का मंदिर है जो की हिंदुओ का श्रद्धा स्थान माना जाता है। रूपकुंड में हर १२ साल में एक बार “राज जाट” नाम का उत्सव मनाया जाता है। उसी दौरान नंदा देवी की पूजा की जाती है। उस वक़्त बड़ी दूर से लोग यहा आते है। यहा रहने वाले लोगों के अनुसार, एक बार कनौज (Kanauj) के राजा जसधवल(Jasdhaval) अपनी गर्भवती पत्नी के साथ तीर्थयात्रा पर निकले थे। वो हिमालय में नंदा देवी के मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे थे। राजा के साथ उसके नर्तकी और सैनिक भी तीर्थयात्रा पर निकले थे। बड़े धूम धाम से वो सब लोग तीर्थयात्रा के लिए निकले थे। लोगों के मना करने के बाद भी उन्होंने तीर्थयात्रा के सभी नियम तोड़ दिए थे। वहा के लोगों की मान्यता थी की ऐसा करने से नंदा देवी माता का प्रकोप हो जाएगा। लेकिन राजा ने उनकी कोई बात नहीं सुनी। और हिमालय में बर्फ़ीला तूफ़ान आया और राजा के साथ सारे लोगों की मौत हो गयी थी। लेकिन ये कहानी सच है या जूठ इसका दावा कोई नहीं कर सकता।

आख़िर कंकाल झील के रहस्य का पता चला:-

वैज्ञानिको के Research के बात यह पता चला की, रूपकुंड झील में तकरिबन २०० कंकाल मिले है। यह कंकाल भारतीय आदिवासियों के है। और यह 9 वी शताब्दी के हो सकते है। इन आदिवासियों की मौत बर्फ़ीले तूफ़ान की वजह से हुई थी। इन कंकाल पर और भी रीसर्च हुए थे। इन कंकालो पर Harney et al (हार्नी एट अल) द्वारा जाँच की गयी। सन 2018 में मालूम हुआ की इन कंकालो के भी दो अलग-अलग प्रकार के Groups थे। एक group में जो कंकाल मिले थे वो एक ही परिवार के सदस्य के है। और दूसरे Group में जो कंकाल मिले थे वो लोग थोड़े अलग थे। यानी की वह लोग क़द में थोड़े छोटे थे। वैज्ञानिको का कहना है की इन लोगों की मौत किसी लड़ाई से या फिर हथियार से नहीं हुई थी। बल्कि उन सब की मौत ओलावृष्टि (Hailstorm) होने की वजह से हुई थी। क्यूँकि इन कंकालो का जब अध्ययन हुआ तब उनका सिर के पीछे का भाग फटा हुआ मिला था। इस निष्कर्ष के बाद फिर इन कंकालो पर कोई रीसर्च नहीं हुआ। इन कंकालो की वजह से Roopkund Lake पर्यटकों का आकर्षण बन गयी। बड़ी दूर दूर से लोग यहा आने लगे। ट्रेकर्स के लिए तो यह जगह बहोत ही अच्छी है।

अनसुलझा रहस्य 29:Ghost Ship SS Ourang Medan.

SS Ourang Medan एक ऐसा समुद्री जहाज था, जिसमे बैठे सभी Crew Members की मौत हो गयी जिसकी वजह से Ourang Medan को “Ghost Ship” भी कहा जाता है. Ourang Medan Ship का कोई accident नहीं हुआ था और ना तो मरनेवाले लोगो के शरीर पे खून के निशान थे. तो आखिरकार औरंग मेडन जहाज पे ऐसा क्या हुआ था, जिसकी वजह से Ship में बैठे सभी लोग अचानक से कैसे मर गए? आज जानेंगे SS Ourang Medan जहाज के बारे में. औरंग मेडन जहाज का “भूतिया जहाज” (Ghostship) बनने की कहानी के बारे में.

औरंग मेडन जहाज से भूतिया जहाज बनने का कारण (Reason of Ourang Medan to Became Ghost ship):-

June 1947 में 2 अमेरिकी जहाज ‘मलक्का के जलडमरूमध्य’ (Straits of Malacca) से जा रहे थे तब अचानक से बार बार उन्हें ‘संकट के संदेश’ (Distress Messages) आने लगे जो की Dutch के व्यापारी जहाज Ourang Medan से आ रहे थे. उसमे जो संदेश थे वो कुछ इस प्रकार के थे. कप्तान के साथ लगभग सभी अधिकारी नक्शा रूम और Bridge पे मर चुके है. उसके बाद कुछ अलग उलझन बनाने वाले डॉट्स थे. और आखिर में एक ही वाक्य था. “मैं मरा” (I Die) इसके बाद कुछ भी संदेश नहीं आया.

Abadoned Ourang Medan सिल्वर स्टार जहाज (Silver Star Ship):-

Ourang Medan से संदेश मिलने पर अमेरिका का Silver Star जहाज सबसे पहले इस जहाज़ तक पहुंच गया. अमेरिकी जहाज ने Medan जहाज को बहोत ही अच्छी स्थिति में पाया लेकिन जहाज से कोई भी सिग्नल नहीं आ रहे थे जिसकी वजह से Silver star जहाज से बचाव दल को भेजा गया. बचाव दल ने Ourang Medan जहाज के अंदर बहोत ही भयानक दृश्य को देखा. वहा पे सभी जगह लाशें पड़ी थी. जिसमे कुत्ते की लाश भी शामिल थी. चौका देने वाली बात यह थी की किसी भी लाश के ऊपर किसी भी प्रकार की खरोच भी नहीं थी. सभी लाशों के चेहरे ठंड से जमे हुए थे.

यही से ही इस जहाज़ के रहस्य की शुरुआत हुई.

औरंग मेडन जहाज का रहस्य (Mystery of Ourang Medan Ship):-

इस कहानी के अलग अलग पहलु है. कोई कहता है की यह हादसा जून 1947 की बजाय फेब्रुअरी 1948 में हुआ था. या फिर किसी का मानना है की घटना के समय समुन्दर अशांत था.

औरंग मेडन की सच्चाई | Real Truth of Ourang Medan

समुन्दर मार्ग से व्यापार करने वाले जहाजों की जानकारी रखने वाली “Lloyd’s Shipping Register” में SS Ourang Medan जहाज का कोई उल्लेख नहीं था और साथ ही इस रहस्यमयी घटना का कोई Onboard record नहीं है. इस घटना की सही तारीख किसी को पता नहीं है. और अखबार में आयी खबरे अलग अलग बताई गयी थी. जिसकी वजह से कुछ लोग इस घटना को सच मानते है तो कुछ लोग इसे काल्पनिक मानते है. इस कहानी का सबसे पहला जीकर Dutch Indonesian अखबार में किया गया था. इस कहानी के 3 आर्टिकल इस अख़बार में लिखे गए थे. दूसरे और तीसरे आर्टिकल में उन्होंने Ourang Medan के चालक का अनुभव बताया था जिसके बाद वो भी मर गया. इस जहाज पे जिन्दा बचनेवाला यही अकेला आदमी था.

कहानी के अनुसार ये जहाज एक छोटे से चीनी बंदर से Costa Rica तक जा रहा था. ये जहाज Sulfuric Acid से भरा हुआ माल ले जा रहा था जिसकी वजह से वो जानबूजकर अपने अधिकारियो से बचते थे. जिनके मुताबिक़ container के leakage की वजह से निकलने वाले धुए के कारण ज्यादातर अधिकारी मारे गए.

औरंग मेडन जहाज की घटना के अलग अलग सिद्धांत (Different Theories of Ourang Medan Incident)

Ourang Medan घटना के बारे में अलग अलग सिंद्धांत है. लेकिन इन सिद्धांतो में 2 सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है.

  1. खतरनाक माल का असुरक्षित ट्रांसपोर्ट (Unsecured Transport of Hazardous material):-

कई लोगो का मानना है की Ourang Medan जहाज का उपयोग घातक तांत्रिक गैस की तस्करी के लिए किया जा रहा था. और इसी घातक गैस की वजह से जहाज के crew members को सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उन लोगो की मौत हो गयी.

अब सवाल ये उठता है की Silver Star जहाज से बचाव दल जब Ourang Medan जहाज पर गया था तब उनके ऊपर इस घातक गैस का प्रभाव क्यों नहीं पड़ा?

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon Monoxide):-

अमेरिका के लेखक Mr. Vincent Gaddis के अनुसार Ourang Medan में हुई लोगों की मौत Carbon Monoxide Poisoning की वजह से हुई होगी.

उनके सिद्धांत के अनुसार एक ख़राब बॉयलर में जलने वाले ईंधन के कारण Carbon Monoxide के धुए निर्माण हुए होंगे जिसके कारण जहाज के अंदर के लोगों की मौत हो गयी. साँस लेते समय अगर ज्यादा मात्रा में Carbon Monoxide शरीर में चला जाए तो वह लाल रक्त कोशिकाओं को शरीर में oxygen लेने से रोकता है और उसी की वजह से उस व्यक्ति की मौत हो जाती है.

हालांकि इन Theories को छोड़ के भी बहोत सारे अलग अलग कहानिया है. किसी का मानना है की औरंग मेडन जहाज के ऊपर समुद्री लुटेरों ने हमला किया होगा. तो कोई यह भी मनाता है की Ourang Medan Ship की इस घटना के पीछे परग्रहवासी (Aliens) का हाथ है. दोस्तों आपको क्या लगता है ?

अनसुलझा रहस्य 30:Kuldhara Village.

Kuldhara Village, Rajasthan का ऐसा गांव है जहा पे आज भी सूरज ढलने के बाद कोई भी नहीं जा सकता. कुलधरा गांव को भूतों का गांव (Haunted Village) भी कहते है. यह एक ऐसा गाँव है जिसका नाम सुनते ही बहोत सारे लोग डर के मारे काँप उठते है। तो ऐसा क्या है इस गांव में? यहा पे ऐसा कौनसा रहस्य छुपा है, जिसकी वजह से Kuldhara Village रातो-रात खाली हुआ? आज हम जानेंगे भारत के सबसे रहस्यमयी गावो में से एक, “Kuldhara Village” के बारे में.

कुलधरा गांव – Kuldhara Village :-

दोस्तों, भारत देश में “राजस्थान” एक ऐसा राज्य है, जिसके अंदर बहोत सारे रहस्य छुपे है. राजस्थान के जैसलमेर जिले में, Kuldhara नाम का रहस्यमयी गांव है. 13 वी सदी में “पालीवाल” ब्राम्हणो ने इस गांव का निर्माण किया था. लेकिन 19 वी सदी में, अपुरे पानी की वजह से यह गांव नष्ट हो गया ऐसा कहा जाता है. लेकिन कुछ लोगो के अनुसार इस गांव का विनाश जैसलमेर के राज्यमंत्री ‘सलीम सिंह’ के कारण हुआ था. आज की Date में यह गांव इतना डरावना और खतरनाक है की, इस गांव में रात को जाने में मनाई है. यहाँ तक की यहाँ पे आपको सरकारी Board भी दिखाई देगा, जिसपे लिखा है की सूर्यास्त के बाद इस गांव में रुकना मना है.

कुलधरा गांव की स्थापना Establishment of Kuldhara Village:-

Kuldhara Village, Rajasthan के Jaisalmer से 18 KM की दुरी पर है. इस गांव की रचना करने वाले ब्राम्हण पाली से जैसलमेर में आये थे. ब्राम्हणो के पाली से आने के कारण इनको “पालीवाल” के नाम से भी जाना जाता है. इस गांव में रहने वाला पहला व्यक्ति “कधान” नाम का पालीवाल ब्राम्हण ही था और इसका जिक्र लक्ष्मीचंद द्वारा लिखित “Tawarikh-i-Jaisalmer” नाम के किताब में किया गया है. कहा जाता है की 1291 के आसपास पालीवाल ब्राम्हणो ने कुलधरा गांव में 600 घरों को बसाया था. कुलधरा गांव के आसपास 84 गांव थे और यहाँ पे भी पालीवाल ब्राम्हण ही रहा करते थे. यह ब्राम्हण आधुनिक विज्ञानं के ग्यानी थे. इस गांव की स्थापना और मकान बनाते समय आधुनिक विज्ञान का आधार लिया था. यहाँ के लोग ज्यादातर खेती करते थे या फिर कृषि व्यापारी थे और साथ ही मिटटी से बढ़िया सजावटी बरतन भी बनाया करते थे. लेकिन आखिरकार ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से हसता खेलता गांव रातोरात बंजर हो गया?

कुलधरा गांव का रहस्य Mystery of Kuldhara Village:-

खुशहाल ज़िंदगी जीनेवाले इस गांव के बंजर बनने के लिए अलग अलग घटनाएं बताई जाती है. जिसमे से 2 घटनाएं सबसे ज्यादा बताई जाती है.

  1. जैसलमेर के मंत्री “सलीम सिंह”:-

ऐसा कहा जाता है की सलीम सिंह की नजर Kuldhara Village के एक पुजारी की खूबसूरत लड़की पर पड़ी. उनको वो लड़की बेहद पसंद आयी थी, जिसके कारण वो उस लड़की को पाने की बहोत कोशिश करने लगे. उनको वो लड़की इतनी पसंद थी की मानो उस लड़की को पाना उनकी ज़िद बन गयी थी. लेकिन ये बात गांव वालो को मंजूर नहीं थी. जब गांव वालो ने सलीम सिंह की बात नहीं मानी तो सलीम सिंह गांव वालो को धमकी देने लगे. गांव वाले नहीं चाहते थे की उस लड़की की शादी सलीम सिंह से हो, लेकिन अब बात उस लड़की के इज्जत और साथ ही गांव के मान सन्मान की थी. एक रात सभी पालीवाल ब्राम्हणो ने मिलकर बैठक ली और सभी ने यह निर्णय लिया की वो सब लोग रातोरात इस गांव को छोडके चले जाएंगे. अगर ऐसा नहीं होता तो सलीम सिंह उस लड़की के साथ जरूर शादी कर लेता और इसी वजह से सब लोगो ने मिलकर रातोरात कुलधरा गांव को छोड़ दिया. जाते जाते उन ब्राम्हणो ने शाप दिया की Kuldhara Village में कोई नहीं रह पायेगा. जो भी यहाँ रहेगा वो नष्ट हो जाएगा.

  1. भूकंप की वजह से नाश:-

सन 2017 में Kuldhara में एक research की गयी. Research के मुताबिक “Mr. A.B.Roy” ने बताया की Kuldhara और उसके आजुबाजु के बाकी गांव में भूकंप आया था और उसी की वजह से वो गांव नष्ट हो गए. हालांकि ऐसा भी कहा जाता है की यहाँ पे पानी की ज्यादा कमी की वजह से लोग गांव को छोडके चले गए लेकिन, गांव में गिरी हुई छते, टूटीफूटी दीवारे, गिरे हुए खम्बे इन सब को देखके तो यही अनुमान लगाया जा सकता है की, Kuldhara Village के नष्ट होने की वजह वहा पे हुआ भूकंप ही हो सकती है.

कुलधरा गांव का सच :-

यहाँ आसपास के गांव में रहने वाले लोगो का कहना है की, पालीवाल ब्राम्हणों द्वारा दिए हुए श्राप के कारण इस गांव को आजतक कोई भी हिरासत में नहीं ले सका. जिन लोगो ने इस गांव को फिरसे नया बनाने के कोशिश की उन्हें यहाँ पे अजीबोगरीब चीजें महसूस हुई. जिसकी वजह से आज तक यहाँ पे कोई भी रहने नहीं आया.

साल 2010 में “Indian Paranormal Society” के Mr. Gourav Tiwari ने इस जगह पे कुछ तो असामान्य चीजों के होने का दावा किया. Society के 18 सदस्य वाली team ने और 12 लोगो के साथ Kuldhara Village में रात बितायी. उन्होंने बताया की उनको वहा पे किसी के होने की आहट महसूस हुई और कुछ चीज़ों के हिलने के साथ ही अजीबोगरीब आवाजें सुनाई दी.

कुलधरा गांव पर्यटन स्थल-

धीरे धीरे इस जगह को “भूतिया जगह” (Haunted Place) के नाम से जानने लगे. और उसी के कारण Kuldhara Village का नाम प्रसिद्ध होने लगा जिससे पर्यटक इस जगह को देखने में रूचि दिखाने लगे. इस गांव के आसपास के रहने वाले लोग भूतों की कहानियो पे विश्वास नहीं करते, लेकिन पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए वो भी ऐसी कहानियो को बढ़ावा देने लगे. लोगों की इस जगह की दिलचस्पी को देखते हुए साल 2015 में, राजस्थान सरकार ने इस गांव को पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया जिसके तहत कुलधरा गांव के आसपास Cafe, Lodge और दुकाने ऐसी कई सारी सुविधाएं शुरू करने वाले है.

तो दोस्तों जैसे की हमने बताया, की इस गांव की ऐसी हालत सलीम सिंह की वजह से हुई, तो प्रश्न ये आता है की सब लोगों के छोड़ जाने से गांव में कोई भी ना रहना तो ठीक है लेकिन वहा के घरों का नुकसान कैसे हुआ? अगर हम भूकंप को कुलधरा नष्ट होने की वजह मान ले, तो गांव के इतने सारे लोग अचानक से इसे छोड़ के कैसे और किधर गए? वापस यहाँ पे फिरसे रहने के लिए कोई क्यों नहीं आया? अगर यहाँ पे जो रहस्यमयी चीज़े होती है, तो उसकी वजह क्या है? ऐसे बहोत सारे सवाल है, जिसके रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया.

अनसुलझा रहस्य 31:Body of Saddam Hussein, Iraq’s ‘dictator’.

बगदाद। आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्ष 2006 में तिकरित के नजदीक अल-अवजा गांव में इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को फांसी के बाद दफनाया गया था। लेकिन कहा जा रहा है कि अब वहां उनके अवशेष नहीं हैं। सद्दाम की जहां कब्र थी वहां टूटे-फूटे कंक्रीट और कांटेदार तार से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है।

करीब दो दशकों तक इराक पर शासन करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन को 30 दिसंबर 2006 को दफनाया गया था, विदित हो कि तब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने निजी तौर पर यह फैसला किया था कि तानाशाह के शरीर को अमेरिकी सैन्य हैलीकॉप्टर के जरिए बगदाद से तिकरित के उत्तरी शहर के नजदीक अल-अवजा ले जाया जाए।

उल्लेखनीय है कि अल अजवा उनका गृह नगर है लेकिन आज सवाल यह है कि दशकों तक जिस इंसान ने इराक में हुकूमत की उनके कब्र की ऐसी हालत कैसे हुई? सवाल किया जा रहा है कि क्या उनका शरीर अब भी अल-अवजा में है या फिर उनके शव को कब्र से निकाल दिया गया? और अगर ऐसा है तो फिर उसे कहां ले जाया गया?

अल्बू नासेर समुदाय के नेता शेख मनफ अली अल-निदा, जोकि सद्दाम हुसैन के वंश से जुड़े हैं, का कहना है कि सद्दाम को बिना देरी के दफन कर दिया गया था। 69 साल के सद्दाम को कब्र में पहले दफनाया गया था, जिसे काफी सालों बाद जाहिर किया गया। इसके बाद यह स्थान एक तीर्थस्थल में बदल गया था जहां सद्दाम हुसैन के समर्थक और स्थानीय स्कूली बच्चों के समूह उनके जन्मदिन (28 अप्रैल) पर जमा होते थे।

कहा जाता है कि बाद में शेख निदा को गांव छोड़ने पर मजबूर किया गया और उन्हें इराकी कुर्दिस्तान में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने कहा, ‘2003 से अमेरिकी नेतृत्व में हमले के बाद शेख के समुदाय को काफी परेशान किया गया क्योंकि वे सद्दाम से काफी नजदीक थे।’ शेख ने कहा, ‘क्या यह सामान्य बात है कि हमारी पीढ़ी को एक-के-बाद इतनी भारी कीमत चुकानी पड़ी और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि हम एक ही परिवार से थे।’

शव को कब्र से निकालकर जलाया गया ?

सद्दाम के कब्र और उसके आसपास के इलाकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुख्यतः शिया अर्द्धसैनिक बलों के पास रही है। उन्होंने कहा कि कब्र के ऊपर इस्लामिक स्टेट ने अपने स्नाइपर तैनात कर दिए थे जिसके बाद इराक ने वहां हवाई हमले किए और वह जगह तबाह हो गई। जिस वक्त यह धमाका हुआ शेख निदा वहां मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्हें यकीन है कि सद्दाम के मकबरे को खोला गया और फिर उसे जलाया गया।

वहीं दूसरी ओर सुरक्षा प्रमुख का कहना है कि सद्दाम का शव अभी भी वहीं है, जबकि एक लड़ाके का अनुमान है कि सद्दाम की बेटी हाला जो कि अब निर्वासित है और जार्डन में रहती है, एक निजी विमान से इराक आई थी और अपने पिता के शव को लेकर जॉर्डन चली गई है।

लेकिन विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर और सद्दाम के समय में लंबे समय तक छात्र रहे, ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि यह ‘असंभव’ है। उन्होंने कहा, ‘हाला कभी वापस लौटकर इराक नहीं आई।’ उन्होंने कहा, ‘शरीर को किसी गुप्त स्थान पर ले जाया गया, कोई नहीं जानता कि उसे कौन ले गया या फिर कहां ले गए।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ था, तो सद्दाम के परिवार की उस गुप्त स्थान पर पैनी नजर होती। सद्दाम के मकबरे का हश्र ठीक उसी तरह से हुआ है जैसा कि गांव के प्रवेश द्वार पर बनाए उनके पिता की कब्र के साथ हुआ, जिसे अनौपचारिक तरीके से उड़ा दिया था।

लेकिन अभी की किसी को पता नहीं है कि सद्दाम के शव के साथ क्या किया गया है या उनके शव को कहां ले जाया गया है। या फिर शव अभी भी कब्र में ही मौजूद है। संभव है कि यह पहेली कुछ समय बाद सुलझ जाए।

अनसुलझा रहस्य 32:Soul Weight

क्या आपने कभी सुना है की आत्मा का वजन (Soul Weight) भी होता है? नहीं ना?

हमें तो सिर्फ इतना ही पता है की इंसान के शरीर में आत्मा होती है. यह आत्मा जब शरीर से चली जाती है तब इंसान की मौत होती है. या फिर सिंपल शब्दों में कहा जाए तो कोई इंसान मरता है, तो आत्मा उसके शरीर से बाहर निकल जाती है.

लेकिन आत्मा क्या है? वाकई में आत्मा है भी या नहीं? इसके बारे में अभी कोई scientific जवाब हमें नहीं मिल पाया है. अगर आत्मा है तो कहा है? और कहा जाती है? इसके बारे में आज तक बहुत सारे research किए गए हैं मगर इसका जवाब अभी तक नहीं मिल पाया है.

इस सब के बावजुद भी अगर हम आपको बता दें कि आत्मा है. उसका वजन भी होता है जो की 21 ग्राम होता है तो क्या आप यकीन करेंगे?जी हां दोस्तों आज हम आपको इसी के बारे में details में बताने वाले हैं.

Duncan Experiment (Soul Weight)

सन 1901 में Doctor Duncan MacDougall नाम के फिजीशियन ने इस बात का पता लगाने के लिए एक प्रयोग किया था. उन्होंने अपने चार अन्य साथी डॉक्टर्स के साथ इस प्रयोग को किया था. कहा जाता है कि उन्होंने इस प्रयोग के लिए कुछ ऐसे 6 लोगों को चुना जिनकी मौत जल्दी ही होने वाली थी. यह 6 लोग उन्होंने ऐसे चूने थे जो अलग अलग वजह से जल्दी ही मरने वाले थे, और शारीरिक थकावट से ग्रस्त थे. जिससे की वो लोक ज्यादा हलचल ना कर सके और वो प्रयोग ज्यादा से ज्यादा accurate हो. डॉक्टर ने उन लोगों का मरने से पहले का वजन लिया. उसके बाद यही procedure फिर से वह लोग मरने के बाद भी की. दोस्तों इसके बाद जो नतीजे आए वह बहुत चौका देने वाले थे.

Soul Weoght 21 Grams Experiment:-

मरने से पहले का और मरने के बाद का लोगों का वजन उसमे तकरीबन 21 Gram से 21.8 Gram तक का difference था. इससे यह नतीजा निकाला गया की आत्मा का वजन 21.3 ग्राम (Soul Weight-21.3 Grams) होता है और इसीलिए इस Theory को 21 ग्राम थिओरी (21 grams Experiment) के नाम से जाना जाता है.

हालांकि इस Theory को अभी भी कुछ scientists नहीं मानते है. इस पर अभी भी बहुत सारे विवाद है. इस Theory को ना मानने वाले scientists का कहना है कि, मरने के बाद इंसान का वजन इसलिए कम होता है क्योंकि मौत के बाद फेफड़ों का काम करना बंद हो जाता है. जिससे की रक्त को ठंडा करने की प्रक्रिया बंद हो जाती है और उसकी वजह से शरीर से ज्यादा मात्रा में पसीना चला जाता है और शरीर का वजन कम होता है. इसीलिए 21 ग्राम Theory को ज्यादातर लोग नहीं मानते.

Some Facts about Soul Weight Theory:-

लेकिन हम इस बात को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि हर एक के शरीर के वजन में 21 ग्राम्स का difference आना तो कोई संयोग नहीं हो सकता. क्योंकि हर एक का वजन अलग अलग होता है. कोई मोटा होता है तो कोई पतला होता है. तो मरने के बाद भी वजन में आई गिरावट अलग अलग होनी चाहिए.

लेकिन ऐसा ना होते हुए experiment किए हुए सभी लोगों के वजन में आई गिरावट एक जैसी ही कैसे हो सकती है? दोस्तो आपको क्या लगता है? क्या आत्मा का वजन (Soul Weight) सचमुच 21 ग्राम ही है?

अनसुलझा रहस्य 33: The Mermaid.

मत्स्य कन्या (Mermaid) : दुनिया की हर संस्कृति और धर्म में मत्स्य कन्याओं या कहें कि जलपरियों के होने के किस्से और कहानियां मिलते हैं। कई लोग ऐसा दावा करते हैं कि उन्होंने मत्स्य कन्याओं को देखा है। आपको यूट्यूब पर इस तरह के दावे के कई वीडियो भी मिल जाएंगे। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह कोई नहीं जानता। जलपरी को जिसे अंग्रेजी में मर्मेड कहते हैं, फ्रेंच शब्द मर याने सागर और मेड यानी युवा लड़ीकी। आओ जानते हैं जलपरियों के बारे में 10 रहस्य।

  1. भारतीय रामायण के थाई व कम्बोडियाई संस्करणों में रावण की बेटी सुवर्णमछा (सोने की जलपरी) का उल्लेख किया गया है। वह हनुमान का लंका तक सेतु बनाने का प्रयास विफल करने की कोशिश करती है, पर अंततः उनसे प्यार करने लगती है।
  2. भारतीय दंतकथाओं में भगवान विष्णु के मत्स्यावतार का उल्लेख है जिसके शरीर का ऊपरी भाग मानव का व निचला भाग मछली का है। इसी तरह चीन, अरब और ग्रीक की लोककथाओं में भी जलपरियों के सैकड़ों किस्से पढ़ने को मिलते हैं।
  3. बहुत से लोग मत्स्य कन्या को जलपरी कहते हैं। बहुत से लोग दावा करते हैं कि गुजरात के पोरबंदर के पास मधुपुरा गांव के पास स्थित समुद्री तट पर जलपरी पाई गई। सोशल मीडिया में इसकी तस्वीरें खूब वायरल हुई थीं। इन तस्वीरों में दिखाया गया है‌ कि स्किन कलर की एक पारदर्शी शरीर में जलपरी मरी हुई है। वायरल हुई इन तस्वीरों की पुष्टि किसी ने नहीं की है। कहा जा रहा है कि ऐसी ही जलपरियों की तस्वीर हाल ही में पाकिस्तान में भी देखी गई, हालांकि यह खबर झूठ साबित हुई।
  4. कहते हैं कि दुनियाभर के समुद्री यात्रियों और नाविकों ने जलपरियों के देखे जाने के कई दावे किए हैं। अपनी कैरेबियंस की यात्रा के दौरान क्रिस्टोफर कोलंबस ने भी ऐसा ही कुछ देखने का जिक्र किया था। उन्होंने अपने एक लेख में लिखा था कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने मानव मछली की तरह एक जीव को देखा था और वह भी 3 बार। ऐसे ही दो दृश्य वैंकुवर और विक्टोरिया के तटों पर देखे गए। सन् 2009 में दर्जनों लोगों ने इसराइल के एक तट पर जलपरी की तरह ही दिखती एक आकृति को समुद्र में उछलते और कलाबाजियां करते देखा था। सुनामी आने के बाद भी एक तट पर ऐसी ही मृत जलपरी देखे जाने की खूब चर्चा हुई थी।
  5. कुछ वर्ष पूर्व ग्रीनलैंड के समुद्र में एक पनडुब्बी में सवार कर्मचारियों ने एक ऐसा वीडियो जारी किया है जिसे जलपरियों के होने का निशान माना जा रहा है। इसी दौरान अचानक एक विचित्र प्राणी ने उनकी पनडुब्बी के शीशे पर हाथ लगाया जिसकी 4 अंगुलियां व 1 अंगूठा था और फिर वो तेजी से दूसरी ओर तैरता हुआ चला गया। 2 मिनट व 17 सेकंड के इस वीडियो के सच या झूठ होने पर अभी तक विशेषज्ञों के बीच बहस चल रही है।
  6. कई बार हम सर्कस देखने जाते हैं या किसी मेले ढेले में अपने जलपरी या नागकन्या दिखाई जाती है। दरअसल, वह सब नकली रहती है। मात्र मनोरंजन के लिए।
  7. किस्से, कहानियों और कॉमिक्स या कार्टून में हमें जल परियों की कहानियां खूब पड़ने या देखने को मिलती है। कहानियों के अनुसार जलपरियां मधुर धुन में गाना गाकर इंसानों या देवताओं को अपनी ओर आकर्षित करती है जिससे उनका ध्यान भटक जाता है और इस तरह समुद्र में कई इंसानों की जान चली जाती है।
  8. कहते हैं कि जलपरियों की सबसे प्राचीन दंतकथा असायरिया में लगभग 1000 ईसा पूर्व पाई गई थी। असायरियन और रानी सेमिरमिस की मां देवी अटार्गेटिस थी, जो एक गडरिये से प्रेम कर बैठी थी। पर ना चाहते हुए भी उसे उसको मारना पड़ा। इस बात से दु:खी होकर उसने एक तलाब में छलांग लगा दी और एक मछली का रूप ले लिया, परंतु कहते हैं कि पानी भी उसकी सुंदरता को छिपा न सका। इस कारण उसने एक जलपरी का रूप धारण कर लिया था। कहते हैं कि महान अलेक्सैंडर की बहन थेसालॉयनिक मरने के बाद एक जलपरी बन गई थी और वह नाविकों से पूछती रहती थी कि क्या महान अलेक्सैंडर जीवित है? यदि कोई कहता कि नहीं जीवित है तो वह नाविक भी जीवित नहीं रह पाता था।
  9. वन थाउसंड ऐंड वन नाइट्स में ऐसी कईं कहानियां है जिनमें जलमानवों की कहानियों का जिक्र है। अरेबियन नाइट्स की कहानी ‘अबदुल्ला द फ़िशरमैन ऐंड अबदुल्ला द मर्मैन’ जलमानव पर ही आधारित है। चीनी की प्राचीन कहानियों में जलपरियां एक खास जीव थी जिनके आंसू मोतियों में बदल जाते थे। इन करणों के चलते मछुआरे उन्हें पकड़ने का प्रयास करते थे परन्तु जलपरियां अपने गानों से उन्हें पानी की गहराइयों में खींच लेती थी।
  10. कई बार ऐसी आकृति प्राकृतिक गड़बड़ी से भी बनती है। मरमेड सिंड्रोम नाम की एक बीमारी होती है जिसके चलते किसी नवजात के पैर नीचे से चिपके ही रह जाते हैं। जब गर्भ में विकास के दौरान मां की गर्भनाल दो धमनियां बनाने में असफल हो जाती है, तो बच्चे के पैर अलग नहीं हो पाते हैं और वह चिपके ही रहकर नीचे से मछली का आकार ले लेते हैं।

अनसुलझा रहस्य 34: Tomb Of Kliyopettra.

इतिहास के पन्नों में से आज हम आपको एक ऐसे रहस्य़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आपने अब तक पढ़ा हो. प्राचीन लेखकों का कहना हैं कि 30 ईसा पूर्व क्लियोपेट्रा VII और उनके प्रेमी मार्क एंटनी की मृत्यु के बाद उन्हें एक ही कब्र में दफनाया गया था.

अपनी किताब में लेखक प्लूटार्क (45-120 ईस्वी) ने लिखा, “यह मकबरा आइसिस के एक मंदिर के पास स्थित था, जो एक मिस्र की देवी थी और एक बुलंद और सुंदर स्मारक था जिसमें स्वर्ण, चांदी, पन्ना, मोती, आबनूस और हाथी दांत से बने खजाने थे.”

यह स्थान अब तक एक रहस्य बना हुआ है. मिस्र के पूर्व पुरातन मंत्री ज़ही हॉवास ने 2010 में अलेक्जेंड्रिया के पास एक साइट पर खुदाई का काम किया. इस खुदाई के स्थान पर बहुत सी कब्रें बरामद हुई, इसे तपोसीरिस मैग्ना कहा जाता है. बताया जा रहा है कि ये कब्रें उस युग की थीं जब क्लियोपेट्रा VII ने मिस्र पर शासन किया था.

क्लियोपेट्रा VII का जिक्र बेहद ही खूबसूरत यौवना के रूप में किया जाता है. इतिहासकारों का कहना है कि वे नहाने के लिए गधी के दूध का इस्तेमाल करती थीं. क्लियोपेट्रा VII नहाने के लिए रोजाना 700 गधी का दूध मंगाती थीं. इससे उनकी त्वचा काफी खूबसूरत बनी रहती थी. यह बात हाल ही के खोज में साबित हो गई हैं.

क्लियोपेट्रा VII और उनके प्रेमी का मकबरा अब तक नहीं मिल पाया है. हालांकि मिस्र के पुरातत्विद् का कहना है कि अलेक्जेंड्रिया के दक्षिण-पश्चिम में तपोसीरिस मैग्ना के मंदिर में या उसके आस-पास इनका कब्र है, जिसकी अब तक तलाश की जा रही है.

अनसुलझा रहस्य 35:Devil’s Bible.

हर धर्म का अपना एक ग्रन्थ होता है. जिसकी शिक्षाओं को उस धर्म के मानने वाले ताउम्र अनुसरण करते हैं. ईसाई धर्म का भी ग्रन्थ है. जिसे बाइबिल कहा जाता है. ईसाई धर्म के इस ग्रन्थ को पवित्र माना जाा है. लेकिन दुनिया में एक ऐसी भी किताब है जिसे शैतानों की किताब कहा जाता है. जिसका नाम डेविल्स बाइबिल है. ये एक रहस्यमयी किताब है. कहा जाता है कि इस किसाब को महज एक रात में पूरा लिख दिया गया था. शैतानों के चित्रों वाली ये कितान शैतानी बाइबिल भी कही जाती है. इस किताब के हर पन्ने पर शैतानों की तस्वीरें बनी हुई हैं.

इस रहस्यमय शैतानी किताब को ‘कोडेक्स गिगास’ के नाम से भी जाना जाता है. इस किताब को दुनिया की सबसे खतरनाक किताब भी माना जाता है, क्योंकि इसके बारे में आज तक ये पता नहीं चल पाया है कि इसे किसने लिखा है और क्यों लिखा है. फिलहाल यह किताब स्वीडन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई है. जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. यह किताब इंसानों के मन में इसलिए भी कौतूहल पैदा करती है, क्योंकि इसे कागज के पन्नों पर नहीं बल्कि चमड़े से बने पन्नों पर लिखा गया है.

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इस किताब में कुल 160 पन्ने हैं जो इसे भारी-भरकम बना देते हैं. इस किताब का वजन 85 किलो के आसपास बताया जाता है. इसे उठाने में कम से कम दो लोगों की जरूरत तो पड़ती ही है. इसके पीछे यह कहानी प्रचलित है कि 13वीं सदी में एक संन्यासी ने अपनी मठवासी प्रतिज्ञाओं को तोड़ दिया था, जिसके बाद उसे दीवार में जिंदा चुनवा देने की सजा सुनाई गई थी. इस कठोर दंड से बचने के लिए उसने महज एक रात में एक ऐसी किताब लिखने का वादा किया जो सभी मानव ज्ञान सहित मठ को हमेशा के लिए गौरवान्वित करे.

उसे इसकी इजाजत दे दी गई, लेकिन कहा जाता है कि आधी रात को जब उसने देखा कि वह अकेले पूरी किताब को नहीं लिख सकता है तो उसने एक विशेष प्रार्थना की और शैतान को बुलाया. उस शैतान से उसने अपनी आत्मा के बदले किताब को पूरा करवाने के लिए मदद मांगी. शैतान इसके लिए तैयार हो गया और उसने एक रात में ही पूरी किताब लिख दी.

हालांकि वैज्ञानिक मानते हैं कि प्राचीन समय में चमड़े के पन्नों पर ऐसी किताब को महज एक दिन में लिखना नामुमकिन है. अगर दिन-रात एक करके लगातार लिखा जाए, तो भी इसे पूरा करने में कम से कम 20 साल का समय लगेगा. हालांकि कुछ शोधकर्ताओं ने इस तर्क को गलत भी ठहराया है. उनका मानना है कि जिस तरह पूरी किताब को एक ही लिखावट में लिखा गया है, उससे इतना तो साफ है कि इसे 20 या 25 साल में नहीं लिखा गया होगा.

अनसुलझा रहस्य 36:Haunted Highways in India.

हमारे देश में कई ऐसे हाईवे और रोड हैं जो आपको भूत-प्रेत और डरावनी चीजों पर विश्वास करने पर मजबूर कर देते हैं. इन रास्तों पर माना जाता है कि रात के वक्त आत्माएं भटकती रहती हैं. इस वजह से इन रास्तों से गुजरने वाले लोगों के साथ कोई ना कोई अनहोनी हो जाती है. ऐसी सड़कों के बारे में कई डरावनी कहानियां प्रचलित हैं. इनके बारे में लोग आज भी एक-दूसरे को बताते हैं. हम आज आपको देश के कुछ ऐसे ही रोड्स और हाइवे के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाने में लोगों की चीख निकल जाती है. ये रास्ते इतने भूतिया हैं जहां लोग रात के वक्त लोग जाना ही नहीं चाहते.

ईस्ट कोस्ट रोड

यह दो लाइन का हाइवे है. पश्चिम बंगाल और तमिलनाडू को यह आपस में जोड़ता है. हाइवे पर चेन्नई से पुदुच्चेरी जाने वाला रास्ता काफी डरावना है. यहां रात में जाने से लोग डरते हैं. कई लोगों का कहना है कि यहां रात में सफेद साड़ी पहनकर एक महिला घूमती है. इस महिला को देखकर हर कोई घबरा जाता है. इस कारण गाड़ियों का एक्सीडेंट हो जाता है. सफेद साड़ी वाली महिला को देखने के बाद ड्राइवर को सड़क सिकुड़ने और रीढ़ की हड्डी में दर्ज होने लगता है.

मार्वे-मड आइलैंड रोड

मुंबई और मड आइलैंड पर यह हाईवे बनाया गया है. ये बेहद खूबसूरत रोड है. यहां लोग घूमने के लिए दूर-दूर से आते हैं. हालांकि यहां पहुंचने का रास्ता बहुत डरावना है. इस रोड पर रात में दुल्हन बनी महिला दिखाई देती है, ऐसा कहा जाता है.

कसारा घाट

मुंबई और नासिक को यह हाईवे आपस में जोड़ता है. इसका नाम कसारा घाट है. हाइवे के बारे में कई डरावनी कहानियां प्रचलित हैं. यहां से गुजरने वाले लोगों को पेड़ पर बैठी एक बूढ़ी महिला दिखाई देती है. इस महिला को देखकर डर के मारे लोग कांपने लगते हैं. इससे गाड़ियों का एक्सीडेंट हो जाता है.

ब्लू क्रास रोड

ब्लू क्रास रोड चेन्नई में है. ये इसलिए डरावना है कि क्योंकि यहां आत्महत्या करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. यहां आत्महत्या करने वालों की आत्माएं इस रोड पर घूमती रहती हैं.

कशेदी घाट- मुंबई गोवा हाइवे

इस हाइवे को बेहद डरावना माना जाता है. कहा जाता है कि रोड पर भूतों का साया है. इस रोड पर अक्सर ट्रक और गाड़ियां पलटना आम है. हादसों से जिन्दा बचे लोगों का कहना है कि यहां रात के वक्त चलती गाड़ी के सामने एक व्यक्ति अचानक आ जाता है. वह गाड़ी रोकने का इशारा करता है. जिसकी वजह से हड़बड़ी में एक्सीडेंट हो जाता है.

अनसुलझा रहस्य 37:Place Of God.

हमारी पृथ्वी लाखों करोड़ों रहस्यों से भरी पड़ी है. जिनमें से दुनियाभर के वैज्ञानिक कुछ ही रहस्यों के बारे में अब तक जान पाए हैं. अभी भी इतने रहस्य दुनियाभर में मौजूद हैं कि पूरी मानव सभ्यता भी इन्हें जानने की कोशिश करे तो शायद जान नहीं पाएगी. आज हम आपके एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं. जो मानव सभ्यता का सबसे बड़ा रहस्य भी है. हम बात कर रहे हैं मैक्सिको के एक शहर के बारे में. जिसे ‘प्लेस ऑफ गॉड’ के नाम से जाना जाता है.

ये शहर अपने आप में इतने रहस्य समेटे हुए हैं, जिनके बारे में शायद ही कोई जान पाएगा. दरअसल, मेक्सिको का शहर टियाटिहुआकन सैकड़ों रहस्यों से भरा हुआ है. बता दें कि ये शहर पिरामिडों का एक खंडहर है. पिरामिडों के खंडहरों की वजह से ही इस शहर का नाम टियाटिहुआकन रखा गया था. टियाटिहुआकन शहर की खोज 14वीं सदी में एजटेक्स साम्राज्य के लोगों ने की थी और उन्होंने ही इसका नाम टियाटिहुआकन शहर रखा था.

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उससे पहले इस जगह का न कोई नाम था और ना ही इसके बारे में कोई जानता था. टियाटिहुआकन शहर की खोज करने वाले एजटेक्स का कहना था कि इस शहर को देखने के बाद ऐसा लगता था, जैसे ये अपने आप ही प्रकट हो गया था. क्योंकि इस जगह को किसने, कब और क्यों बनवाया और यहां कौन रहता था इसके बारे में कोई जानकारी आज तक किसी को नहीं मिली. इसलिए ये सब एक रहस्य का विषय बन गया.

बता दें कि इस शहर से जुड़ी किसी भी तरह की कोई जानकारी किसी भी किताब या स्थान पर लिखी हुई नहीं मिली. हालांकि, ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि इस रहस्यमय शहर में 25 हजार लोग रहते होंगे. क्योंकि यह बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है. जानकारी के मुताबिक, इस शहर का निर्माण शहरी ग्रिड प्रणाली किया गया था. जैसा कि अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर को बसाया गया है. टियाटिहुआकन शहर के बारे में एक और जानकारी मिलती है.

वह ये है कि इस शहर में बने एक पिरामिड के अंदर कई इंसानों की हड्डियां मिली हैं. पिरामिड के अंदर मिले कंकालों को लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती है. कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इस पिरामिड को इंसानों की बलि देने में किया जाता होगा. लेकिन इसका प्रमाण आज तक किसी को नहीं मिला.

अनसुलझा रहस्य 38:Chan Dan Ya.

दुनियाभर में तमाम ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में आज तक वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए हैं. ऐसा ही अनोखा रहस्य चीन का एक पर्वत है, जो अंडे देता है. चीन के दक्षिण-पश्चिम के गिझोउ प्रांत में यह चट्टान स्थित है. यह हर तीस साल में एक बार अंडे देती है. चट्टान की ऊंचाई 20 मीटर और लंबाई 6 मीटर है. इस चट्टान को ‘चन दन या‘ के नाम से जाना जाता है. ये काले रंग की है. ये चट्टान पूरी दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ है. वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि आखिर इस चट्टान में ऐसा क्या है, जो ये अंडे देता है. बता दें कि ये अंडे बहुत अजीब होते हैं. पहले तो ये चिकने अंडे एक कवच में होते हैं. चट्टान इनको सेती है. फिर कुछ दिन बाद ये अंडे सतह पर गिर जाते हैं.

दुनिया के बड़े-बड़े वैज्ञानिक इस चट्टान के रहस्य का पता नहीं लगा पाए हैं. इस चट्टान का हिंदी में मतलब है अंडा देने वाला पत्थर. चट्टान से निकलने इन अंडों को स्थानीय लोग खुशी का प्रतीक मानते हैं. जब जमीन पर ये अंडे गिरते हैं, तो इन्हें गांव वाले अपने घर ले जाते है. यह एक काली और ठंडी चट्टान है.इसके अंडे देने की बात आज पूरी दुनिया में आश्चर्य है. चट्टान का यह रहस्य वैज्ञानिकों को भी परेशान कर रहा है. भू-वैज्ञानिक बताते हैं कि चट्टान 500 मिलियन साल पुरानी है. इसको वैज्ञानिको ने कैंब्रियन समय का माना है. मौसम और पर्यावरण में होते बदलाव की वजह से इस चट्टान को कभी उच्च तापमान तो कभी बेहद ठंडा मौसम झेलना पड़ता है.

अनसुलझा रहस्य 39: Charch of BONE.

आपने पूरी दुनिया में तमाम चर्च के बारों में सुना होगा और कुछ चर्च देखे भी होंगे. लेकिन आज तक कोई ऐसा चर्च नहीं देखा होगा जिसे मानव कंकालों से सजाया गया हो. आज हम आपको एक ऐसे ही चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं. जिसे दुनिया का सबसे डरावना और रहस्यमयी चर्च माना जाता है. क्योंकि इस चर्च में एक दो हजार नहीं बल्कि 70 हजार नर कंकालों का इस्तेमाल सजाने के लिए किया गया है. बेहद डरावना होने के बावजूद इस चर्च को देखने के लिए लाखों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं.

एक अनुमान के मुताबिक, सालाना इस अनोखे चर्च को देखने के लिए दो लाख से भी ज्यादा लोग आते हैं. बता दें कि इस चर्च का नाम सेडलेक ऑस्युअरी है. जो चेक गणराज्य की राजधानी प्राग में स्थित है. बताया जाता है कि इस चर्च को सजाने के लिए 40 हजार से 70 हजार लोगों की हड्डियों का इस्तेमाल किया गया है. यहां छत से लेकर झूमर तक सबकुछ इंसानी हड्डियों से ही बनाए गए हैं. इसीलिए इस चर्च को ‘चर्च ऑफ बोन्स’ के नाम से भी जाना जाता है.

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बता दें कि इस चर्च का निर्माण अब से करीब 150 साल पहले यानी 1870 में किया गया था. दरअसल, इंसानी हड्डियों से इस चर्च को सजाने के पीछे एक बेहद ही रहस्यमयी वजह है. साल 1278 में बोहेमिया के राजा ओट्टोकर द्वितीय ने हेनरी नाम के एक संत को ईसाईयों की पवित्र भूमि यरुशलम भेजा था. दरअसल, यरुशलम को ईसा मसीह की कर्मभूमि कहा जाता है. यहीं पर उन्हें सूली पर भी चढ़ाया गया था. ऐसा कहा जाता है कि यरुशलम गए संत जब वापस लौटे तो वो अपने साथ वहां की पवित्र मिट्टी से भरा एक जार भी लेकर आए.

उसके बाद उस मिट्टी को एक कब्रिस्तान के ऊपर डाल दिया. बस उसके बाद से यह लोगों के दफनाने की पसंदीदा जगह बन गई. कब्रिस्तान में पवित्र मिट्टी होने की वजह से लोग चाहते कि मरने के बाद उन्हें वहीं पर दफनाया जाए और ऐसा होने भी लगा. इसी बीच 14वीं सदी में ‘ब्लैक डेथ’ महामारी फैल गई, इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग मारे गए. उन्हें भी प्राग के उसी कब्रिस्तान में दफनाया गया, जहां पवित्र मिट्टी को डाला गया था.

इसके अलावा 15वीं सदी की शुरुआत में बोहेमिया युद्ध में भी हजारों की संख्या में लोग मारे गए और उन्हें भी वहीं पर दफनाया गया. बता दें कि अब भारी तादाद में लोगों को दफनाने की वजह से कब्रिस्तान में बिल्कुल भी जगह नहीं बची है. इसलिए उनके कंकालों और हड्डियों को निकालकर उनसे चर्च को सजा दिया गया. इसी के चलते यह चर्च पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गया और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आने लगे. ये सिलसिला आज भी इसी तरह जारी है.

अनसुलझा रहस्य 40: Non Gravity Places.

हमारी पृथ्वी (Earth) तमाम रहस्यों से भरी पड़ी है. जिनके बारे में लोग बहुत ही कम जानते हैं. आज हम आपको दुनिया के कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां गुरुत्वाकर्षण (Gravity) काम करना बंद कर देता है. इन जगहों को लेकर आज भी ये रहस्य (Mystery) बना हुआ है. सबसे हैरानी की बात ये है कि इन जगहों के आसपास की सभी जगह सामान्य स्थिति में हैं. इन्ही में से एक जगह है सेंट इग्नास मिस्ट्री स्पॉट. जो अमेरिका के मिशिगन शहर में है. इस जगह को’सेंट इग्नास मिस्ट्री स्पॉट’ भी कहा जाता है. इस जगह की खोज 1950 में उस वक्त हुई जब कुछ लोगों की एक टीम इस जगह की जांच के लिए पहुंची. तब उनके सारे उपकरण यहां आकर बंद हो गए.

कई दिनों बाद पता चला कि यहां 300 वर्ग फीट के इलाके में गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करता है. बता दें कि इस जगह पर खड़े होकर आपको ऐसा लगेगा, जैसे आप किसी अंतरिक्ष यान में बैठे हैं. इसके बाद बात करते हैं स्पुक हिल की. ये स्थान भी अमेरिका के फ्लोरिडा में है. यहां अगर आप अपनी कार को बंद करके खड़ी कर देंगे, तो वह अपने आप ढलान या पहाड़ की ओर अपने आप चली जाती है. ऐसा यहां गुरुत्वाकर्षण बल के काम नहीं करने के कारण होता है. वहीं अमेरिका के सांता क्रूज कैलिफोर्निया में मिस्ट्री स्पॉट पर भी गुरुत्वाकर्षण बल काम नहीं करता.

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इसीलिए इस जगह को ‘मिस्ट्री स्पॉट’ के नाम से जाना जाता है. इस जगह की खोज साल 1939 में हुई थी. तब खोजकर्ताओं को ऐसा लगा था, जैसे इस जगह पर कोई रहस्यमय ताकत छुपी हुई है, लेकिन जब गहराई से इसकी छानबीन की गई तो पता चला कि 150 वर्ग फीट के एक गोलाकार इलाके में गुरुत्वाकर्षण बल काम ही नहीं करता है. इसीलिए यहां पानी नीचे से ऊपर की ओर बहता है. साथ ही अगर इंसान चाहे तो यहां बिना गिरे किसी एक कोण पर खड़ा हो सकता है. इसके साथ भी भारत में भी एक ऐसा ही स्थान मौजूद है. जहां गुरुत्वाकर्षण बल काम करना बंद कर देता है.

भारत में मौजूद इस जगह को ‘मैग्नेटिक हिल’ के नाम से जाना जाता है. यह जगह भी फ्लोरिडा के स्पुक हिल की तरह ही है. यहां भी गाड़ियां बिना किसी सहारे के एक पहाड़ी पर अपने आप चली जाती है. यहां कारें पहाड़ की ओर अपने आप 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती जाती हैं. इस रहस्यमय जगह को लद्दाख का ‘मैग्नेटिक हिल’ के नाम से जाना जाता है. अमेरिका के दक्षिणी डकोटा में भी इसी तरह की एक जगह मौजूद है जहां गुरुत्वार्षण बल खत्म हो जाता है.

इस जगह को कॉस्मॉस मिस्ट्री स्पॉट के नाम से जाना जाता है. इस जगह दुनिया की बाकी की जगहों से बिल्कुल अलग है. यहां विचित्र प्रकार के पेड़ देखने को मिलते हैं, जो अजीब तरीके से एक ही ओर झुके हुए हैं. यहां सिर्फ एक पैर पर बिना गिरे खड़े हो सकते हैं. इस जगह पर आकर आपको ऐसा लगेगा, जैसे आपका वजन बिल्कुल कम हो गया हो.

अनसुलझा रहस्य 41:Kiradu Tample.

दुनियाभर में ऐसे तमाम स्थान हैं जिन्हें रहस्यमयी माना जाता है. इन रहस्यों के बारे में आजतक कोई पता नहीं लगा पाया. भारत में भी एक ऐसा मंदिर है जो रहस्यों से भरा पड़ा है. जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी शाम होने के बाद रुकता है वो हमेशा के लिए पत्थर का बन जाता है. इसी वजह से इस मंदिर में आने के नाम से भी लोगों की हालत खराब हो जाती है. आज हम आपको इसी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल, ये मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है. इस मंदिर का नाम किराडू मंदिर है. इस मंदिर में वैसे काफी लोग आते हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर शाम ढलने से पहले ही यहां से चले जाते हैं. इसके पीछे की वजह बड़ी अनोखी है.

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ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति सूरज ढलने के बाद इस मंदिर में रुकता है वो हमेशा-हमेशा के लिए पत्थर बन जाता है. इसके पीछे एक साधु का श्राप माना जाता है. इस मंदिर के बारे में लोगों का कहना है कि आजतक जो भी यहां पर शाम होने के बाद गया वो पत्थर बन गया.

बाड़मेर का ये किराडू मंदिर खंडहरों के बीच स्थित है जहां पर कई जाना नहीं चाहता है. इस मंदिर की खासियत ये है कि ये बेहद ही खूबसूरत है. इसीलिए तमाम लोग इसे देखने आते हैं, लेकिन शाम होने से पहले ही मंदिर से वापस लौट जाते हैं. वहीं ज्यादातर लोग इस मंदिर को दूर से देखकर ही लौट जाते हैं वो इस मंदिर में अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.

अनसुलझा रहस्य 42:Village of One Women.

क्या आपने कभी सुना है कि कोई गांव ऐसा हो जहां सिर्फ एक ही शख्स रहता हो. शायद नहीं सुना होगा क्योंकि आमूनन किसी भी गांव में लोगों की आबादी अच्छी-खासी होती है. हां ये जरूर हो सकता है कि कुछ गांव की आबादी कम हो सकती हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे जहां मात्र एक ही महिला रहती है.

जी हां ये सुनना थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा. लेकिन ऐसा एक गांव है जहां सिर्फ एक महिला ही रहती है. एल्सी आइलर नाम की ये महिला काफी बुजुर्ग हा. इस बुजुर्ग महिला के पीछे की एक दिलचस्प कहानी है जिसे सुनकर आप वाकई हैरान हो जाएंगे.

दरअसल अमेरिका के नेब्रास्का राज्य में स्थित मोनोवी गांव में 84वर्षीय महिला रहती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, एल्सी इस गांव में इसलिए अकेली रहती हैं ताकि कोई भी उनके गांव को भूतिया गांव न कहें.दिलचस्प बात ये है कि इस गांव का पानी और बिजली का 500 डॉलर टैक्स तकरीबन 35 हजार रुपये भी भरती है. इसी के साथ वो इस जगह का रख-रखाव भी खुद करती है.

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इसी के साथ सरकार एल्सी को पब्लिक जगहों की देख-रेख के लिए कुछ रुपये भी देते हैं. जिनका खर्च वो स्वयं ही तय करती हैं कि पैसे को कहां और कैसे खर्च करना है.

वो इस गांव की एकलौती नागरिक होने के नाते गांल की मेयर, क्लर्क और ऑफिसर सबकुछ हैं.हालांकि ये गांव पहले ऐसा नहीं था. वर्ष 1930 तक लगभग 150 लोग रहा करते थे.लेकिन अब ये गांव सिर्फ एल्सी का ही घर है. बताते चलें कि ये गांव करीब 54 हेक्टेयर तक फैला हुआ है. वर्ष 1930 में यहां 150 लोग रहते थे, लेकिन फिर धीरे धीरे आबादी कम होनी शुरु हो गई. इसके बाद 1980 तक इस गांव में मात्र 18 लोग बचे. फिर 2000 आते आते यहां सिर्फ दो ही लोग बचे, एल्सी आइलर और उनके पति रूडी आइलर. फिर वर्ष 2004 में रूडी आइलर की भी मौत हो गऊ, जिसके बाद से एल्सी अब अकेली ही इस गांव में बची है और वो अकेले रहती हैं.

अनसुलझा रहस्य 43:Hanger-18.

एलियन को लेकर इंसानों में हमेशा से उत्सुक्ता रहती है. एलियन की कोई भी कहानी हमेशा लोगों में चर्चा का विषय रहती है. एलियन को लेकर हमेशा से फिल्में बनती रहती है. वहीं अमेरिका का एरिया 51 ऐसे लोगों के बीच चर्चा के हमेशा केंद्र में रहता है, सिर्फ एरिया 51 ही नहीं अमेरिका में एक और जगह ऐसी है जो एलियन की जानकारी रखने वाले लोगों के बीच चर्चा का विषय बनती है और वो है राइट-पैटरसन एयर फोर्स बेस.

एलियन पर बनी कई फिल्में में दिखाया गया है कि अमेरिका के पास एलियन मौजूद हैं और एक दुर्घटना के मरे हुए एलियन के शरीर को एक कमरे के अंदर रखा गया है, जहां वैज्ञानिक इन पर कई तरह के शोध करते हैं. हालांकि, फिल्में में जो दिखाया गया है, कई लोग उसे सच भी मानते हैं. एलियन हंटर्स का मानना है कि अमेरिका में एक ऐसी जगह है जहां एलियन के मृत शरीर पर वैज्ञानिक प्रयोग किए जाते हैं और जिस कमरे में एलियन के शरीर को रखा गया है, वहां की सुरक्षा काफी कड़ी होती है. 24 घंटे सुरक्षा कर्मी इस कमरे की रक्षा करते हैं.

1947 के जुलाई महीने में अमेरिका के न्यू मैक्सिको के रोसवेल के पास रेगिस्तान में एक यूएफओ के दुर्घटना होने की खबरें आई थीं. इस दौरान कई अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि इस दुर्घटना में कुछ एलियन भी मारे गए थे. हालांकि, उस समय रोसवेल आर्मी एयर फील्ड (RAAF) द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, उनके कर्मियों ने निरीक्षण किया था “फ्लाइंग डिस्क” के बारे में जो भी खबरें थी, उसे “उच्च मुख्यालय” पर भेज दिया.

वहीं फोर्ट वर्थ, टेक्सास में एक वायु सेना बेस से बताया कि जिस “फ्लाइंग डिस्क” को लेकर इतनी चर्चा है वो एक मौसम गुब्बारा था. हालांकिल साल 1994 में वायु सेना ने इस दावे को गलत बताया. उस दौरान वायु सेना ने कहा था कि यह “फ्लाइंग डिस्क” सोवियत यूनियन द्वारा भेजा गया एक जासूसी भेजा गया था. भले ही इसकी सच्चाई जो भी हो. सरकार ने कभी इसकी सच्चाई नहीं बताई.

लेकिन, इन दावों के साथ ही एलियन की कहानी चर्चा में आती गई और हैंगर 18 का रहस्य गहराता गया. वहीं एक पूर्व अफसर के दावे ने इन रहस्यों को और गहरा दिया. ओलिवर हैंडरसन नामक एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को कथित तौर पर बताया था कि वो एक प्लेन को उड़ाकर रोसवेल से राइट-पैटरसन एयर फोर्स बेस तक लेकर गए थे. उन्होंने जिस प्लेन को उड़ाया था, उसमें कई छोटे एलियन का मृत शरीर के साथ साथ उस विमान का बचा हिस्सा था, जो क्रैश हुआ था.

वहीं एक अन्य पायलट के बच्चों ने बताया WWII के ऐस मैरियन “ब्लैक मैक” मैगरुडर, उनके पिता ने 1947 में राइट फील्ड में एक जीवित एलियन को देखने का दावा किया और उन्हें बताया कि “यह एक शर्मनाक बात थी कि सेना ने इस पर परीक्षण करके इस प्राणी को नष्ट कर दिया.” साल 1964 में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार ने सबको यह कहकर चौंका दिया था कि उन्होंने 60 के दशक की शुरूआत में ब्लू रूम में प्रवेश की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें एक जनरल ने मना कर दिया था.

ऑपरेशन ब्लू बुक अमेरिका के खुफिया विभाग द्वारा चलाया गया एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसे 1969 में बंद कर दिया गया था. लेकिन साल 1974 में फ्लोरिडा के रॉबर्ट स्पैंसर ने दावा किया कि अमेरिकी वायु सेना ने राइट-पैटरसन एयर फोर्स बेस पर दो एलियन के विमान को छुपा रखा है. उन्होंने यह दावा उस सेना के बड़े अधिकारी ने हवाले से किया था, जिसका दावा था कि उन्होंने 12 एलियन की बॉडी का पोस्टमार्टम होते हुए देखा था. हैंगर 18 की इतनी कहानियां है कि साल 1980 में उसके ऊपर एक फिल्म भी बनी थी, हैंगर 18 के नाम से. हालांकि, एयर फोर्स हमेशा से इन दावों को नकाराता रहा है कि हैंगर 18 नामक कोई जगह भी है, लेकिन यह सच है कि वहां पर एक बिल्डिंग है, जिसका नंबर 18 है.

अनसुलझा रहस्य 44:Hutovan-The Ghost Village.

दुनिया की सबसे बड़ी दीवार वाले देश चीन (China) में एक ऐसा गांव है. जिसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे. इस गांव (Village) को लोग भूतिया गांव (Ghost Village) के नाम से जानने लगे हैं. ये भूतिया गांव पूर्वी चीन झेजियांग राज्य के शेंगशान द्वीप स्थित है. इस गांव का नाम है हूटोवान.

दरअसल, इस गांव में अब चंद लोग ही रहते हैं. इस गांव में हरी-भरी घास और लताओं ने कब्जा कर रखा है. इस गांव के घरों पर हरी-हरी घास उग आई है, पूरे घर पर लताएं छा गई हैं. जिससे ये गांव भूतिया गांव जैसा दिखने लगा है. इस गांव को देखने बाद आपको किसी फिल्म के सेट जैसा दृश्य याद आ जाएगा.

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ऐसा नहीं है कि इस गांव में पहले भी इतने ही लोग रहते थे. बता दें कि पहले इस गांव में करीब 500 घर हुआ करते हैं. जिममें करीब 2000 मछुआरों के परिवार रहा करते थे. जिससे गांव में खूब चहल-पहल थी. लेकिन वक्त के साथ-साथ सबकुछ बदल गया. मुख्य सड़क से द्वीप की दूरी ज्यादा होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.यहां ना तो बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाती थी और ना ही लोग रोजमर्रा का सामान ला पाते थे. इसी के चलते यहां रहने वाले परिवारों ने साल 1990 में पलायन करना शुरु कर दिया. जिससे उन्हें बेहतर जिंदगी मिल सके. उनके बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़ सकें.

साल 1994 तक इस गांव के लगभग सभी परिवार पलायन कर गए. गांव के घर खाली हो गए. अब यहां चंद लोग ही रहते हैं. खाली पड़े घरों में घास उग आई और उनपर लताएं फैलने लगी. लोगों के ना रहने से इस गांव के हर घर के कोने में पेड़-पौधे उग आए हैं. इसलिए अब ये गांव किसी पर्यटन स्थल की तरह के आकर्षित होता जा रहा है.

अनसुलझा रहस्य 45:Supaai Village.

आपने अबतक दुनियाभर के अजीबो गरीब गांवों के बारे में सुना होगा. वहां लोग अनोखी तरह की संस्कृति को अपनाते होंगे, लेकिन कभी किसी ऐसे गांव के बारे में नहीं सुना होगा जो जमीन के अंदर छिपा हो. ये पूरा का पूरा गांव जमीन के अंदर बसा हुआ है, वो भी थोड़ा बहुत नहीं बल्कि पूरा जमीन के नीचे 3000 फीट नीचे. बता दें कि इस गांव की आबादी ज्यादा नहीं है. यहां कुछ लोग ही रहते हैं. लेकिन ये गांव दुनियाभर में इंटरनेट पर खूब सर्च किया जाता है. एडवेंचर को शौकीन लोग हर साल यहां घूमने आते हैं.

दरअसल, अमेरिका के प्रसिद्ध ग्रैंड कैनियन के पास हवासू कैनियन में सुपाई नाम का एक गांव है. ये गांव जमीन की सतह के नीचे तीन हज़ार फ़ुट की पर बसा है. इसे देखने के लिए हर साल दुनिया भर से करीब 55 लाख लोग एरिजोना आते हैं. ये गांव हवासू कैनियन के पास एक गहरी खाई में बसा हुआ है. इस गांव की कुल आबादी 208 बताई जाती है. जमीन की सतह से करीब 3000 फुट नीचे बसे इस गांव के रहने वाले अमरीका के मूल निवासी रेड इंडियन हैं.

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हवा में उड़ कर आयें या पांव पांव.

बता दें कि ये गांव दुनियाभर से कटा हुआ है. जिसकी वजह इसका जमीन के अंदर बसा होना है. इस गांव में रेडइंडियन्स रहते हैं जिन्हें अमेरिका का मूल निवासी माना जाता है. इस गांव में आवागमने के साधन भी सीमित ही हैं. आधुनिक युग में भी ये गांव बाहरी दुनिया से कटा हुआ है. इस गांव तक पहुंचने के लिए कठिन सफर करके पैदल जाना पड़ता है.

यहां तक पहुंचने के लिए लोग खच्चर का भी प्रयोग करते हैं. कुछ लोग यहां तक पहुंचने के लिए हवाई जहाज का प्रयोग भी करते हैं. जो गांव को नजदीकी हाइवे से जोड़ते हैं. यही नहीं इस गांव में आज भी चिट्ठियां ले जाने का काम खच्चरों से किया जाता है.

अनसुलझा रहस्य 46:Sentinel Island.

क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि 21वीं सदी में भी भारत में एक ऐसी जगह है जहां जाने के बाद आज तक कोई वापस नहीं लौटा. हम बात कर रहे हैं इंडियन ओशन के नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड की. आप जानकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि यहां इंसानों की एक प्रजाति रहती है. इसके बाद भी कोई व्यक्ति यहां जाने के बाद वापस लौटकर नहीं आता.

दरअसल यहां रहने वाली जनजाति सेंटिनलीज जनजाति का आधुनिक मानव सभ्यता से कोई लेना-देना नहीं है. इन लोगों को कई बार आधुनिक समाज से जोड़ने का प्रयास किया गया, लेकिन ये जनजाति इतनी ज्यादा आक्रामक है कि वे किसी को अपने पास आने ही नहीं देते. जो भी उनके पास जाता है वह उसे खत्म कर देते हैं.

भारतीय सेना के हेलिकॉप्टर पर किया था हमला

कई बार भारत सरकार समेत आम लोगों ने उन तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन इन लोगों ने उन्हें मार डाला. कुछ समय पहले गलती से एक भागा हुआ कैदी इस आइलैंड पर पहुंच गया था तो इन आदिवासियों ने उसे भी मार दिया था. साल 1981 में एक भटकी हुई नौका इस आइलैंड के आस-पास पहुंच गई थी. इस नौका में बैठे लोगों ने किसी तरह बचकर अपनी जान बचाई थी.

नौका के साथ वापस आए लोगों ने बताया था कि कुछ लोग किनारों पर तीर-कमान और भाले लेकर खड़े थे. किसी तरह वह लोग वहां से बचकर निकलने में सफल हो पाए थे. बता दें कि साल 2004 में इस इलाके में भयानक भूकंप आया था. इस सुनामी के बाद भारत सरकार ने आइलैंड की खबर लेने के लिए सेना का हेलिकॉप्टर भेजा था. लेकिन उन लोगों ने सेना के हेलिकॉप्टर पर भी हमला कर दिया था.

न मोबाइल फोन न ही बिजली

इस इलाके की हवाई तस्वीरों से साफ होता है कि यहां के लोग खेती नहीं करते, क्योंकि पूरे इलाके में घने जंगल हैं. यह जनजाति आज भी शिकार पर निर्भर है. करीब 60 हजार साल से ये लोग यहां रह रहे हैं. इन लोगों का आज भी किसी से कोई संबंध नहीं है. यहां से जो भी प्लेन गुजरता है उन पर ये लोग तीरों में आग लगाकर मार देते हैं. हम आज बिना बिजली के रहने की कल्पना नहीं कर सकते. लेकिन यहां ना तो बिजली है और ना ही मोबाइल फोन.

अनसुलझा रहस्य 47 Earthquake of Japan.

कहते हैं प्रकृति के सामने किसी का जोर नहीं चलता. प्रकृति जब अपना कहर ढाती है तो उसके सामने इंसान बेबस हो जाता है. मानव इतिहास में ऐसे कई उदाहरण है, जो प्रकृति आपदाओं के सामने इंसान कुछ नहीं कर पाया और इन्ही में से एक हैं साल 1923 में जापान में आया भूकंप. उसकी चपेट में सौंकड़ों लोग आए थे, जिन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी थी. कहा जाता है कि यह जापान के इतिहास का सबसे शक्तिशाली भूकंप था. जापान के लोग इसे ग्रेट कांटो भूकंप कहते हैं और इसके बारे में सोचकर आज भी दहल उठते हैं.

जापान को भूकंप का देश भी कहते हैं, यहां आए दिन भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं. जापान उस जगह पर हैं जहां यूरेशियाई, फिलीपीनी और प्रशांत महासागरीय टेक्टोनिक प्लेंटें मिलती हैं. वैज्ञानिक इसे पैसिफिक रिंग ऑफ़ फ़ायर कहते हैं. इन टेक्टोनिक प्लेंटो के खिसकने और आपस में टकराने से भूकंप होते हैं. इन प्लेट के आपस में टकराने से इतरी ऊर्जा निकलती है कि इससे देखते ही देखते शहर के शहर ज़मींदोज़ हो सकते हैं.

Tokyo

एक दिसंबर 1923 को आया भूकंप इसी घटना का नतीजा था. भूकंप को मापने के लिए बने रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 7.9 थी, जो काफी अधिक होती है. इस दिन शुरूआती भूकंप के झटके काफी तेज थे. पहला झटका टोक्यो के 30 मील दूर सुबह 11:58 बजे सागामी खाड़ी में महसूस किया गया था. इस भूकंप के कुछ ही मिनटों बाद 40 फीट से ऊची सुनामी की लहरों से जापान का सामना हुआ था. लगातार धरती के हिलने से जापान के लोगों में दहशत थी.

इस सुनामी के कुछ ही मिनटों बाद जापान के योकोहामा और टोक्यो में आग लग गई. उस दौरान तक जापान में लकड़ी के घरों का चलन था. भूकंप के बाद लगी आग ने आपने सामने आने वाली सभी चीजों को जलाकर राख कर दिया था. अनुमान लगाया जाता है कि इस भूकंप के बाद आई सुनामी और फिर लगी आग के चपेट में आने के 1,40 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी.

जापान में जब भूकंप आया था, उस दौरान करीब 44 हजार लोगों ने टोक्यो की सुमिदा नदी के पास स्थित “ड्रैगन ट्विस्ट” में जाकर शरण ली थी. लेकिन इनमें से किसी की जान नहीं बच पाई. इस प्रकृति आपदा के कारण जापान के दो सबसे बड़ शहर आधे से अधिक नष्ट हो गए थे.

ग्रेट कांटो भूकंप ने एक ही दोपहर में पूरे बसे बसाए शहर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया था. इस घटना के बाद जीवित बचे लोगों के बताया कि शुरूआती झटके लगभग 14 सेकंड तक आए. इसके कारण योकोहामा में समुद्र किनारे बने तीन मंजिला ग्रैंड होटल भरभराकर ढह गया. उस दौरान इस इमारत में मौजूद कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बच पाया था.

एक ट्रेडिंग फर्म के 43 वर्षीय अमेरिकी प्रबंधक ओटिस मैनचेस्टर पोले जो इस भूकंप में बाल बाल बचे थे, उन्होंने बताया कि जब वो बाहर आए तो उन्होंने देखा कि सब तरफ सिर्फ धूल ही धूल है और सब कुछ पलक झपकते ही खत्म हो गया था.

आग कैसे लगी, इसको लेकर कहा जाता है कि क्योंकि दोहपर का समय था, तो लोग अपने घरों में खाना बना रहे थे, और भूकंप के दौरान यह आग लोगों के घरों की दीवारों में लगी. इसके बाद आग की लपटे तेज हवाओं के साथ फैलती तली गईं. इस घटना को लेकर एक पुलिस रिपोर्ट में दावा किया जाता है कि शुरूआती 15 मिनटों में 86 जगहों पर आग लगने की घटना की जानकारी थी, जो पंद्रह मिनट बाद 136 जगहों तक फैल गई थी. आग बढ़ती जा रही थी और तेज हवाओं के कारण आग ने वबंडर का रूप ले लिया था.

शाम के चार बजे कर पूरे शहर में अफरा तरफरी मची हुई थीस, लोग अपनी जान बंचाने के लिए जहां-तहां भाग रहे थे. कहा जाता है कि इसी दौरान कुछ लोग नदी के पास इकट्ठा हुए और वहीं फंस गए, क्योंकि उन्हें आग के वबंडर ने चारों तरफ से घेर लिया था. ये लोग इसी आग में जलकर राख हो गए.जापान में आई यह तबाही इतनी भयानक थी कि इसके कारण जापान के उस समय के दो सबसे बड़े शहर आधे से अधिक नष्ट हो गए थे. योकोहामा 80 फीदसी बरबाद हो गया था, जबकि टोक्यो 60 फीसदी. इस घटना में 30 लाख लोग बेघर हो गए थे. 5 लाख से अधिक लोग आग के कारण गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे.

एक सितंबर 1923 को जापान में कई सौ भूकंप के झटके महसूस किए गए थे, जिसमें 19 झटके ऐसे थे, जिनती तीव्रता 5 से अधिक थी. जापान के लोगों में दिलों में आज भी इस भूकंप और इस त्रासदी की यादें मौजूद हैं.

अनसुलझा रहस्य 48:Kamrunaag Lake.

इस झील में छिपा है अरबों रुपये का खजाना, यहां मांगी हर मुराद होती है. प्रकृित की गोद में ना जाने कितना छिपा हुआ खजाना भरा हुआ है. इसके बारे में इंसान कुछ भी नहीं जानता. आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में बता रहे हैं जो अरबों रुपये के खजाने से भरी हुई है. ये झील हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की खूबसूरत वादियों के बीच बसी हुई है. यहां के खूबसूरत नजारों को देखकर हर कोई उनका दीवाना हो जाता है. बता दें कि हिमाचल की वादियों में पहुंचकर आपको एक अलग ही दुनिया में होने का एहसास होता है. वहीं, हिमाचल अपनी रहस्यमयी जगहों (Mysterious Place) की वजह से भी काफी प्रसिद्ध है.

इस खूबसूरत प्रदेश में एक ऐसी झील (Lake) है, जिसमें अरबों-खरबों रुपये का खजाना छिपा हुआ है. हालांकि, आज तक किसी ने झील से खजाना निकालने की कोशिश नहीं की. दरअसल, इस झील का नाम है कमरूनाग झील. ये झील हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से 51 किलोमीटर दूर करसोग घाटी में मौजूद है. इसको कमरूनाग झील के नाम से जाना जाता है. इस झील तक पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है.जो बेहद ही मुश्किल रास्ता है.

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यहां पर कमरूनाग बाबा की पत्थर से बनी एक प्राचीन मूर्ति है. श्रद्धालु इस मूर्ति की पूजी करते हैं और कामना करते हैं. ऐसे कहा जाता है कि इस मूर्ति से जो भी कामना की जाती है वह पूरी हो जाती है. उसके बाद श्रद्धालु खुश होकर इस झील में सोने और चांदी के जेवर चढ़ा जाते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक बाबा कमरूनाग यहां के लोगों को सालभर में एक बार दर्शन जरूर देते हैं. बाबा हर साल जून महीने में प्रकट होते हैं और अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं.

यहां पर जून महीने में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस खास मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए झील में सोने और चांदी के गहनें दान स्वरूप डाल देते हैं. यहां के लोगों की ऐसी धार्मिक मान्यता है कि जो भी इस झील में सोने और चांदी के गहने दान स्वरूप डालता है उनकी बाबा सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. यहां पर सदियों से यह परंपरा निभाई जा रही हैं.

इसकी वजह से झील में करोड़ों-अरबों का खजाना इक्कट्ठा हो गया है. हालांकि कोई भी इस झील से गहनें निकालने की कोशिश नहीं करता. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अगर कोई ऐसा पाप करता है तो उसका सर्वनाश हो जाता है. इसी डर से इस झील से कोई सोना या चांदी के गहने या अन्य सामान निकालने की कोशिश नहीं करता.

अनसुलझा रहस्य 49:Mysterious smoke.

साल 1918 में स्पैनिश फ्लू के कारण पूरी दुनिया में महामारी फैली थी. हर तरफ से बस लोगों के मरने की खबरें आ रही थी. ऐसा कोई देश नहीं था, जहां लोगों ने अपनी जान नहीं गवाई थी. आंकड़ों के मानें तो उस दौरान करीब 5 करोड़ लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. उस दौरान लोग किसी से मिलने से भी करताते थे. कई लोग तो कई महीनों तक अपने घरों में ही रहते थे.

साल 1918 के बाद से दुनिया ऐसी किसी महामारी का शिकार नहीं हुई थी. लेकिन 2020 भी कुछ ऐसा ही रहा. साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनिया के अधिकांश देशों में लॉकडाउन रहा. लोग कई सप्ताह कर अपने घरों में ही कैद रहे. कोरोना के कारण दुनिया में अभी तक 7 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित चुके हैं, करीब 16 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

पूरी दुनिया ऐसे में यह सोच रही है कि जल्दी से यह साल खत्म हो और उसके साथ बुरा वक्त भी खत्म हो. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी धरती पर इंसानों को अभी सबसे बुरा वक्त देखना बाकी है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हमसे पहले यह धरती काफी बुरा वक्त भी देख चुकी है. इस धरती पर एक समय ऐसा भी आया था जब इंसान एक दो दिन या एक सप्ताह या फिर एक दो महीने नहीं बल्कि करीब 18 महीने तक जमीन से साफ आसमान नहीं देख पाए थे.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, हार्वर्ड के मध्यकालीन इतिहासकार और पुरातत्वविद् माइकल मैककॉर्मिक ने बताया कि साल 536 ईस्वी में रहस्यमयी धुंध ने धरती के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया था और इसके कारण करीब 18 महीनों तक लोग साफ आसमान नहीं देख पाए थे. कई लोगों को मानना है कि वब सबसे बुरा दौर था. उस दौरान हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

हिस्ट्री.कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, उस दौरान धुंध के कारण धरती का तापमान गिर गया था, क्योंकि सूर्य़ कि किरणें धरती पर नहीं आ पा रही थी. बीजान्टिन इतिहासकार प्रोकोपियस ने लिखा है कि उस दौरान सूरज चमकता तो था, लेकिन उसकी तपिश का एहसास नहीं होता था. सूर्य उस दौरान किसी पूर्णिमा की रात में चमकते चांद की तरह होता था, जिसमें रोशनी तो होती लेकिन शीतलता भी रहती.

दावा किया जाता है कि उस दौरान गर्मियों में अधिकतम तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक रहा था. कहा जाता है कि यह पिछले 2300 वर्षों में सबसे ठंडा दशक था. कुछ इतिहासकारों का दावा है कि उस साल चीन में गर्मियों में बर्फ गिरी थी. दावा किया जाता है फसलें खराब हो गई थीं और लोग भूख से मरने लगे थे.

आयरिश क्रॉनिकल का रिकॉर्ड में दर्शाया गया है कि साल 536 से 539 रोटी की विफलता का साल था. साल 536 में जो भी हुआ वो उसका असर लंबे समय तक उत्तरी गोलार्ध पर रहा था. कई शताब्दियों तक वैज्ञानिकों ने इसको गंभरीता से नहीं लिया था और किसी को पता भी नहीं था कि आखिर ऐसा क्यों हुआ था. लेकिन 1990 के बाद इसे गंभीरता से लिया गया.

साल 536 में क्या हुआ था, इसको लेकर हुए एक शोध में दावा किया गया कि संभवत: उस दौरान उत्तीर अमेरिका या आइसलैंड में कोई बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हुआ होगा और इसके बाद राख और धुंआ पूरे उत्तीर गोलार्ध में फैला होगा, जिसके कारण दुनिया ने यह दर्दनाक पल देखा था. माना जाता है कि ठंठी हवाओं के कारण यह धुंआ पूरे उत्तरी गोलार्ध में फैला था.

अनसुलझा रहस्य 50:Sleepy Holow-Kalachi.

सर्दियों में हर किसी को बहुत नींद आती है. सुबह जागने का दिल नहीं करता लेकिन काम-धंधे की वजह से लोगों को बिस्तर से उठना ही पड़ता है. वैसे बहुत से लोग आलसी भी होते हैं जो सर्दियों में ही नहीं बल्कि गर्मियों में भी बिस्तर से उठना पसंद नहीं करते और घंटों तक सोते रहते हैं. आज हम एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां के लोग 8-10 घंटे या एक दो दिन नहीं बल्कि कई महीनों तक सोते रहते हैं. यही नहीं इस गांव के लोग चलते फिरते ही सड़क पर सो जाते हैं और फिर महीनों तक नहीं जागते.

दरअसल, कजाकिस्तान (Kazakhstan) में एक ऐसा गांव है जहां के लोग चलते हुए सड़क पर ही सो जाते हैं. इतना ही नहीं ये लोग सोने के बाद भी कई दिनों तक नींद में रहते हैं. इस गांव का नाम कलाची (Kalachi) है. कलाची गांंव में लोग बहुत ज्यादा सोते हैं. दरअसल, इस गांव के लोग सोने की रहस्यमयी बीमारी से ग्रस्त हैं. ये लोग एक बार सोने के बाद महीनों तक नहीं जागते. कई दिनों तक सोने का पहला मामला साल 2010 में देखने को मिला था. जब यहां कुछ बच्चे अचानक से स्कूल में गिर गए थे और वहीं सोने लगे थे. फिर इस गांव में एक के बाद एक इस लोग अद्भुत बीमारी के शिकार होने लगे.

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वैज्ञानिक ने इस का पता लगाने की कोशिश की तो उन्हें भी इस रहस्यमयी बीमारी का पता नहीं चल पाया. हालांकि अभी भी तमाम वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इस रहस्यमयी बीमारे के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. कई डॉक्टर और वैज्ञानिक इस में लगे हैं लेकिन इस बीमारी के बारे में पता नहीं लगा सके हैं. वो भी इस बात से हैरान हैं कि यहां के लोग आखिर इतने दिनों तक सोए कैसे रहते हैं. इसीलिए इस गांव को अब ‘स्लीपी होलो’ कहा जाने लगा है.

चलते-चलते सड़क पर ही सो जाते हैं इस गांव के लोग, महीनों तक लेते हैं गहरी नींद

बता दें कि इस गांव की आबादी करीब 600 है और गांव के 14 फीसदी से ज्यादा लोग इस रहस्यमयी बीमारी से परेशान हैं. सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि जिन्हें यह बीमारी है उनको ये पता भी नहीं चलता कि वो सो गए हैं. यहां के लोग सड़क किनारे, झाड़ियों में, या फिर सड़क पर ही कहीं भी सोते हुए मिल जाएंगे.

यही नहीं बाजार या स्कूल में भी लोग अचानक से सो जाते हैं. उसके बाद वह कई दिनों तक सोते रहते हैं. गौरतलब है कि इस गांव के पास कभी यूरेनियम की खादान हुआ करती थी. खादान में जहरीला रेडिएशन भी होता था. माना जा रहा है कि हो सकता है कि इस खदान की वजह से लोगों को अब ऐसी अजीबो गरीब बीमारी होने लगी हो.

अनसुलझा रहस्य 51:La Selinaas.

क्या कभी आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां के लोगों का जेंडर बड़े होने पर बदल जाता है. डोमिनिकल रिपब्लिक में एक ऐसा ही गांव है जहां की लड़कियां एक खास उम्र में लड़का बन जाती है. इसीलिए इस गांव को लोग श्रापित गांव मानते हैं. इस गांव का नाम ला सेलिनास है.

ला सेलिनास गांव की लड़किया 12 साल की उम्र में लड़का बन जाती है. समुद्र किनारे बसे इस गांव की जनसंख्या करीब 6 हजार है, लेकिन फिर भी यह छोटा सा गांव दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए शोध का विषय बन चुका है. इस गांव की पहचान एक रहस्यमयी गांव के तौर पर भी की जाती है.स्थानीय लोगों का मानना है कि गांव पर किसी अदृश्य शक्ति का साया है, वहीं कुछ लोग गांव को शापित मानते हैं. इस गांव में सबसे बड़ी समस्या यह है कि यहां पैदा तो लड़कियां होती हैं. जब वो 12 साल की होती हैं तो वह लड़का बन जाती है.

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लड़की से लड़का बनने की इस बीमारी से गांव के लोग बेहद परेशान रहते हैं. इस गांव में जब भी किसी परिवार में लड़की का जन्म होता है तो परिवार में मातम पसर जाता है. क्योंकि बड़ी होने पर वह लड़का बन जाएगी. इसी के चलते गांव में लड़कियों की संख्या भी कम हो गई है. गांव में बीमारी से पीड़ित बच्चों को बेहद बुरी नजर से देखा जाता है.

ऐसे बच्चों को ‘ग्वेदोचे’ के नाम से बुलाया जाता है. स्थानीय भाषा में इस शब्द का मतलब किन्नर होता है. डॉक्टर्स के मुताबिक, ये बीमारी एक आनुवंशिक विकार है और स्थानीय भाषा में इससे ग्रस्त बच्चों को ‘सूडोहर्माफ्रडाइट’ कहते हैं.

इस बीमारी में लड़की के रुप में पैदा हुए कुछ बच्चों के शरीर में धीरे-धीरे पुरूषों जैसे अंग बनने लगते हैं. उनकी आवाज भी भारी हो जाती है. उनके शरीर में वो बदलाव आने शुरू हो जाते हैं, जो उन्हें धीरे-धीरे लड़की से लड़का बना देते हैं. कई शोधकर्ताओं ने इस बीमारी का उपचार खोजने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके. जांच के दौरान पता चला कि इस गांव में 90 में से एक बच्चा इस बीमारी से जूझ रहा है.

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